झांसी: लोकतंत्र के महापर्व की व्यवस्था में व्यापक बदलाव के साथ मतदाताओं के मिजाज भी बदले नजर आ रहे हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में परिपक्वता की तस्वीर देखने को मिल रही है. इस दौरान स्थानीय लोग चुनाव से पहले ईटीवी भारत पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आए.
ईटीवी भारत ने झांसी के शंकरगढ़ गांव में जब मतदाताओं का रुझान जानना चाहा तो उन्होंने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. ज्यादातर मतदाताओं की शिकायत रोजगार को लेकर है. उनका कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो हमारे गांव नेताओं की भीड़ से गुलजार हो जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही बंजर जमीन की तरह दिखने लगते हैं.
स्थानीयों का कहना है कि यहां हर पार्टी ने वादे तो बड़े-बड़े किए. लेकिन हकीकत यह है कि रोजगार, शिक्षा और पानी से अभी भी हमारा गांव समेत आस-पास के कई गांव अछूते हैं. वहीं गांव में फल बेच रहे एक फेरीवाला ने बताया कि हमारी स्थिति कई साल पहले भी यही थी और आज भी यही है. सरकारें बदली हैं लेकिन हमारे हालात नहीं बदल पाए.
झांसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता बताते हैं कि सोशल मीडिया का जमाना है. प्रत्याशी घर-घर पहुंचें या नहीं, अगर फेसबुक या ट्विटर के माध्यम से भी मतदाताओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो आखिर उन्हें कैसे चुना जा सकता है.