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मूसलाधार बारिश बनी 70 बेजुबानों के लिए आफत, कैस्पर्स होम हुआ जलमग्न - agra rain

आगरा में हुई तेज बारिश के बाद नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण शुक्रवार को 70 बेजुबानों की जान पर बन आई. देर रात नगर निगम की गौशाला का पानी कैस्पर्स होम में घुस गया. कर्मचारियों ने किसी तरह यहां मौजूद 70 डॉग्स की जान बचायी.

caspers home submurged in agra due to heavy rain
caspers home submurged in agra due to heavy rain
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Published : Jul 31, 2021, 12:09 PM IST

आगरा: शुक्रवार देर रात अचानक बारिश का पानी कैस्पर्स होम में घुस गया. यहां दो कर्मचारियों ने 70 बेजुबानों को पानी में आधे डूबे कमरों से बाहर निकाला. कर्मचारी का कहना है कि उसने पास में स्थित नगर निगम की गौशाला से भी मदद मांगी थी. मगर कोई मदद नहीं मिली. कैस्पर्स होम संचालिका कैस्पर्स होम को जलमग्न और कुत्तों की हालत देखकर रोने लगीं. उन्होंने कहा कि पहले डाॅग्स को सुरक्षित दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा.

जानकारी देते कैस्पर्स होम का कर्मचारी और संचालिका
वर्ष 2015 में विनीता अरोड़ा ने सडकों पर घायल, बेहसहारा बेजुबान कुत्तों के लिए कैस्पर्स होम शुरू किया था. वर्ष 2019 में नगर निगम ने यमुना किनारे इस्लाम नगर में गौशाला के पास कैस्पर्स होम के लिए जमीन दी थी. यहां पर विनीता अरोड़ा ने 30 लाख रुपए खर्च करके कैस्पर्स होम बनवाया था. जिसमें अभी 70 कुत्ते रह रहे थे. कैस्पर्स होम के कर्मचारी प्रबल प्रताप ने बताया कि शुक्रवार रात पहले धीमी बारिश हुई. मगर, जब बारिश तेज हुई तो गौशाला की ओर से पानी कैस्पर्स होम में आ गया. नगर निगम ने पानी के निकास की व्यवस्था नहीं की थी, इसलिए देखते ही देखते गौशाला का पानी दीवार को पार करके कुत्तों और उनके खाना बनाने के लिए बनाए गए कमरों में भर गया. मैं और साथी कर्मचारी कुत्तों को बचाने के लिए पानी में उतर गए. उन्होंने एक-एक करके कुत्तों को कमरों से बाहर निकाला. उन्हें बचाकर ऊंचाई पर बने टीनशेड के पिंजरों में रखा गया.

ये भी पढ़ें- Tokyo Olympics 2020, Day 9: महिला चक्का फेंक में कमलप्रीत ने किया फाइनल में क्वालीफाई, सीमा बाहर

कैस्पर्स होम की संचालिका विनीता अरोड़ा ने बताया कि नगर निगम की गौशाला पास में हैं. गौशाला का ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं है. हमने जो टैंक बनवाए थे, वो भर गए थे. इसके बाद डाॅग्स के लिए बनवाए गए कमरों में पानी भर गया. कर्मचारी प्रबल प्रताप की सूचना पर देर रात मैं भी यहां पहुंच गई. मेरे पास अभी 20 से ज्यादा ऐसे डाॅग्स हैं, जो अपाहिज या बीमार हैं. उन्हें मैं सभी डाॅग्स के साथ नहीं रख सकती हूं. इसलिए नगर निगम में ही ले जाउंगी.


विनीता अरोड़ा का कहना है कि कैस्पर्स होम में मैंने खुद, रिश्तेदार और परिजनों की मदद से 30 लाख रुपए लगाए हैं. कैस्पर्स होम के पास ही नगर निगम की गौशाला है. जिसमें दलदल में फंसकर कई गौवंश दम तोड़ चुके हैं. वे गाय को मरते देखते रहते हैं. इन डाॅग्स में मेरी जान बसती है. मैं इन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकती हूं, इसलिए यहां से सभी डाॅग्स को अपने पुराने शेल्टर होम पर ले जा रही हूं.

आगरा: शुक्रवार देर रात अचानक बारिश का पानी कैस्पर्स होम में घुस गया. यहां दो कर्मचारियों ने 70 बेजुबानों को पानी में आधे डूबे कमरों से बाहर निकाला. कर्मचारी का कहना है कि उसने पास में स्थित नगर निगम की गौशाला से भी मदद मांगी थी. मगर कोई मदद नहीं मिली. कैस्पर्स होम संचालिका कैस्पर्स होम को जलमग्न और कुत्तों की हालत देखकर रोने लगीं. उन्होंने कहा कि पहले डाॅग्स को सुरक्षित दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा.

जानकारी देते कैस्पर्स होम का कर्मचारी और संचालिका
वर्ष 2015 में विनीता अरोड़ा ने सडकों पर घायल, बेहसहारा बेजुबान कुत्तों के लिए कैस्पर्स होम शुरू किया था. वर्ष 2019 में नगर निगम ने यमुना किनारे इस्लाम नगर में गौशाला के पास कैस्पर्स होम के लिए जमीन दी थी. यहां पर विनीता अरोड़ा ने 30 लाख रुपए खर्च करके कैस्पर्स होम बनवाया था. जिसमें अभी 70 कुत्ते रह रहे थे. कैस्पर्स होम के कर्मचारी प्रबल प्रताप ने बताया कि शुक्रवार रात पहले धीमी बारिश हुई. मगर, जब बारिश तेज हुई तो गौशाला की ओर से पानी कैस्पर्स होम में आ गया. नगर निगम ने पानी के निकास की व्यवस्था नहीं की थी, इसलिए देखते ही देखते गौशाला का पानी दीवार को पार करके कुत्तों और उनके खाना बनाने के लिए बनाए गए कमरों में भर गया. मैं और साथी कर्मचारी कुत्तों को बचाने के लिए पानी में उतर गए. उन्होंने एक-एक करके कुत्तों को कमरों से बाहर निकाला. उन्हें बचाकर ऊंचाई पर बने टीनशेड के पिंजरों में रखा गया.

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कैस्पर्स होम की संचालिका विनीता अरोड़ा ने बताया कि नगर निगम की गौशाला पास में हैं. गौशाला का ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं है. हमने जो टैंक बनवाए थे, वो भर गए थे. इसके बाद डाॅग्स के लिए बनवाए गए कमरों में पानी भर गया. कर्मचारी प्रबल प्रताप की सूचना पर देर रात मैं भी यहां पहुंच गई. मेरे पास अभी 20 से ज्यादा ऐसे डाॅग्स हैं, जो अपाहिज या बीमार हैं. उन्हें मैं सभी डाॅग्स के साथ नहीं रख सकती हूं. इसलिए नगर निगम में ही ले जाउंगी.


विनीता अरोड़ा का कहना है कि कैस्पर्स होम में मैंने खुद, रिश्तेदार और परिजनों की मदद से 30 लाख रुपए लगाए हैं. कैस्पर्स होम के पास ही नगर निगम की गौशाला है. जिसमें दलदल में फंसकर कई गौवंश दम तोड़ चुके हैं. वे गाय को मरते देखते रहते हैं. इन डाॅग्स में मेरी जान बसती है. मैं इन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकती हूं, इसलिए यहां से सभी डाॅग्स को अपने पुराने शेल्टर होम पर ले जा रही हूं.

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