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बलरामपुर : पीठासीन अधिकारियों पर अपने चहेते उम्मीदवार का प्रचार करने का आरोप

जिले में कुछ पीठासीन अधिकारी पार्टी विशेष की भक्ति में लिप्त नजर आ रहे हैं. कोई भाजपा का प्रचार करता दिखाई पड़ रहा है तो कोई सपा, बसपा और कांग्रेस का. ऐसे में ऐसे में जिले में निष्पक्ष चुनाव होने पर सवाल खड़ा हो रहा है.

पीठासीन अधिकारी कर रहे अपने चहेते उम्मीदवार का प्रचार.
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Published : Apr 25, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 1:39 PM IST

बलरामपुर : चुनाव प्रचार करने का मुख्य काम वैसे तो राजनीतिक दलों, नेताओं, उनके कार्यकर्ताओं का है. प्रशासनिक अमले को इस काम को करने की मनाही है, लेकिन इसके उलट जिले में मतदान कार्य में लगाए गए कुछ पीठासीन अधिकारी अपने चहेते उम्मीदवार का खूब प्रचार-प्रचार करते नजर आ रहे हैं. इसके लिए वह जमकर सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं वह यदा-कदा अपने समर्थक के साथ जनता के बीच प्रचार करते भी दिखाई पड़ जाते हैं. वहीं जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसा होने पर उचित कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

पीठासीन अधिकारी कर रहे अपने चहेते उम्मीदवार का प्रचार.

जिले में 1846 मतदान बूथों हैं और इन बूथों पर एक-एक पीठासीन अधिकारी तैनात किए गए हैं. लेकिन इनमें से कुछ अधिकारी चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, ये अधिकारी अपनी चहेती पार्टी और समर्थक का चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में जिले में निष्पक्ष चुनाव होने पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है.

क्या है नियम

नियम के अनुसार चुनाव में लगे किसी भी कर्मचारी का राजनीतिक दलों से संबंध नहीं होना चाहिए. इसका निर्देश साफ-साफ चुनाव आयोग ने अपने निर्देशिका में दे रखा है.

सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम पर उठ रहे सवाल

जिले में एक सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम का गठन भी किया गया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ पीठासीन अधिकारियों के सरेआम सोशल मीडिया पर अपने चहेते उम्मीदवार प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम के कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.

यदि इस तरह की क्रियाकलापों में कोई भी व्यक्ति संलिप्त नजर आता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं उसे चुनाव प्रक्रिया से हटाने का काम भी किया जाएगा.
- जिला निर्वाचन अधिकारी कृष्णा करुणेश

बलरामपुर : चुनाव प्रचार करने का मुख्य काम वैसे तो राजनीतिक दलों, नेताओं, उनके कार्यकर्ताओं का है. प्रशासनिक अमले को इस काम को करने की मनाही है, लेकिन इसके उलट जिले में मतदान कार्य में लगाए गए कुछ पीठासीन अधिकारी अपने चहेते उम्मीदवार का खूब प्रचार-प्रचार करते नजर आ रहे हैं. इसके लिए वह जमकर सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं वह यदा-कदा अपने समर्थक के साथ जनता के बीच प्रचार करते भी दिखाई पड़ जाते हैं. वहीं जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसा होने पर उचित कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

पीठासीन अधिकारी कर रहे अपने चहेते उम्मीदवार का प्रचार.

जिले में 1846 मतदान बूथों हैं और इन बूथों पर एक-एक पीठासीन अधिकारी तैनात किए गए हैं. लेकिन इनमें से कुछ अधिकारी चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, ये अधिकारी अपनी चहेती पार्टी और समर्थक का चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में जिले में निष्पक्ष चुनाव होने पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है.

क्या है नियम

नियम के अनुसार चुनाव में लगे किसी भी कर्मचारी का राजनीतिक दलों से संबंध नहीं होना चाहिए. इसका निर्देश साफ-साफ चुनाव आयोग ने अपने निर्देशिका में दे रखा है.

सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम पर उठ रहे सवाल

जिले में एक सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम का गठन भी किया गया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ पीठासीन अधिकारियों के सरेआम सोशल मीडिया पर अपने चहेते उम्मीदवार प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम के कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.

