नई दिल्ली : हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा 24 जनवरी को प्रकाशित रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण, शरारती, बिना शोध की है. इसने हमारे शेयरधारकों और निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. यह बात अडानी समूह ने गुरुवार को एक बयान में कही. अडानी के लीगल ग्रुप हेड जतिन जलुंधवाला ने कहा, रिपोर्ट की वजह से भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता आई. लोगों को अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को अडानी समूह की कंपनियों के शेयर मूल्यों पर हानिकारक प्रभाव डालने के लिए तैयार किया गया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुलासा किया था कि हम यूएस-ट्रेडेड बॉन्ड और गैर-भारतीय-ट्रेडेड डेरिवेटिव के साथ-साथ अन्य गैर-भारतीय-ट्रेडेड रेफरेंस सिक्योरिटीज के माध्यम से अडानी समूह की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन रखते हैं. हम विदेशी संस्था द्वारा निवेशक समुदाय और आम जनता को गुमराह करने के इस जानबूझकर और लापरवाह प्रयास से बहुत परेशान हैं. अडानी समूह और उसके नेताओं की सद्भावना और प्रतिष्ठा को कम करते हैं. FPO (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग) को नुकसान पहुंचाते हैं. हम हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ उपचारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं.
हिंडनबर्ग ने लगाए भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके दो साल के शोध के बाद यह पता चला कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाला अडानी ग्रुप दशकों से 'खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी' में शामिल रहा है. यह रिपोर्ट अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के आवेदन के लिये खुलने से ठीक पहले आयी है. कंपनी का एफपीओ 27 जनवरी को खुलकर 31 जनवरी को बंद होगा.
(आईएएनएस)