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मूर्तिकारों पर भी टूटा कोरोना महामारी का कहर, योगी सरकार से लगाई ये गुहार - योगी सरकार

कोरोना महामरी के कारण बीचे साल गणेश पूजा और दुर्गा पूजा के दौरान मूर्तिकारों को काफी नुकसान हुआ था और दूसरी लहर के बाद इस साल भी हालत कुछ वैसे ही हो गए हैं. जिसकी वजह से मिट्टी की प्रतिमा बनाने वाले कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकार परेशान
कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकार परेशान
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Published : Jun 24, 2021, 1:22 PM IST

आगरा: कोरोना महामारी के कारण पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. ऐसे में जनपद में तमाम लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है. ऐसे में रोज कमा कर खाने वालों के सामने आर्थिक संकट सामने खड़ा हो गया है. इन्हीं में से एक हैं मूर्तिकार लोकेश राव व नीलेश राव जो त्योहारों के सीजन में देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने का काम करते हैं. लोकेश ने बताया कि, कोरोना महामारी के कारण पिछले साल उन्हें काफी नुकसान हुआ था और अगर इस बार भी उनकी मूर्तियां नहीं बिकी, तो मजबूरन उनको अपना मूर्ति का काम बंद करना पड़ेगा. इसलिए उन्होंने योगी सरकार से अपील की कि गणेश पूजा और दुर्गा के मौके पर दूसरे राज्यों की तरह पंडालों में 5 फुट की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए.


आगरा में लोकेश राव व नीलेश राव दोनों भाइयों ने 2017 में मिट्टी से मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया था. ये दोनों भाई आगरा के अकेले ऐसे कारोबारी हैं, जो मिट्टी से इको फ्रेंडली मूर्तियों का कारोबार करते हैं. मूर्तियां बनाने के लिए ये नागपुर से कारीगरों को आगरा बुलाते हैं और यहां उनके रहने खाने-पीने सभी का इन्तेजाम करने के साथ ही उनको महीने की पगार भी देते हैं. नीलेश बताते हैं कि पूरे आगरा में पीओपी ( Plaster of Paris) की मूर्तियां बनती हैं, जिससे जल प्रदूषण होता है. लेकिन, हम मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं. जिससे जल प्रदूषण ना हो. हम सरकार के साथ मिलकर यमुना नदी को भी स्वच्छ रखने में सहयोग करते हैं.

कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकार परेशान

मूर्ति बनाने में इस्तेमाल करते हैं पौधों का बीज

नीलेश राव ने बताया कि वे मूर्ति को बनाते समय उसके अंदर जामुन और आम के बीज के साथ कई अन्य फूलों और फलों के बीज को डाल देते हैं. जिससे यदि कोई भी मूर्ति का विसर्जन घर में करें तो वहां एक पौधा निकाल आए. जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रह सके.

कोरोना ने काम धंधा किया चौपट

लोकेश राव ने बताया कि कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर तक उनका काम धंधा चौपट पड़ा हुआ है. लोकेश ने बताया कि पिछले बार भी आर्डर नहीं आए और इस बार भी ऑर्डर अब तक नहीं आए. जिस वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोकेश ने बताया कि कोरोना से पहले वे हर साल 18 कारीगर नागपुर से बुलाए जाते थे, लेकिन ऑर्डर ना मिलने की वजह से इस बार उन्होंने सिर्फ 6 कारीगरों को बुलाया है.

योगी सरकार से लगाई गुहार

लोकेश और नीलेश ने योगी सरकार अपील की है कि जिस तरह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में 5 फुट तक की मूर्तियां पंडाल में रखने की अनुमति दी गई थी, ठीक उसी तरह आगरा में भी गणेश चतुर्थी व दुर्गा पूजन पर 5 फुट की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए. जिससे उनके पास कुछ आर्डर आ सके और उनका व्यापार काम धंधा चल सके.

आगरा: कोरोना महामारी के कारण पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. ऐसे में जनपद में तमाम लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है. ऐसे में रोज कमा कर खाने वालों के सामने आर्थिक संकट सामने खड़ा हो गया है. इन्हीं में से एक हैं मूर्तिकार लोकेश राव व नीलेश राव जो त्योहारों के सीजन में देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने का काम करते हैं. लोकेश ने बताया कि, कोरोना महामारी के कारण पिछले साल उन्हें काफी नुकसान हुआ था और अगर इस बार भी उनकी मूर्तियां नहीं बिकी, तो मजबूरन उनको अपना मूर्ति का काम बंद करना पड़ेगा. इसलिए उन्होंने योगी सरकार से अपील की कि गणेश पूजा और दुर्गा के मौके पर दूसरे राज्यों की तरह पंडालों में 5 फुट की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए.


आगरा में लोकेश राव व नीलेश राव दोनों भाइयों ने 2017 में मिट्टी से मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया था. ये दोनों भाई आगरा के अकेले ऐसे कारोबारी हैं, जो मिट्टी से इको फ्रेंडली मूर्तियों का कारोबार करते हैं. मूर्तियां बनाने के लिए ये नागपुर से कारीगरों को आगरा बुलाते हैं और यहां उनके रहने खाने-पीने सभी का इन्तेजाम करने के साथ ही उनको महीने की पगार भी देते हैं. नीलेश बताते हैं कि पूरे आगरा में पीओपी ( Plaster of Paris) की मूर्तियां बनती हैं, जिससे जल प्रदूषण होता है. लेकिन, हम मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं. जिससे जल प्रदूषण ना हो. हम सरकार के साथ मिलकर यमुना नदी को भी स्वच्छ रखने में सहयोग करते हैं.

कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकार परेशान

मूर्ति बनाने में इस्तेमाल करते हैं पौधों का बीज

नीलेश राव ने बताया कि वे मूर्ति को बनाते समय उसके अंदर जामुन और आम के बीज के साथ कई अन्य फूलों और फलों के बीज को डाल देते हैं. जिससे यदि कोई भी मूर्ति का विसर्जन घर में करें तो वहां एक पौधा निकाल आए. जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रह सके.

कोरोना ने काम धंधा किया चौपट

लोकेश राव ने बताया कि कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर तक उनका काम धंधा चौपट पड़ा हुआ है. लोकेश ने बताया कि पिछले बार भी आर्डर नहीं आए और इस बार भी ऑर्डर अब तक नहीं आए. जिस वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोकेश ने बताया कि कोरोना से पहले वे हर साल 18 कारीगर नागपुर से बुलाए जाते थे, लेकिन ऑर्डर ना मिलने की वजह से इस बार उन्होंने सिर्फ 6 कारीगरों को बुलाया है.

योगी सरकार से लगाई गुहार

लोकेश और नीलेश ने योगी सरकार अपील की है कि जिस तरह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में 5 फुट तक की मूर्तियां पंडाल में रखने की अनुमति दी गई थी, ठीक उसी तरह आगरा में भी गणेश चतुर्थी व दुर्गा पूजन पर 5 फुट की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए. जिससे उनके पास कुछ आर्डर आ सके और उनका व्यापार काम धंधा चल सके.

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