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कन्नौज: डीएनए रिपोर्ट से होगा परी के पिता का फैसला, 57 दिन बाद भेजी गई लखनऊ - कन्नौज अस्पताल समाचार

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में मासूम परी की किस्मत का फैसला अब डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही होगा. अस्पताल में जन्म के बाद परी को उसके कथित पिता ने अपनाने से इनकार कर दिया था. आरोपों के मुताबिक प्रसव के बाद बेटा पैदा होने के बाद अस्पताल ने उसे बदलकर बेटी देने की कोशिश की थी.

डीएनए रिपोर्ट से होगा परी की किस्मत का फैसला
डीएनए रिपोर्ट से होगा परी की किस्मत का फैसला
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Published : Nov 6, 2020, 8:00 PM IST

कन्नौज: जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती नवजात परी कानूनी पेंचों में फंसी है. आखिरकार 57 दिनों के बाद परी को लखनऊ के बाल गृह भेज दिया गया. शुक्रवार को बाल संरक्षण की टीम और चिकित्सक की टीम की निगरानी में जीवन रक्षक एंबुलेंस से परी लखनऊ भेजी गई. परी को लखनऊ भेजने से पहले एसएनसीयू वार्ड में नजारा कुछ अलग ही दिखा. वार्ड में मौजूद डॉक्टर व स्टाफ कर्मचारियों की आंखों से आंसू छलक आए. सभी ने भरी आंखों से परी को विदाई दी. स्टाफ कर्मचारी परी की अपने बच्चे की तरह परवरिश कर रहे थे.

क्या है मामला

दरअसल सदर कोतवाली के वंशरामऊ गांव निवासी आरती की शादी औरैया जनपद के बेला कस्बा निवासी आकाश के साथ हुई थी. प्रसव के लिए वह अपने मायके आ गई थी. बीते 11 सितम्बर को प्रसव पीड़ा होने पर आरती को परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. यहां पर डॉ. मनप्रीत कौर ने स्टाफ के साथ आरती का प्रसव कराया था. बताया जा रहा है कि महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया था. बच्ची के जन्म लेने के कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गई थी. इसके बाद पति आकाश व आशा बहू ने अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. उसके बाद पिता ने बच्ची को लेने से इनकार कर दिया. पिता का आरोप था कि उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल बच्ची दे रहा है. उसके बाद से ही बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती थी.

57 दिनों बाद लखनऊ भेजी गई परी

परिजनों के बच्ची को अपनाने से इनकार करने के बाद प्रशासन ने बाल संरक्षण विभाग को परी को शिशु गृह लखनऊ भेजने की जिम्मेदारी दी थी. शुक्रवार को बाल संरक्षण और चिकित्सकों की टीम परी को जीवन रक्षक विशेष एंबुलेंस से लेकर लखनऊ ले गई.

नम आंखों से विदा की गई परी

जन्म लेने के बाद से ही परी को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था. इसके बाद स्टाफ ने बच्ची का नाम परी रखा था. सभी कर्मचारी बच्ची को अपने बच्चों की तरह ही प्यार करने लगे थे. उसके लिए नए कपड़े व अन्य सामान भी लेकर आते थे. शुक्रवार को लखनऊ जाते समय परी को विदाई देते समय सभी की आंखें नम थी.

डीएनए रिपोर्ट आने के बाद होगा परी के भाग्य का फैसला

जिला अस्पताल प्रशासन ने बच्ची व उसके माता-पिता का डीएनए सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा है. अब जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि परी किसके साथ रहेगी. फिलहाल परी की जब तक रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक लखनऊ के बाल गृह में ही रहना पड़ेगा. इस बारे में सीएमएस डॉ. शक्ति बसु का कहना है कि परी के जाने का दुख है. जल्द से जल्द डीएनए प्रकरण सुलझ जाए और पिता बच्ची को अपना लें. बच्ची अब स्वस्थ्य है.

कन्नौज: जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती नवजात परी कानूनी पेंचों में फंसी है. आखिरकार 57 दिनों के बाद परी को लखनऊ के बाल गृह भेज दिया गया. शुक्रवार को बाल संरक्षण की टीम और चिकित्सक की टीम की निगरानी में जीवन रक्षक एंबुलेंस से परी लखनऊ भेजी गई. परी को लखनऊ भेजने से पहले एसएनसीयू वार्ड में नजारा कुछ अलग ही दिखा. वार्ड में मौजूद डॉक्टर व स्टाफ कर्मचारियों की आंखों से आंसू छलक आए. सभी ने भरी आंखों से परी को विदाई दी. स्टाफ कर्मचारी परी की अपने बच्चे की तरह परवरिश कर रहे थे.

क्या है मामला

दरअसल सदर कोतवाली के वंशरामऊ गांव निवासी आरती की शादी औरैया जनपद के बेला कस्बा निवासी आकाश के साथ हुई थी. प्रसव के लिए वह अपने मायके आ गई थी. बीते 11 सितम्बर को प्रसव पीड़ा होने पर आरती को परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. यहां पर डॉ. मनप्रीत कौर ने स्टाफ के साथ आरती का प्रसव कराया था. बताया जा रहा है कि महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया था. बच्ची के जन्म लेने के कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गई थी. इसके बाद पति आकाश व आशा बहू ने अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. उसके बाद पिता ने बच्ची को लेने से इनकार कर दिया. पिता का आरोप था कि उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल बच्ची दे रहा है. उसके बाद से ही बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती थी.

57 दिनों बाद लखनऊ भेजी गई परी

परिजनों के बच्ची को अपनाने से इनकार करने के बाद प्रशासन ने बाल संरक्षण विभाग को परी को शिशु गृह लखनऊ भेजने की जिम्मेदारी दी थी. शुक्रवार को बाल संरक्षण और चिकित्सकों की टीम परी को जीवन रक्षक विशेष एंबुलेंस से लेकर लखनऊ ले गई.

नम आंखों से विदा की गई परी

जन्म लेने के बाद से ही परी को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था. इसके बाद स्टाफ ने बच्ची का नाम परी रखा था. सभी कर्मचारी बच्ची को अपने बच्चों की तरह ही प्यार करने लगे थे. उसके लिए नए कपड़े व अन्य सामान भी लेकर आते थे. शुक्रवार को लखनऊ जाते समय परी को विदाई देते समय सभी की आंखें नम थी.

डीएनए रिपोर्ट आने के बाद होगा परी के भाग्य का फैसला

जिला अस्पताल प्रशासन ने बच्ची व उसके माता-पिता का डीएनए सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा है. अब जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि परी किसके साथ रहेगी. फिलहाल परी की जब तक रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक लखनऊ के बाल गृह में ही रहना पड़ेगा. इस बारे में सीएमएस डॉ. शक्ति बसु का कहना है कि परी के जाने का दुख है. जल्द से जल्द डीएनए प्रकरण सुलझ जाए और पिता बच्ची को अपना लें. बच्ची अब स्वस्थ्य है.

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