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चंबल नदी का रौद्र रूप छोड़ गया तबाही का मंजर, मदद की गुहार लगा रहे पीड़ित परिवार

आगरा चंबल नदी का जलस्तर घटने के बाद 70 गावों में बाढ़ की तबाही का मंजर साफ-साफ दिखने लगा है. पीड़ित परिवार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. खाने-पीने के साथ रहने की समस्या जस की तस बनी हुई है.

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आगरा में बाढ़
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Published : Sep 2, 2022, 12:25 PM IST

आगरा. चंबल नदी में आए उफान ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अब चंबल नदी का पानी नीचे उतरने लगा है. इसके बाद 70 से ज्यादा गांवों में बाढ़ की तबाही के सबूत दिखने लगे हैं. बाढ़ में कई पक्के मकान जमींदोज हो गए. वहीं दर्जनों कच्चे मकान बाढ़ बहा ले गई. फसलें बर्बाद हो गईं. हालत ये है कि बाढ़ पीड़ितों के सामने खाने और सिर पर छत तक नहीं है. बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, अब लोगों को संचारी रोग भी सताने लगे हैं.

प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे बाढ़ पीड़ित

गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में बारिश से चंबल नदी में उफान आ गया. इसके बाद कोटा बैराज से 22 लाख क्यूसेक से अधिक पानी नदी में छोड़ा गया, जिससे चंबल नदी ने आगरा में बाढ़ का 26 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. पिनाहट घाट पर चंबल का जलस्तर 137.80 मीटर दर्ज हुआ. वहीं, चंबल के तटवर्ती पिनाहट ब्लॉक, बाह ब्लॉक, जैतपुर ब्लॉक और फतेहाबाद ब्लॉक के 70 गांवों में बाढ़ आ गई. 25 से ज्यादा गांव के संपर्क मार्ग बाढ़ में बह गए.

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बाढ़ से तबाह हुआ मकान

टीलों में पर लगे तंबू, मकान हुए जमींदोजः चंबल नदी में बाढ़ से घरों में पानी भर गया. छत भी पानी में डूब गई. इस पर लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर डेरा जमाया है. बाढ़ पीड़ित बैजनाथ सिंह ने कहा कि सब बेघर हो गए हैं. खाने, पीने और रहने का कोई इंतजाम नहीं हैं. बाढ़ से लोगों के मकान गिर गए हैं. कई लोगों के यहां तो खाना बनाने के लिए सुरक्षित जगह तक नहीं हैं. लोगों का दस लाख रुपए तक का नुकसान है. हमारे यहां देखने के लिए कोई नहीं आया है. ऐसे में प्रशासनिक मदद कौन करेगा. बाढ़ पीड़ित अभिलाख का कहना है कि, बाढ़ की वजह से घर और गांव छोड़ कर अभी भी टोला पर रह रहे हैं. करीब 2 हजार बीघा फसल नष्ट हो गई है. शासन से अभी कोई मदद नहीं मिली है. जैसे-तैसे इंतजाम करके गुजारा कर रहे हैं.

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आगरा में बाढ़ से मकानों में पड़े दरार

ये भी पढ़ेंः महिला से दुष्कर्म की आशंका, आगरा कानपुर हाईवे पर मिली थी बेहोश

वहीं, बाढ़ पीड़ित कप्तान सिंह ने कहा कि सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिल नहीं रहा है. कोई डॉक्टर भी नहीं आए हैं. बुखार और रोगों से लोग परेशान हैं. ऐसे में हम क्या करें. मजबूर हैं. बाढ़ के पानी में कच्चे मकान बह गए तो पक्के मकान पानी में डूबकर जमींदोज हो गए. जो मकान बचे हैं, उनमें दरारें आ गई हैं. ये मकान अब रहने लायक नहीं बचे हैं. इससे भी ग्रामीण घबराए हुए हैं. बाढ़ में हजारों बीघा चंबल पट्टी की फसलें बर्बाद हो गईं. अब ग्रामीणों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

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चंबल नदी में बाढ़ से फसल हो गए नुकसान

स्कूलों के भवन का कराया जा रहा भौतिक सत्यापनः बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि चंबल की बाढ़ में बाह, फतेहाबाद और पिनाहट ब्लॉक के 32 से ज्यादा विद्यालय जलमग्न हो गए थे. जो विद्यालय चंबल नदी की बाढ़ में जलमग्न हुए थे. उनकी बिल्डिंग का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. इस बारे में सभी एबीएसए को निर्देश दिए हैं. जिससे यह पता चल जाए कि बाढ़ के पानी में विद्यालय के भवन सुरक्षित हैं या नहीं. इन भवन में किसी भी तरह का खतरा तो नहीं है. इसके बाद ही विद्यालय में पढ़ाई शुरू कराई जाएगी. ग्राम प्रधान और मौजूद लोगों की मदद से स्कूलों के भवन का सही तरह से भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है.

