नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पांचवी और आठवीं क्लास के छात्र-छात्राओं के लिए खत्म की गई नो डिटेंशन पॉलिसी को लेकर दिल्ली के अभिभावकों और शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय सही है. दिल्ली के गणेश नगर इलाके की रहने वाली एक अभिभावक वीना ने कहा कि नो डिटेंशन पॉलिसी के खत्म होने से अब बच्चों को भी थोड़ा पढ़ाई के प्रति ध्यान देने के बारे में सोचना पड़ेगा.
अभी तक यह नियम था कि पांचवीं और आठवीं क्लास तक बच्चों को स्कूल द्वारा पास किया जाना अनिवार्य था. बच्चा अगर फेल भी होता है तो भी उसको डिटेन नहीं किया जाएगा. उसको आगे की कक्षा में प्रमोट किया जाएगा. इस नियम से अधिकतर बच्चे पढ़ाई में मेहनत नहीं करते थे और आगे नौवीं और दसवीं की कक्षा में जाने पर उनको परेशानी का सामना करना पड़ता था. कहीं न कहीं अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई पर थोड़ा कम ध्यान देते थे, क्योंकि उनको भी यह रहता था कि बच्चा नहीं पढ़ेगा तब भी स्कूल को पास तो करना ही है.
पढ़ाई के प्रति बढ़ेगी गंभीरता : पांडव नगर के रहने वाले शिक्षक महेश भारती ने भी सरकार के द्वारा नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि मैं एक शिक्षक हूं और मैं भी यह मानता हूं कि इस पॉलिसी की वजह से कहीं ना कहीं बच्चे और उनके मां-बाप दोनों ही पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं रहते थे. उनके मन में यह बात कहीं ना कहीं जरूर रहती थी कि जब सरकार का नियम ही है कि बच्चों को आठवीं तक पास करना ही है तो फिर ज्यादा चिंता करने की क्या जरूरत है. अब नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म होने से बच्चों और अभिभावक दोनों की पढ़ाई के प्रति गंभीरता बढ़ेगी. इसके अच्छे परिणाम आएंगे. पहले भी इसी तरह का नियम होता था. लेकिन, बीच में नो डिटेंशन पॉलिसी के आने से पढ़ाई के प्रति बच्चों में गंभीरता कम हो गई और नौवीं और दसवीं में जाने पर उन्हें परेशानियों का सामना करना पढ़ने लगा और इसी वजह से नौवीं और दसवीं के रिजल्ट में भी गिरावट आने लगी.
बच्चों की पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा: पटपड़गंज के रहने वाले राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार का नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का निर्णय सही है. अभी तक यह होता था कि चाहे बच्चा पांचवी का है या छठवीं का है, कोर्स खत्म कर पाया हो या नहीं, उसने पूरा सिलेबस पढ़ा हो या नहीं, उसको अगली कक्षा में प्रमोट करना ही करना है. इस तरह से बच्चे की पढ़ाई की बुनियाद कमजोर हो जाती थी और आगे नौवीं कक्षा में जाने पर बच्चों के ऊपर पढ़ाई का एकदम बोझ पड़ जाता था और अधिकतर बच्चे फेल हो जाते थे. इस पॉलिसी के खत्म होने से अब बच्चों की पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा और उनकी पढ़ाई की जड़ मजबूत होगी. साथ ही सरकार द्वारा इसमें यह प्रावधान करना चाहिए कि बच्चे को 2 महीने के अंदर दोबारा से टेस्ट का मौका दिया जाएगा. टेस्ट में पास होने पर उसको अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा. यह अच्छा कदम है.
पहले नो डिटेंशन पॉलिसी नहीं थी: वहीं अन्य अभिभावक रूपेंद्र प्रकाश शर्मा ने कहा की सरकार का यह निर्णय बहुत अच्छा है. इससे पढ़ाई पूरी करके ही टैलेंटेड बच्चे आगे जाएंगे. हमारे समय में भी इसी तरह का नियम था. परीक्षा पास करने के लिए एक बार ही चांस मिलता था और उसमें अगर फेल हो जाते थे तो फिर से उसी कक्षा में पढ़ाई करनी पड़ती थी लेकिन, बाद में यह नियम आने से कि बच्चा फेल हो तो भी उसको अगली कक्षा प्रमोट करना ही है. इस नियम से बच्चों के टैलेंट में कमी आने लगी. अब इस व्यवस्था के खत्म होने से आगे मेहनत करके और मेहनत से पास होकर के जो बच्चा आगे बढ़ेगा वह आगे भी जाकर अच्छा करेगा. उसका भविष्य भी उज्जवल होगा. उसे आगे अपने करियर में तरक्की करने में किसी सिफारिश की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. बतादें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करते हुए पांचवी और आठवीं कक्षा में बच्चों के फेल होने के बाद भी उनको अगली कक्षा में प्रमोट करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.
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