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बुंदेलखंड: लाइन 883 लाएगा किसानों की आंखों में खुशी के आंसू

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Published : May 11, 2019, 3:16 PM IST

नासिक में तैयार की गई लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन का किसान कम लागत में बहुत अधिक उत्पादन कर सकते हैं. यह कम दिनों में तैयार होने वाली और ज्यादा उत्पादन देने वाली प्याज की प्रजाति है.

लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन

बांदा : रोजी और रोजगार न होने के चलते बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग पलायन कर रहे हैं. अब ऐसे में कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक प्याज की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जिसमें कम लागत में बहुत अधिक उत्पादन होगा. इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है.

ज्यादा उत्पादन देने वाली लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन प्याज.

प्याज के इस प्रजाति से किसानों को क्या होगा फायदा

  • इस प्याज की खेती एक बीघे की फसल में ही कई हजार का मुनाफा किसानों को दे सकती है.
  • कम खर्चे में और पानी की भी कम आवश्यकता इस प्रजाति के प्याज को होती है.

बुंदेलखंड के कई किसान लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन प्याज की कर रहे खेती

  • प्याज की प्रजाति का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है.
  • इस प्याज को नासिक में तैयार किया गया है.
  • बांदा कृषि एवं प्रौद्दोगिकी विश्विद्यालय ने शोध में पाया कि 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है.
  • इस शोध में यह दोनों प्रजाति के प्याज यहां की भूगोलिक स्थित और यहां की जमीन के हिसाब से अनुकूलित है.
  • यह कम दिनों में तैयार होने वाली, ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजाति है.
  • साथ ही कम दिनों में तैयार होने वाली प्याज की प्रजाति है.
  • इसकी खेती बुंदेलखंड के कई किसान कर भी रहे हैं.

इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है. वहां से ही बीज मंगाकर इसे अब कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है. पिछले साल भी इसका मूल्यांकन किया गया था. इस बार भी इसका मूल्यांकन किया गया है, जो बुंदेलखंड के लिए अनुकूलित है. बुंदेलखंड में सीजनल पलायन बहुत होता है. यहां के किसान जब अपनी फसलों को समेट लेता है तो फिर कमाने प्रदेश निकल जाते है. इससे खरीफ के सीजन में यहां पर खेत खाली पड़े रहते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने यह खरीफ ओनियन की प्रजाति तैयार की है. यह प्रजाति बाहर तैयार की गई है, लेकिन किए गए शोध में पाया गया है कि यहां पर 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है. इससे यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इसको लेकर अब किसानों को प्रेरित किया जाएगा. वह इस प्रजाति के प्याज का उत्पादन करें और मुनाफा कमाएं.

-डॉ. यूएस गौतम , कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति

बांदा : रोजी और रोजगार न होने के चलते बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग पलायन कर रहे हैं. अब ऐसे में कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक प्याज की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जिसमें कम लागत में बहुत अधिक उत्पादन होगा. इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है.

ज्यादा उत्पादन देने वाली लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन प्याज.

प्याज के इस प्रजाति से किसानों को क्या होगा फायदा

  • इस प्याज की खेती एक बीघे की फसल में ही कई हजार का मुनाफा किसानों को दे सकती है.
  • कम खर्चे में और पानी की भी कम आवश्यकता इस प्रजाति के प्याज को होती है.

बुंदेलखंड के कई किसान लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन प्याज की कर रहे खेती

  • प्याज की प्रजाति का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है.
  • इस प्याज को नासिक में तैयार किया गया है.
  • बांदा कृषि एवं प्रौद्दोगिकी विश्विद्यालय ने शोध में पाया कि 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है.
  • इस शोध में यह दोनों प्रजाति के प्याज यहां की भूगोलिक स्थित और यहां की जमीन के हिसाब से अनुकूलित है.
  • यह कम दिनों में तैयार होने वाली, ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजाति है.
  • साथ ही कम दिनों में तैयार होने वाली प्याज की प्रजाति है.
  • इसकी खेती बुंदेलखंड के कई किसान कर भी रहे हैं.

इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है. वहां से ही बीज मंगाकर इसे अब कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है. पिछले साल भी इसका मूल्यांकन किया गया था. इस बार भी इसका मूल्यांकन किया गया है, जो बुंदेलखंड के लिए अनुकूलित है. बुंदेलखंड में सीजनल पलायन बहुत होता है. यहां के किसान जब अपनी फसलों को समेट लेता है तो फिर कमाने प्रदेश निकल जाते है. इससे खरीफ के सीजन में यहां पर खेत खाली पड़े रहते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने यह खरीफ ओनियन की प्रजाति तैयार की है. यह प्रजाति बाहर तैयार की गई है, लेकिन किए गए शोध में पाया गया है कि यहां पर 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है. इससे यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इसको लेकर अब किसानों को प्रेरित किया जाएगा. वह इस प्रजाति के प्याज का उत्पादन करें और मुनाफा कमाएं.

-डॉ. यूएस गौतम , कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति

Intro:SLUG- बुंदेलखंड में ये प्याज की प्रजातियां ला सकती हैं किसानों के चेहरे में खुशहाली 
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 10-05-19
ANCHOR- रोजी और रोजगार ना होने के चलते बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग पलायन कर रहे हैं। अब ऐसे में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक प्याज की ऐसी प्रजाति तैयार की है। जिसमें कम लागत में बहुत अधिक उत्पादन होगा। इस प्रजाति से यहां के किसानों को बहुत फायदा होगा क्योंकि यह प्याज की प्रजाति एक बीघे की फसल में ही कई हजार का मुनाफा किसानों को दे सकती है। वहीं इस पर खर्चे भी कम है और पानी की भी कम आवश्यकता इस प्रजाति को होती है।





Body:वीओ - दरअसल प्याज की प्रजाति का नाम है लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन जो नासिक में तैयार की गयी है। जिसको बांदा कृषि एवं प्रौद्दोगिकी विश्विद्यालय ने अपने द्वारा किये गए शोध के बाद पाया है की यह दोनों प्रजाति यहाँ की भूगोलिक स्थित और यहाँ की जमीन के हिसाब से अनुकूलित है। क्योंकि यह कम दिनों में तैयार होने वाली, ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजाति है साथ ही कम दिनों में तैयार होने वाली प्रजाति है । जिसकी खेती बुंदेलखंड के कई किसान कर भी रहे हैं ।





Conclusion:वीओ - कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ यूएस गौतम ने बताया इन प्रजातियो का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है जो नासिक में तैयार की गई है। और वहां से ही बीज मंगा कर इसे अब कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है। पिछले साल भी इसका मूल्यांकन किया गया था और इस बार भी इसका मूल्यांकन किया गया है जो बुंदेलखंड के लिए अनुकूलित है। डॉक्टर यूएस गौतम ने बताया कि बुंदेलखंड में सीजनल पलायन बहुत होता है यहाँ का किसान जब अपनी फसलों को समेट लेता है तो फिर कमाने प्रदेश निकल जाता है। और खरीफ के सीजन में यहाँ पर खेत खाली पड़े रहते हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने यह खरीफ ओनियन की प्रजाति तैयार की है। यह प्रजाति बाहर तैयार की गयी है लेकिन किये गए शोध में पाया गया है की यह यहाँ पर 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है। जिससे यह यहाँ के किसानो के लिए वरदान साबित हो सकता है। इसको लेकर अब किसानो को प्रेरित किया जाएगा की वह इस प्रजाति के प्याज का उत्पादन करें और मुनाफ़ा कमाएं। 

बाइट- आर.के. सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, कृषि एवं प्रोद्दोगिकी विश्वविद्यालय

ANAND TIWARI
BANDA
9795000076

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