आगरा: चंबल में बढ़ते जलस्तर के कारण लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊंचे टीलों पर तंबू बना कर रहने लगे हैं. अपने परिवार के साथ पशुओं को लेकर लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं. प्रशासन ने मदद के लिए प्रशासनिक कर्मचारियों की टीमें बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए लगायी हैं.
मध्यप्रदेश और राजस्थान में हो रही बारिश और कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते चंबल नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. चंबल का जलस्तर पिनाहट घाट पर खतरे के निशान 130 मीटर को पार करके 135.90 मीटर पहुंच गया. इस कारण तटवर्ती इलाकों के ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
तटवर्ती इलाकों के प्रभावित गांव में प्रशासन ने वन विभाग के चार स्ट्रीमर ग्रामीणों के आवागमन एवं राहत सामग्री पहुंचाने के लिए चला रखे हैं.
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दस बाढ़ चौकियां बनाए जाने के बाद कानूनगो, लेखपालों को तैनात किया गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंच कर लोगों को दवाएं वितरित कर रही हैं. बाढ़ प्रभावित गांव में ग्रामीण अपने हाल पर जीने को मजबूर हैं. चंबल में बाढ़ के चलते तटवर्ती इलाकों के लगभग 40 गांव प्रभावित हैं. दस गांवों के रास्ते पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. इनसे संपर्क पूरी तरह टूट गया है.
गांव के रास्ते पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. इन गांवों में स्ट्रीमर संचालन कराया गया है. फिलहाल स्थिति स्थिर है, अगर बाढ़ का पानी बढ़ता है तो गांवों को खाली भी कराया जा सकता है. वहीं गांवों की विद्युत लाइनों को पानी में डूबने के कारण पूरी तरह बंद करा दिया गया था. कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण शनिवार दोपहर से नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया. इसकी वजह से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.
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बाढ़ के चलते बाह और पिनाहट के गांव प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए चंबल के ऊंचे टीलों पर टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं. तंबू में रह रहे लोगों के लिए बारिश भी आफत बनी हुई है. ग्रामीण फटे त्रिपाल लगाकर रह रहे हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से राशन सामग्री एवं त्रिपाल भी उपलब्ध नहीं कराए गए. उपजिलाधिकारी बाह अब्दुल बासित ने बताया ग्रामीणों के लिए रात में स्टीमर का संचालन किया जा रहा है. राशन सामग्री के साथ दवाएं ग्रामीणों को वितरित की जा रही हैं. किसी भी परिस्थिति के लिए तत्काल स्थानीय कर्मचारियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं.