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खगोल शास्त्र के ज्ञान से लाभान्वित होंगे छात्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहा है रिसर्च सेंटर

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने नक्षत्र विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में पारंगत करने के लिए इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स ( एयूसीएए अर्थात आयुका) ने विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में इस सेंटर को स्थापित करने का फैसला किया है.

गोरखपुर विश्वविद्यालय
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Published : Mar 29, 2019, 1:52 PM IST

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने नक्षत्र विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में पारंगत करने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्सएयूसीएए अर्थात आयुका ने विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में इस सेंटर को स्थापित करने का फैसला किया है. जिसका संचालन प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी की देखरेख में होगा. नक्षत्र विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेशर शांतनु की ख्याति राष्ट्रीय स्तर की है. जिनके नेतृत्व में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा. यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को तो बढ़ावा देगा साथ ही स्कूलों तक पहुंच कर भी बच्चों के मन में ऊपर जाने वाले सवालों का भी समाधान करेगा.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहा है रिसर्च सेंटर


आयुका की ओर से विश्वविद्यालय सेंटर केप्रोफेसर रस्तोगी को जो पत्र भेजा गया है, उसके मुताबिक यह सेंटर 1 अप्रैल 2019 से कार्य करना शुरू कर देगा. यह सेंटर लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज और पश्चिमी बिहार में भी विकसित किया जाएगा. जिसका दायरा समूचापूर्वी उत्तर प्रदेश औरपश्चिम बिहार होगा. इसकी गतिविधियां सेंटर के अलावा उन स्कूलों में भी संचालित की जाएंगी जिनकी तरफ से प्रस्ताव आएगा. प्रोफेसर शांतनु की मानें तो यह उपलब्धि एक राष्ट्रीय संस्था ने विश्वविद्यालय को दिया है. जिसके माध्यम से खगोल विज्ञान की दुनिया में नित नए हो रहे परिवर्तन पर शोधार्थी अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों में पैदा होने वाली जिज्ञासा का भी यह सेंटर समाधान करेगा.


यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को बढ़ावा देगा. पुणे में स्थापित 'आयुका' संस्था जो खगोल शास्त्र पर शोध करने की एक वैज्ञानिक सोच की बड़ी संस्था है. उसके मार्गदर्शन में सब कुछ यहां संचालित होगा. देश में ऐसे सेंटर स्थापित करने के पीछे संस्था का मानना है कि इससे शोधार्थियों को बहुत दौड़ भाग नहीं करनी पड़ेगी और वह एक निश्चित स्थान और समय पर अपनी जिज्ञासा और जरूरतों को पूरा कर पाएंगे.

सेंटर के स्थापित हो जाने के बाद देश के नामी-गिरामी खगोल शास्त्रियों का समय-समय पर वर्कशॉप यहां आयोजित होगा. जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा होगी. प्रोफेसर शांतनु और उनके सहयोगी असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभु नाथ प्रसाद की माने तो इस वर्ष के नवंबर में और 2020 के जून माह में बड़ा सूर्य ग्रहण लगेगा. जिसकी जानकारी अभी से जुटाई जा सकेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे सेंटर तमाम उलझे हुए सवालों का जवाब विद्यार्थियों और शोधार्थियों को देंगे.

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने नक्षत्र विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में पारंगत करने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्सएयूसीएए अर्थात आयुका ने विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में इस सेंटर को स्थापित करने का फैसला किया है. जिसका संचालन प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी की देखरेख में होगा. नक्षत्र विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेशर शांतनु की ख्याति राष्ट्रीय स्तर की है. जिनके नेतृत्व में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा. यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को तो बढ़ावा देगा साथ ही स्कूलों तक पहुंच कर भी बच्चों के मन में ऊपर जाने वाले सवालों का भी समाधान करेगा.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहा है रिसर्च सेंटर


आयुका की ओर से विश्वविद्यालय सेंटर केप्रोफेसर रस्तोगी को जो पत्र भेजा गया है, उसके मुताबिक यह सेंटर 1 अप्रैल 2019 से कार्य करना शुरू कर देगा. यह सेंटर लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज और पश्चिमी बिहार में भी विकसित किया जाएगा. जिसका दायरा समूचापूर्वी उत्तर प्रदेश औरपश्चिम बिहार होगा. इसकी गतिविधियां सेंटर के अलावा उन स्कूलों में भी संचालित की जाएंगी जिनकी तरफ से प्रस्ताव आएगा. प्रोफेसर शांतनु की मानें तो यह उपलब्धि एक राष्ट्रीय संस्था ने विश्वविद्यालय को दिया है. जिसके माध्यम से खगोल विज्ञान की दुनिया में नित नए हो रहे परिवर्तन पर शोधार्थी अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों में पैदा होने वाली जिज्ञासा का भी यह सेंटर समाधान करेगा.


यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को बढ़ावा देगा. पुणे में स्थापित 'आयुका' संस्था जो खगोल शास्त्र पर शोध करने की एक वैज्ञानिक सोच की बड़ी संस्था है. उसके मार्गदर्शन में सब कुछ यहां संचालित होगा. देश में ऐसे सेंटर स्थापित करने के पीछे संस्था का मानना है कि इससे शोधार्थियों को बहुत दौड़ भाग नहीं करनी पड़ेगी और वह एक निश्चित स्थान और समय पर अपनी जिज्ञासा और जरूरतों को पूरा कर पाएंगे.

सेंटर के स्थापित हो जाने के बाद देश के नामी-गिरामी खगोल शास्त्रियों का समय-समय पर वर्कशॉप यहां आयोजित होगा. जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा होगी. प्रोफेसर शांतनु और उनके सहयोगी असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभु नाथ प्रसाद की माने तो इस वर्ष के नवंबर में और 2020 के जून माह में बड़ा सूर्य ग्रहण लगेगा. जिसकी जानकारी अभी से जुटाई जा सकेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे सेंटर तमाम उलझे हुए सवालों का जवाब विद्यार्थियों और शोधार्थियों को देंगे.

Intro:ओपनिंग पीटीसी से खबर की शुरुआत...

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग को नक्षत्र विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में पारंगत करने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है। इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स ( एयूसीएए अर्थात आयुका) ने विश्व विद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में इस सेंटर को स्थापित करने का फैसला किया है,जिसका संचालन प्रोफ़ेसर शांतनु रस्तोगी की देखरेख में होगा। नक्षत्र विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेशन शांतनु की ख्याति राष्ट्रीय स्तर की है, जिनके नेतृत्व में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा। यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को तो बढ़ावा देगा ही स्कूलों तक पहुंच कर भी बच्चों के मन में ऊपर जाने वाले सवालों का भी समाधान करेगा।

नोट- कंपलीट पैकेज स्टोरी है वॉइस ओवर अटैच है


Body:आयुका की ओर से विश्वविद्यालय सेंटर के समन्वयक प्रोफेसर रस्तोगी को जो पत्र भेजा गया है, उसके मुताबिक यह सेंटर 1 अप्रैल 2019 से कार्य करना शुरू कर देगा। यह सेंटर लखनऊ, वाराणसी,प्रयागराज और पश्चिमी बिहार में भी विकसित किया जाएगा, जिसका दायरा समूचा पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम विहार होगा। इसकी गतिविधियां सेंटर के अलावा उन स्कूलों में भी संचालित की जाएंगी जिनकी तरफ से प्रस्ताव आएगा। प्रोफेसर शांतनु की मानें तो यह उपलब्धि एक राष्ट्रीय संस्था ने विश्वविद्यालय को दिया है जिसके माध्यम से खगोल विज्ञान की दुनिया में नित नए हो रहे परिवर्तन पर शोधार्थी अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों में पैदा होने वाली जिज्ञासा का भी यह सेंटर समाधान करेगा।

बाइट-प्रो0 शांतनु रस्तोगी, भौतिक शास्त्री


Conclusion:यह सेंटर नक्षत्र विज्ञान में शोध को बढ़ावा देगा। पुणे में स्थापित 'आयुका' संस्था जो खगोल शास्त्र पर शोध करने की एक वैज्ञानिक सोच की बड़ी संस्था है उसके मार्गदर्शन में सब कुछ यहाँ संचालित होगा। देश में ऐसे सेंटर स्थापित करने के पीछे संस्था का मानना है कि इससे शोधार्थियों को बहुत दौड़ भाग नहीं करनी पड़ेगी और वह एक निश्चित स्थान और समय पर अपनी जिज्ञासा और जरूरतों को पूरा कर पाएंगे। सेंटर के स्थापित हो जाने के बाद देश के नामी-गिरामी खगोल शास्त्रियों का समय-समय पर वर्कशॉप यहां आयोजित होगा। जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा होगी। प्रोफेसर शांतनु और उनके सहयोगी असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभु नाथ प्रसाद की माने तो इस वर्ष के नवंबर में और 2020 के जून माह में बड़ा सूर्य ग्रहण लगेगा, जिसकी जानकारी अभी से जुटाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे सेंटर तमाम उलझे हुए सवालों का जवाब विद्यार्थियों और शोधार्थियों को देंगे।

बाइट--डॉ 0 प्रभुनाथ प्रसाद, असिस्टेंट प्रो0 भौतिक विज्ञान

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
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