बांदा : रोजी और रोजगार न होने के चलते बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग पलायन कर रहे हैं. अब ऐसे में कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक प्याज की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जिसमें कम लागत में बहुत अधिक उत्पादन होगा. इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है.
प्याज के इस प्रजाति से किसानों को क्या होगा फायदा
- इस प्याज की खेती एक बीघे की फसल में ही कई हजार का मुनाफा किसानों को दे सकती है.
- कम खर्चे में और पानी की भी कम आवश्यकता इस प्रजाति के प्याज को होती है.
बुंदेलखंड के कई किसान लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन प्याज की कर रहे खेती
- प्याज की प्रजाति का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है.
- इस प्याज को नासिक में तैयार किया गया है.
- बांदा कृषि एवं प्रौद्दोगिकी विश्विद्यालय ने शोध में पाया कि 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है.
- इस शोध में यह दोनों प्रजाति के प्याज यहां की भूगोलिक स्थित और यहां की जमीन के हिसाब से अनुकूलित है.
- यह कम दिनों में तैयार होने वाली, ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजाति है.
- साथ ही कम दिनों में तैयार होने वाली प्याज की प्रजाति है.
- इसकी खेती बुंदेलखंड के कई किसान कर भी रहे हैं.
इन प्रजातियों का नाम लाइन 883 और डार्क रेड ओनियन है, जो नासिक में तैयार की गई है. वहां से ही बीज मंगाकर इसे अब कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है. पिछले साल भी इसका मूल्यांकन किया गया था. इस बार भी इसका मूल्यांकन किया गया है, जो बुंदेलखंड के लिए अनुकूलित है. बुंदेलखंड में सीजनल पलायन बहुत होता है. यहां के किसान जब अपनी फसलों को समेट लेता है तो फिर कमाने प्रदेश निकल जाते है. इससे खरीफ के सीजन में यहां पर खेत खाली पड़े रहते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने यह खरीफ ओनियन की प्रजाति तैयार की है. यह प्रजाति बाहर तैयार की गई है, लेकिन किए गए शोध में पाया गया है कि यहां पर 1 हेक्टेयर में 300 कुंतल से 350 कुंतल तक का उत्पादन दे सकती है. इससे यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इसको लेकर अब किसानों को प्रेरित किया जाएगा. वह इस प्रजाति के प्याज का उत्पादन करें और मुनाफा कमाएं.
-डॉ. यूएस गौतम , कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति