अलीगढ़: खगोल शास्त्र व विज्ञान प्रेमियों के लिए आज का सूर्य ग्रहण अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है. इसकी तैयारियां महीनों से चल रही थीं, लॉकडाउन के कारण कई देशों के वैज्ञानिक समूह भारत नहीं आ सके हैं. परन्तु उत्तरी भारत में अनेक स्थानों पर अनुसंधानकर्ता सूर्य उदय से पूर्व ही आकाश में आंखें जमाए हुए हैं और पल भर का नजारा चूकना नहीं चाहते हैं. आईटीआई रोड स्थित हैरी एस्ट्रोनॉमी क्लब द्वारा अपने कार्यालय पर इस रोमांचक घटना का अवलोकन किया गया, जिसमें अलीगढ़ एवं दिल्ली की टीमों के बीच विचारों का आदान-प्रदान हुआ.
क्लब के निदेशक केशव खत्री ने बताया कि दोपहर 12:08 बजे से 12:16 बजे के बीच का समय करोड़ों रुपयों से भी बहुमूल्यवान था, जिसकी तुलना असंभव है. आज दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने सूर्य, चन्द्रमा व पृथ्वी के अध्ययन हेतु दशकों तक काम करने के लिए आंकड़े जुटाए हैं. सूर्य ग्रहण के वक्त चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी 3,81,500 किमी. रही, जिस कारण सूर्य ग्रहण के समय 'रिंग आफ फायर' का अदभुत नजारा देखने को मिला. अगला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को देखा जा सकेगा.
इसी क्रम में क्लब के प्रवक्ता रंजन राना ने कहा कि सूर्य ग्रहण की घटना दुनिया भर के लिए रोमांचित करने वाली है. लेकिन भारत वर्ष के बहुसंख्यक जन के लिए सूर्य ग्रहण की घटना व्याप्त अंधविश्वास के कारण एक भय का वातावरण निर्माण करती हुई प्रतीत हुई. आम जन ने स्वयं को घरों में कैद कर लिया, लोग सूर्य की छाया से भी बचते हुए देखे गए हैं. रंजन राना ने कहा कि आधुनिक समय में भी इस प्रकार का मानसिक पिछड़ापन आस्था से माखौल उड़ाने वाले ठेकेदारों की देन है. जिनके प्रयत्नों से टेलीविजन मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी भय को बढ़ावा देते हुए देखा गया है. यह आधुनिक भारत के लिए शुभ संकेत नहीं हैं और यह मिथकीय अवधारणा टूटनी चाहिए.