प्रयागराज: केंद्र सरकार के कैबिनेट बैठक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति पर पुरानी व्यवस्था बहाल होने का प्रतियोगी छात्रों ने स्वागत किया है. उनका मानना है कि सरकार का यह कदम सराहनीय है. हालांकि कुछ राजनीतिक दल और भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी भी 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करने की मांग पहले से ही कर चुकी थी. जिसको लेकर यह फैसला लिया गया.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्य कर रहे आनंद पांडेय का कहना है कि सरकार ने शिक्षा का जो राजनीतिकरण हुआ है उससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वास होता है. पिछले दो-तीन सालों से देश के जितने भी विश्वविद्यालय और राज्य विश्वविद्यालय हैं उनमें नियुक्तियों पर लगे अटकल से शिक्षण का कार्य प्रभावित हुआ है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
गेस्ट फैकल्टी आनंद ने कहा कि सरकार ने पुरानी पद्धति को बहाल करके नियुक्ति के लिए जो अध्यादेश लाए हैं उससे नियुक्तियां तो हो जाएंगी. लेकिन इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि जो प्रक्रिया पुरानी चल रही है पहले उसे हो जाने दे बाद में इस अध्यादेश के हिसाब से नियुक्तियों को किया जाए. जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शिक्षकों की भर्ती पूर्ण की जाए.
वहीं विश्वविद्यालय के गेस्ट फैकेल्टी अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि जो रोस्टर है वह ठीक है. लेकिन इसके नाम पर पिछले साल भर से जो विलंब किया गया उसके चलते शिक्षण का जो कार्य प्रभावित हुआ है वह गलत है. रोस्टर के नाम पर नियुक्तियों का लटकाना शिक्षण कार्य को प्रभाव प्रभावित करेगा इसलिए नियुक्ति के लिए अभी जो प्रक्रिया चल रही है उसे पूर्ण किया जाए.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रतियोगी छात्र वह यहां पर विज्ञान संख्याएं में शोध रत प्रदीप कुमार का कहना है कि सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश का हम स्वागत करते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा वह तभी संभव है यह शिक्षकों की नियुक्ति जल्द हो सरकार को इस पर भी ध्यान रखना होगा.