प्रयागराज : प्रकृति में लगातार हो रहे बदलाव व गर्मी से जैव विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ा है. साथ ही साथ ग्लोबल वार्मिंग से छोटे जीवों को तो खतरा हुआ ही है, सामान्य जन पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. यह बातें सोमवार को प्रयागराज में दो दिवसीय ग्लोबल वार्मिंग बायो डायवर्सिटी को लेकर के हुए राष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिकों ने कही. उन्होंने कहा कि समय रहते अगर इसके प्रभाव को रोका नहीं गया तो आने वाली पीढ़ी को हम जवाब देने लायक नहीं रहेंगे.
विज्ञान परिषद में आयोजित हुए राष्ट्रीय सेमिनार में देश के कोने-कोने से आए शिक्षाविद विद्यार्थी, शोधकर्ता वैज्ञानिक ने अपनी शोध पत्रों को प्रस्तुत किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए आईसीएआर के वैज्ञानिक उमेश चंद्रा ने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग का खतरा एक बहुत बड़ी चुनौती है. इस के बढ़ते प्रभाव के चलते प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है. बगैर देरी किए अब इसे संतुलित करने की जरूरत है. नहीं तो आने वाले समय में धरती से बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होती जाएंगी.
प्रदुषण से प्रभावित हो रहा जनजीवन...
उमेश चंद्रा ने कहा कि इसे एक अभियान के रूप में लेकर आगे बढ़ना है लोगों को जागरूक भी करना पड़ेगा ताकि वह पर्यावरण के संतुलन में किसी भी तरह का छेड़छाड़ न करें. आज प्रदूषण के चलते खानपान, फसलों के उत्पादन, फूलों के परागण में भी कमी आई है. सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है.
प्रकृति में फैले प्रदूषण के बारे में लोगों को किया जाए जागरूक...
संगोष्ठी के आयोजक रजनीश चतुर्वेदी ने बताया कि यदि हमें प्रकृति को बचाना है तो प्रकृति में फैले प्रदूषण उसके दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा. स्वच्छ व सुंदर प्रकृति का दृश्य लोगों के समक्ष लाना होगा. मानवता के भविष्य के लिए एक अच्छा मार्ग है कि इसको लेकर लोगों में संवाद प्रस्तुत किया जाए और उसके सकारात्मक परिणाम को लेकर आमजन तक पहुंचाया जाए.