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आगरा में बाढ़ के चलते टीलों पर रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

ये भी पढ़ेंः चंबल की बाढ़ से गांव में बहकर पहुंचा मगरमच्छ, जानें फिर क्या हुआ

आगरा. चंबल नदी में आए उफान ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अब चंबल नदी का पानी नीचे उतरने लगा है. इसके बाद 70 से ज्यादा गांवों में बाढ़ की तबाही के सबूत दिखने लगे हैं. बाढ़ में कई पक्के मकान जमींदोज हो गए. वहीं दर्जनों कच्चे मकान बाढ़ बहा ले गई. फसलें बर्बाद हो गईं. हालत ये है कि बाढ़ पीड़ितों के सामने खाने और सिर पर छत तक नहीं है. बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, अब लोगों को संचारी रोग भी सताने लगे हैं.

प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे बाढ़ पीड़ित

गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में बारिश से चंबल नदी में उफान आ गया. इसके बाद कोटा बैराज से 22 लाख क्यूसेक से अधिक पानी नदी में छोड़ा गया, जिससे चंबल नदी ने आगरा में बाढ़ का 26 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. पिनाहट घाट पर चंबल का जलस्तर 137.80 मीटर दर्ज हुआ. वहीं, चंबल के तटवर्ती पिनाहट ब्लॉक, बाह ब्लॉक, जैतपुर ब्लॉक और फतेहाबाद ब्लॉक के 70 गांवों में बाढ़ आ गई. 25 से ज्यादा गांव के संपर्क मार्ग बाढ़ में बह गए.

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बाढ़ से तबाह हुआ मकान

टीलों में पर लगे तंबू, मकान हुए जमींदोजः चंबल नदी में बाढ़ से घरों में पानी भर गया. छत भी पानी में डूब गई. इस पर लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर डेरा जमाया है. बाढ़ पीड़ित बैजनाथ सिंह ने कहा कि सब बेघर हो गए हैं. खाने, पीने और रहने का कोई इंतजाम नहीं हैं. बाढ़ से लोगों के मकान गिर गए हैं. कई लोगों के यहां तो खाना बनाने के लिए सुरक्षित जगह तक नहीं हैं. लोगों का दस लाख रुपए तक का नुकसान है. हमारे यहां देखने के लिए कोई नहीं आया है. ऐसे में प्रशासनिक मदद कौन करेगा. बाढ़ पीड़ित अभिलाख का कहना है कि, बाढ़ की वजह से घर और गांव छोड़ कर अभी भी टोला पर रह रहे हैं. करीब 2 हजार बीघा फसल नष्ट हो गई है. शासन से अभी कोई मदद नहीं मिली है. जैसे-तैसे इंतजाम करके गुजारा कर रहे हैं.

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आगरा में बाढ़ से मकानों में पड़े दरार

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वहीं, बाढ़ पीड़ित कप्तान सिंह ने कहा कि सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिल नहीं रहा है. कोई डॉक्टर भी नहीं आए हैं. बुखार और रोगों से लोग परेशान हैं. ऐसे में हम क्या करें. मजबूर हैं. बाढ़ के पानी में कच्चे मकान बह गए तो पक्के मकान पानी में डूबकर जमींदोज हो गए. जो मकान बचे हैं, उनमें दरारें आ गई हैं. ये मकान अब रहने लायक नहीं बचे हैं. इससे भी ग्रामीण घबराए हुए हैं. बाढ़ में हजारों बीघा चंबल पट्टी की फसलें बर्बाद हो गईं. अब ग्रामीणों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

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चंबल नदी में बाढ़ से फसल हो गए नुकसान

स्कूलों के भवन का कराया जा रहा भौतिक सत्यापनः बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि चंबल की बाढ़ में बाह, फतेहाबाद और पिनाहट ब्लॉक के 32 से ज्यादा विद्यालय जलमग्न हो गए थे. जो विद्यालय चंबल नदी की बाढ़ में जलमग्न हुए थे. उनकी बिल्डिंग का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. इस बारे में सभी एबीएसए को निर्देश दिए हैं. जिससे यह पता चल जाए कि बाढ़ के पानी में विद्यालय के भवन सुरक्षित हैं या नहीं. इन भवन में किसी भी तरह का खतरा तो नहीं है. इसके बाद ही विद्यालय में पढ़ाई शुरू कराई जाएगी. ग्राम प्रधान और मौजूद लोगों की मदद से स्कूलों के भवन का सही तरह से भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है.

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