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उन्नाव : शब-ए-कद्र के साथ शुरू हो गया तीसरा और आखिरी अशरा - third ashra start of holy month ramadan

रविवार की रात से रमजान के आखिरी अशरे की शुरुआत हो गई है. इस रात से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एतकाफ में बैठेंगे.

शब-ए-कद्र के साथ शुरू हो गया तीसरा और आखिरी अशरा.
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Published : May 28, 2019, 5:43 PM IST

उन्नाव : रविवार की रात से रमजान के आखिरी अशरे की शुरुआत हो गई है. इस रात से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एतकाफ में बैठेंगे. इसमें सभी रोजेदार शब-ए-कद्र में जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं. वहीं इसके साथ ही ईद को लेकर लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है, जिससे बाजारों में रौनक बढ़ गई है.

शब-ए-कद्र के साथ शुरू हो गया तीसरा और आखिरी अशरा.

शहर काजी मौलाना ने बताया कि इस मुबारक महीने की पहली शब-ए-कद्र यानी रात में ही लोग एतकाफ में बैठते हैं. एतकाफ आखिरी अशरे में 10 दिनों के लिए होता है. इस दौरान लोग मस्जिदों में ही रुक कर नमाज और कुरान की तिलावत करते हैं. एतकाफ में मस्जिद से बाहर नहीं निकला जाता है. ईद का चांद निकलने के बाद ही एतकाफ में बैठे लोग मस्जिद से बाहर जाते हैं.

आखिरी अशरे में पांचों शब-ए-कद्र होती है, जिन्हें हजार महीनों से बेहतर माना गया है. इसमें रात भर जागकर मुस्लिम अल्लाह की इबादत करते हैं. शहर काजी मौलाना के अनुसार शब-ए-कद्र में लोगों को अल्लाह से अपने गुनाहों की रो-रोकर माफी मांगनी चाहिए. नमाज और कुरान की तिलावत ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए.

उन्नाव : रविवार की रात से रमजान के आखिरी अशरे की शुरुआत हो गई है. इस रात से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एतकाफ में बैठेंगे. इसमें सभी रोजेदार शब-ए-कद्र में जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं. वहीं इसके साथ ही ईद को लेकर लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है, जिससे बाजारों में रौनक बढ़ गई है.

शब-ए-कद्र के साथ शुरू हो गया तीसरा और आखिरी अशरा.

शहर काजी मौलाना ने बताया कि इस मुबारक महीने की पहली शब-ए-कद्र यानी रात में ही लोग एतकाफ में बैठते हैं. एतकाफ आखिरी अशरे में 10 दिनों के लिए होता है. इस दौरान लोग मस्जिदों में ही रुक कर नमाज और कुरान की तिलावत करते हैं. एतकाफ में मस्जिद से बाहर नहीं निकला जाता है. ईद का चांद निकलने के बाद ही एतकाफ में बैठे लोग मस्जिद से बाहर जाते हैं.

आखिरी अशरे में पांचों शब-ए-कद्र होती है, जिन्हें हजार महीनों से बेहतर माना गया है. इसमें रात भर जागकर मुस्लिम अल्लाह की इबादत करते हैं. शहर काजी मौलाना के अनुसार शब-ए-कद्र में लोगों को अल्लाह से अपने गुनाहों की रो-रोकर माफी मांगनी चाहिए. नमाज और कुरान की तिलावत ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए.

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स्पेशल स्टोरी


रविवार की रात से माहे रमजान के आखिरी अशरे की शुरुआत हो गई है इस रात से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एतकाफ में बैठेंगे। इसमें सभी रोजेदार शब ए कद्र में जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं माहे रमजान का दूसरा अशरा खत्म होने के बाद तीसरे और आखिरी अशरा जहन्नम से निजात पाने का होता है इस अशरे की शुरुआत शबे कद्र से होती है इसी के साथ ईद को लेकर लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है इससे बाजारों में रौनक बढ़ गई है।


Body:शहर काजी मौलाना ने बताया कि इस मुबारक महीने की पहली शब ए कद्र यानी रात में ही लोग एतकाफ मैं बैठते हैं एतकाफ आखिरी अशरे में 10 दिनों के लिए होता है जिसमें लोग इस दौरान मस्जिदों में ही रुक कर नमाज व कुरान की तिलावत करते हैं एतकाफ में मस्जिद से बाहर नहीं निकला जाता है ईद का चांद निकलने के बाद ही एतकाफ में बैठे लोग मस्जिद से बाहर आते हैं आखिरी अशरे में पांचों शब ए कद्र होती है। जिन्हें हजार महीनों से बेहतर माना गया है इसमें रात भर जागकर मुस्लिम अल्लाह की इबादत करते हैं उलेमाओं का कहना है कि शब ए कद्र में लोगों को अल्लाह से अपने गुनाहों की रो-रोकर माफी मांगनी चाहिए नवाफिल नमाज और कुरान की तिलावत ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए।

टिकटैक:-- मौलाना निशार अहमद निश्बाही शहर काजी व इमाम शाही मस्जिद



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