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2024 तक भारत के पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने में हो सकती है देरी - पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था

संसदीय पैनल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में मजदूरों का पलायन भारी संख्या में हुआ है. इस कारण 2024 में भारत के पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के सपने में देरी हो सकती है.

india's five trillion dollar economy
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Published : Sep 25, 2020, 11:01 PM IST

नई दिल्ली : शहरी विकास पर संसदीय पैनल ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन से भारी संख्या में श्रम का पलायन हुआ है, जिस कारण 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के सपने में देरी हो सकती है.

संसदीय समिति ने कहा कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में रोजगार की कमी, आवास और शहरी मामलों के उद्देश्यों की प्राप्ति का लक्ष्य 2024 से आगे भी बढ़ सकता है. उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार की प्रतिक्रिया और रणनीति दोनों को मजबूत किया जाना चाहिए.

समिति ने हालांकि चल रहे और भविष्य के सेटअप के लिए मंत्रालय की सराहना की, जो चार प्रमुख मिशनों के तहत योजनाबद्ध हैं. इसमें अन्य बातों के साथ शहरी क्षेत्र में समग्र स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए भारी निवेश के साथ एक और पांच साल के एसडब्लूएम का विस्तार शामिल है. 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में ले जाने का लक्ष्य था.

अपनी सिफारिशों में भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में समिति ने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुदान (2020-21) की मांग है. जो 57,786 करोड़ रुपये के सकल प्रावधान और 50-5039 करोड़ रुपये के शुद्ध प्रावधान का प्रस्ताव करती है.

इसमें गरीबी उन्मूलन, किफायती आवास और स्वच्छता के तीन बड़े मुद्दों को संबोधित करते हुए तीन स्तरीय रणनीति के माध्यम से PMAY (U), SCM, SBM (U) और DAY-NULM के प्रमुख फ्लैगशिप कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से शहरीकरण की चुनौतियों के लिए सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला गया. शहरी भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

बता दें कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने संसदीय समिति को सूचित किया है कि मई 2014 से सरकार ने शहरीकरण के सबसे व्यापक कार्यक्रम में से एक पर शुरू किया. मंत्रालय ने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे के लिए अधिक धन के महत्वपूर्ण मुद्दों को 2014-15 से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के तहत बजटीय आवंटन में पर्याप्त वृद्धि से संबोधित किया गया था.

इसने कहा कि 10 साल की अवधि (2004-05 और 2013-14) के दौरान वार्षिक औसत बजटीय आवंटन लगभग 15,800 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर लगभग 47,000 करोड़ रुपये हो गया है.

पिछले 6 वर्षों में शहरी क्षेत्र में किए गए निवेश को ध्यान में रखते हुए 2020-21 के लिए बजटीय आवंटन और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में शहरी बुनियादी ढांचे पर 17,74,167 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा था.

नई दिल्ली : शहरी विकास पर संसदीय पैनल ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन से भारी संख्या में श्रम का पलायन हुआ है, जिस कारण 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के सपने में देरी हो सकती है.

संसदीय समिति ने कहा कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में रोजगार की कमी, आवास और शहरी मामलों के उद्देश्यों की प्राप्ति का लक्ष्य 2024 से आगे भी बढ़ सकता है. उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार की प्रतिक्रिया और रणनीति दोनों को मजबूत किया जाना चाहिए.

समिति ने हालांकि चल रहे और भविष्य के सेटअप के लिए मंत्रालय की सराहना की, जो चार प्रमुख मिशनों के तहत योजनाबद्ध हैं. इसमें अन्य बातों के साथ शहरी क्षेत्र में समग्र स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए भारी निवेश के साथ एक और पांच साल के एसडब्लूएम का विस्तार शामिल है. 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में ले जाने का लक्ष्य था.

अपनी सिफारिशों में भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में समिति ने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुदान (2020-21) की मांग है. जो 57,786 करोड़ रुपये के सकल प्रावधान और 50-5039 करोड़ रुपये के शुद्ध प्रावधान का प्रस्ताव करती है.

इसमें गरीबी उन्मूलन, किफायती आवास और स्वच्छता के तीन बड़े मुद्दों को संबोधित करते हुए तीन स्तरीय रणनीति के माध्यम से PMAY (U), SCM, SBM (U) और DAY-NULM के प्रमुख फ्लैगशिप कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से शहरीकरण की चुनौतियों के लिए सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला गया. शहरी भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

बता दें कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने संसदीय समिति को सूचित किया है कि मई 2014 से सरकार ने शहरीकरण के सबसे व्यापक कार्यक्रम में से एक पर शुरू किया. मंत्रालय ने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे के लिए अधिक धन के महत्वपूर्ण मुद्दों को 2014-15 से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के तहत बजटीय आवंटन में पर्याप्त वृद्धि से संबोधित किया गया था.

इसने कहा कि 10 साल की अवधि (2004-05 और 2013-14) के दौरान वार्षिक औसत बजटीय आवंटन लगभग 15,800 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर लगभग 47,000 करोड़ रुपये हो गया है.

पिछले 6 वर्षों में शहरी क्षेत्र में किए गए निवेश को ध्यान में रखते हुए 2020-21 के लिए बजटीय आवंटन और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में शहरी बुनियादी ढांचे पर 17,74,167 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा था.

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