कानपुर/मेरठ: आज यानी 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसी क्रम में कानपुर के ऐतिहासिक चर्च पूरी तरीके से क्रिसमस के लिए गुलजार हो चुके हैं. आज हम आपको शहर के कई ऐतिहासिक चर्च और उनकी विशेषताओं के बारे में बताने वाले हैं जहां पर आप भी जाकर इस क्रिसमस के त्यौहार को मना सकते है.
- कानपुर के सिविल लाइंस स्थित एलएल चर्च कानपुर के सबसे पुराने गिरजाघर में से एक है. यह आज भी तकनीकी और रहस्यों के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है. इस चर्च की खासियत है कि यह समुद्र की गहराई नापने का स्टैंडर्ड पॉइंट भी है. हर साल क्रिसमस के त्योहार पर इस चर्च को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है. वहीं, हजारों की संख्या में यहां लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं.
कानपुर - के बीचों-बीच स्थित बड़ा चौराहा के पास क्राइस्ट चर्च भी सबसे पुराने और ऐतिहासिक गिरजाघर में से एक है. हर साल क्रिसमस पर सफेद रंग का दिखने वाला यह खूबसूरत गिरजाघर रंग बिरंगी लाइटों से जगमगाता हुआ नजर आता है. इसी के पास में ही प्रतिष्ठित क्राइस्ट चर्च कॉलेज भी स्थित है, जो की इसी संस्था के द्वारा चलाया जाता है. आज भी चर्च में जब लोग प्रार्थना करने के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें ऐतिहासिक धरोहर की एक झलक देखने को मिलती है. इस बार क्रिसमस पर भी यहां कई विशेष तैयारी की गई है.
- कानपुर साउथ के किदवई नगर स्थित सेंट थॉमस चर्च भी अपने आप में एक अलग महत्व रखता है. क्रिसमस के त्योहार पर दक्षिण इलाके में रहने वाले हजारों की संख्या में लोग यहां पर प्रेयर करने के लिए पहुंचते हैं. हर वर्ष क्रिसमस पर यहां कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. इसी चर्च के पास ही सेंट थॉमस स्कूल भी स्थित है, जो कि इसी संस्था के द्वारा चलाया जाता है. ऐसा कहा जाता है, कि यहां का प्रेयर शहर के गिरजाघर में सबसे बड़ा है.
- कानपुर का मेमोरियल चर्च सबसे पुराना और प्रभावशाली गिरजाघर में से एक है. इस चर्च की खासियत है कि जब आप इसे करीब से देखेंगे तो आपको विदेश की चर्च की याद आएगी. इसका निर्माण 1875 में ब्रिटिश सैनिकों के साहस और वीरता की याद में किया गया था. जिन्होंने सन 1857 के कानपुर के सिपाही विद्रोह में अपने जीवन का आत्म समर्पण कर दिया था. इस चीज की अगर हम वास्तुकला की बात करें तो बेहद सुंदर और आकर्षक है. क्रिसमस के त्योहार पर हर वर्ष यहां पर भी काफी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और इस त्यौहार को खुशी-खुशी सेलिब्रेट भी करते हैं. इस चर्च में एक स्मारक भी बनाया गया है. जिसमें शहीद सिपाहियों को श्रद्धांजलि दी गई है.
- कानपुर के कैंटोनमेंट इलाके में मौजूद सेंट पैट्रिक चर्च कानपुर के ऐतिहासिक गिरजाघर में से एक है. इसे कैंट इलाके की सबसे बड़ी चर्च माना जाता है, क्रिसमस के त्योहार पर हर वर्ष यहां पर भी भारी संख्या में लोग क्रिसमस के पर्व को मनाने के लिए पहुंचते हैं. शहर के प्रमुख गिरजाघर में सोमवार यह चर्च अंग्रेजों के समय की और उन्हीं की वास्तुकला की देन है. इस बार क्रिसमस के त्योहार पर भी यहां विशेष आयोजन किए गए हैं. पूरे गिरजाघर को रंग बिरंगी लाइटों और झालरों से सजाया गया है.
