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लखनऊ: परीक्षाओं के विरोध में छात्रों ने शुरू किया धरना

राजधानी स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय में 7 जुलाई से प्रस्तावित परीक्षाओं के विरोध में शुक्रवार को छात्र धरने पर बैठ गए हैं. विद्यार्थियों ने कहा कि जब तक प्रस्तावित परीक्षाओं को रद्द करने का आदेश जारी नहीं होगा, उनका धरना जारी रहेगा.

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लखनऊ विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे छात्र.
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Published : Jun 26, 2020, 5:36 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रस्तावित परीक्षाओं के विरोध में शुक्रवार को छात्रों का एक समूह धरने पर बैठ गया. आवासीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी परीक्षाएं न कराने के लिए उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को पत्र भेजा है.

कोरोना काल में विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में सरस्वती प्रतिमा के समक्ष धरना शुरू कर दिया हैं. विद्यार्थियों ने कहा कि जब तक 7 जुलाई से प्रस्तावित परीक्षाओं को रद्द करने का आदेश जारी नहीं होगा, उनका धरना जारी रहेगा.

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लखनऊ विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे छात्र.

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश आवासीय विश्वविद्यालय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर चितरंजन मिश्र और महामंत्री डॉ. पुष्प्पेंद्र मिश्रा ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जुलाई माह में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का आयोजन न कराया जाए. शिक्षक महासंघ ने अपने मांग पत्र में बिंदुवार उन तत्वों का उल्लेख भी किया है, जिनकी वजह से परीक्षाओं का आयोजन न कराना ही उचित है.

मांग पत्र के मुख्य बिंदु

  • यातायात का मुख्य साधन ट्रेनों का संचालन भी 12 अगस्त तक बंद कर दिया गया है. ऐसे में छात्रों, अभिभावकों आदि को परीक्षा के लिए विवश करना उचित ही नहीं, बल्कि उनका मानसिक उत्पीड़न करने जैसा है.
  • छात्रों एवं अभिभावकों के रहने एवं खाने की व्यवस्था न तो छात्रावासों में है और न कोई किराये पर मकान देने को तैयार है. सभी लोग कोरोना महामारी संक्रमण से डरे हुए हैं.
  • उत्तर प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय/महाविद्यालय को सैनिटाइज नहीं कराया गया है, केवल प्रशासनिक अधिकारियों के कार्य स्थलों को सैनिटाइज किया जा रहा है.
  • छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों को मेडिकल की किसी भी प्रकार सुविधा नहीं है. इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • सेमेस्टर व्यवस्था को तत्काल समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली को लागू किया जाए.

    उत्तर प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारत वर्ष में कोरोना महामारी के निरन्तर विस्तार को ध्यान में रखते हुए छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों के जीवन को सुरक्षित करने का दायित्व भी सरकार का है. महामंत्री डॉ. पुष्प्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि एक जुलाई से होने वाली सीबीएससी और आईसीएससी की परीक्षाएं भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर निरस्त कर दी गयी हैं. ऐसे में कोरोना महामारी के संक्रमण के विस्तार को रोकने लिए यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में समस्त प्रकार की होने वाली परीक्षाओं को निरस्त करने के साथ ही छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बचाया जाए.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रस्तावित परीक्षाओं के विरोध में शुक्रवार को छात्रों का एक समूह धरने पर बैठ गया. आवासीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी परीक्षाएं न कराने के लिए उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को पत्र भेजा है.

कोरोना काल में विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में सरस्वती प्रतिमा के समक्ष धरना शुरू कर दिया हैं. विद्यार्थियों ने कहा कि जब तक 7 जुलाई से प्रस्तावित परीक्षाओं को रद्द करने का आदेश जारी नहीं होगा, उनका धरना जारी रहेगा.

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लखनऊ विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे छात्र.

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश आवासीय विश्वविद्यालय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर चितरंजन मिश्र और महामंत्री डॉ. पुष्प्पेंद्र मिश्रा ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जुलाई माह में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का आयोजन न कराया जाए. शिक्षक महासंघ ने अपने मांग पत्र में बिंदुवार उन तत्वों का उल्लेख भी किया है, जिनकी वजह से परीक्षाओं का आयोजन न कराना ही उचित है.

मांग पत्र के मुख्य बिंदु

  • यातायात का मुख्य साधन ट्रेनों का संचालन भी 12 अगस्त तक बंद कर दिया गया है. ऐसे में छात्रों, अभिभावकों आदि को परीक्षा के लिए विवश करना उचित ही नहीं, बल्कि उनका मानसिक उत्पीड़न करने जैसा है.
  • छात्रों एवं अभिभावकों के रहने एवं खाने की व्यवस्था न तो छात्रावासों में है और न कोई किराये पर मकान देने को तैयार है. सभी लोग कोरोना महामारी संक्रमण से डरे हुए हैं.
  • उत्तर प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय/महाविद्यालय को सैनिटाइज नहीं कराया गया है, केवल प्रशासनिक अधिकारियों के कार्य स्थलों को सैनिटाइज किया जा रहा है.
  • छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों को मेडिकल की किसी भी प्रकार सुविधा नहीं है. इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • सेमेस्टर व्यवस्था को तत्काल समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली को लागू किया जाए.

    उत्तर प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारत वर्ष में कोरोना महामारी के निरन्तर विस्तार को ध्यान में रखते हुए छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों के जीवन को सुरक्षित करने का दायित्व भी सरकार का है. महामंत्री डॉ. पुष्प्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि एक जुलाई से होने वाली सीबीएससी और आईसीएससी की परीक्षाएं भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर निरस्त कर दी गयी हैं. ऐसे में कोरोना महामारी के संक्रमण के विस्तार को रोकने लिए यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में समस्त प्रकार की होने वाली परीक्षाओं को निरस्त करने के साथ ही छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बचाया जाए.
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