यदि इस तरह की क्रियाकलापों में कोई भी व्यक्ति संलिप्त नजर आता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं उसे चुनाव प्रक्रिया से हटाने का काम भी किया जाएगा.
- जिला निर्वाचन अधिकारी कृष्णा करुणेश

Intro:Note - UP_BLP_YOGENDRA TRIPATHI_23 APRIL_PRECEDING OFFICERS ARE STILL PROMOTING POLITICAL PARTIES_VIDEO के नाम से मोजो के अतिरिक्त एक वीडियो फीड एफ़टीपी के माध्यम से प्रेषित की जा रही है। जिसमें उन व्यक्तियों के सोशल मीडिया एकाउंट का डिटेल और फोटोज़ हैं, जो राजनीतिक दलों का प्रचार कर रहे हैं। कृपया डेस्क के सहयोगी दोनों वीडियो को संज्ञान में लेकर ही पैकेज निर्माण करें। आपका आभार होगा।)


एंकर : चुनाव प्रचार ओं को करने का मुख्य काम वैसे तो राजनीतिक दलों का है। इस काम से वैसे तो प्रशासनिक अमले में तैनात लोगों को दूर रखा जाता है। लेकिन बलरामपुर जिले में उलटी गंगा बह रही है। बलरामपुर जिले में 1846 बूथ बनाए गए हैं, जिनमें से सभी बूथों पर 1-1 पीठासीन अधिकारी तैनात किए जाएंगे। यह पीठासीन अधिकारी उस बूथ के लिए सभी प्रकार की कार्रवाइयों के जिम्मेदार होंगे। लेकिन कमोबेश सभी पीठासीन अधिकारी किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं और उनके सोशल मीडिया अकाउंट उसके प्रचार-प्रसार से भरे पड़े हैं। सोशल मीडिया तो सोशल मीडिया ही हैं, इसके अतिरिक्त वह खुलकर मैदान में किसी न किसी राजनीतिक दल के साथ प्रचार करते सहज ही दिखाई दे जाते हैं।


Body:बलरामपुर जिले के 1846 मतदान बूथों पर 1846 पीठासीन अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। इनमें से कुछ पीठासीन अधिकारी पार्टी विशेष की भक्ति में लिप्त नज़र आते हैं। कोई भाजपा का प्रचार कर रहा है तो कोई समाजवादी पार्टी का। किसी पीठासीन अधिकारी का कांग्रेस पार्टी में कोई बहुत खास है तो किसी का बहुजन समाज पार्टी में बड़ा रुतबा है।
कहने को तो पीठासीन अधिकारियों या चुनाव में लगे किसी भी कर्मचारी का राजनीतिक दलों से संबंध नहीं होना चाहिए। इसका निर्देश साफ-साफ चुनाव आयोग ने अपने निर्देशिका में दे रखा है। लेकिन जिन अधिकारियों पर यह जिम्मा है वह इसे पूर्णता लागू नहीं कर पा रहे हैं। कहने को जिले में एक सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम का गठन भी किया गया है। लेकिन उस सोशल मीडिया ऑब्जरवेशन टीम के द्वारा क्या काम किया जा रहा है? इसका पता किसी को नहीं चलता है।
ऐसे में जिला प्रशासन और चुनाव आयोग जो निष्पक्ष व शांतिपूर्ण मतदान की बातें कर रहा है। वह किस तरह से जमीन पर उतर सकेंगे या अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है।


Conclusion:जब हमने इस बारे में जिला निर्वाचन अधिकारी कृष्णा करुणेश से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह का मामला आपके द्वारा संज्ञान में लाया जा रहा है। यदि इस तरह से कोई भी व्यक्ति क्रियाकलापों में संलिप्त नजर आता है। तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं उसे चुनाव प्रक्रिया से हटाने का काम भी किया जाएगा।
डीएम कृष्णा करुणेश ने इस बात का जवाब अपने लहजे में दे दिया। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि सोशल मीडिया टीम, ऑब्जर्वेशन टीम क्या कर रही है और अन्य उड़ाका दलों द्वारा किस तरह से इस तरह के व्यक्तियों पर नजर रखी जा रही है। उड़ाका दल या सोशल मीडिया टीम सही तरीके की फीडिंग अपने उच्चाधिकारियों को क्यों नहीं दे पा रहे है? सवाल यह उठता है कि इस तरह की बातें यदि पूरे चुनाव जारी रहीं तो मतदान के दिन किसी न किसी तरह की अनहोनी भी घट सकती है या चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का काम पीठासीन अधिकारियों द्वारा ही किया जा सकता है।
Last Updated : Apr 25, 2019, 1:39 PM IST
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