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- मेघदूत तिराहा से कोई भी वाहन बड़े चौराहा की ओर नहीं जा सकेंगे. ऐसे वाहन मेघदूत तिराहा से सरसैया घाट चौराहे से चेतना चौराहे होते हुए जेड स्क्वायर मॉल अथवा बड़े चौराहा की ओर जा सकेंगे.
- कोतवाली चौराहा नवीन मार्केट व म्योरमील तिराहा की ओर से जेड स्क्वायर मॉल अथवा बड़ा चौराहा की ओर जाने वाले वाहन सीधे बड़ा चौराहा की ओर नहीं जा सकेंगे. ऐसे वाहन ठग्गू के लड्डू तिराहे से बाएं मुड़कर भार्गव हॉस्पिटल चौराहा से डीजे गेट कचहरी चेतना चौराहा होते हुए अपने गंतव्य को जा सकेंगे.
- चेतना चौराहा से कोई भी वाहन डीजे कार्यालय गेट, पुलिस ऑफिस की ओर नहीं जा संकेंगे. ऐसे वाहन चेतना चौराहा से सरसैया घाट चौराहा महिला थाना होते हुए अथवा बड़ा चौराहा से ठग्गू के लड्डू तिराहा होते हुए अपने गंतव्य को जा सकेंगे.
- मेघदूत की ओर से सरसैया घाट होते हुए बड़े चौराहा की ओर आने वाली सभी बसें, ऑटो और ई रिक्शा डीएम कार्यालय गेट से आगे नहीं जा सकेंगे. ऐसे वाहन सरसैया घाट चौराहे से डीएम कार्यालय गेट के मध्य वाहनों को किनारे खड़ा कर सावरियां चढ़ाएंगे और उतारेंगे.
- कारसेट चौराहा सद्भावना चौराहा व कोतवाली चौराहा से आने वाले ई-रिक्शा व ऑटो सोमदत्त प्लाजा से आगे नहीं जा सकेंगे. सोमदत्त प्लाजा पर वाहनों को खड़ा कर सवारियां चढ़ाएंगे और उतारेंगे.
- मेघदूत तिराहे से बड़ा चौराहा चेतना चौराहा से बड़ा चौराहा डीजे गेट से ठग्गू के लड्डू तिराहा सोमदत्त प्लाजा से बड़ा चौराहा तथा कोतवाली चौराहा से बड़ा चौराहा तक नो ई-रिक्शा ऑटो जोन रहेगा.
- शिवाला तिराहा से कोई भी वहां बड़ा चौराहा की ओर नहीं जा सकेंगे.
मेरठ का चमत्कारी चर्च: मेरठ के सरधना में बेगम समरू द्वारा बनवाए गए रोमन कैथलिक चर्च में खास सजावट की गई है. मेरठ मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर सरधना में स्थित इस ऐतिहासिक चर्च को चर्च सौहार्द आस्था और इतिहास का बेजोड़ नमूना कहा जाता है. इस चर्च को पोप जॉन 23वें ने 1961 में माइनर बसिलिका का दर्जा प्रदान किया था. जिसके बाद इस चर्च को चमत्कारी चर्च भी कहा जाता है.
सेंट जोसेफ कैथेड्रल चर्च 1834 में हुआ था तैयार: मेरठ सिटी में स्थित सेंट जोसेफ कैथेड्रल चर्च सन 1834 में तैयार हुआ था. इस चर्च को बेगम समरू ने बनवाया था. बेगम समरू ने यूपी के मेरठ में ही स्थापित सरधना का ऐतिहासिक चर्च भी बनवाया था. आजादी के बाद 1956 में जब आगरा धर्मप्रांत से मेरठ धर्मप्रांत अलग हुआ था. उस समय इस चर्च को महा गिरिजाघर की मान्यता मिली थी, जो कि हर एक धर्म प्रांत में एक ही चर्च होता है.
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