नई दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि वाणिज्य मंत्रालय ने सोने के आभूषणों के लिए बीआईएस हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, लेकिन इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सूचित करने के बाद ही लागू किया जा सकता है.
विश्व व्यापार संगठन के वैश्विक व्यापार नियमों के अनुसार, एक सदस्य देश को जिनेवा-आधारित बहुपक्षीय निकाय के साथ किसी गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को अधिसूचित करना होता है और इस प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लगता है.
गोल्ड हॉलमार्किंग शुद्धता का प्रमाण है और वर्तमान में यह स्वैच्छिक आधार पर लागू किया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), हॉलमार्किंग के लिए प्रशासनिक प्राधिकार है. इसने तीन ग्रेड - 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट के सोने के लिए हॉलमार्किंग के लिए मानक तय किए हैं.
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पासवान ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वाणिज्य विभाग ने एक अक्टूबर को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसे लागू करने के पहले डब्ल्यूटीओ के संदर्भ में कुछ तकनीकी समस्या है."
इस मुद्दे के बारे में बताते हुए, उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश के श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों को विश्व व्यापार संगठन को अधिसूचित गुणवत्ता नियंत्रण आदेश का जवाब देने के लिए दो महीने का समय देना होता है.
मौजूदा समय में, देश भर में लगभग 800 हॉलमार्किंग केंद्र हैं और केवल 40 प्रतिशत आभूषणों की हॉलमार्किग की जाती है. भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक देश है, जो मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करता है. मात्रा के संदर्भ में, देश प्रतिवर्ष 700-800 टन सोने का आयात करता है.