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झांसी: परिपक्व दिख रहा लोकतंत्र, जानिए क्या है... मतदाताओं की राय

लोकसभा चुनाव से पहले जिले में मतदाताओं के मिजाज बदलने लगे हैं. ईटीवी भारत ने झांसी के शंकरगढ़ गांव में जब मतदाताओं का रुझान जानना चाहा तो इस दौरान उन्होंने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रिया दी.

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Published : Mar 29, 2019, 11:13 AM IST

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झांसी: लोकतंत्र के महापर्व की व्यवस्था में व्यापक बदलाव के साथ मतदाताओं के मिजाज भी बदले नजर आ रहे हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में परिपक्वता की तस्वीर देखने को मिल रही है. इस दौरान स्थानीय लोग चुनाव से पहले ईटीवी भारत पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आए.

प्रतिक्रिया देते स्थानीय.


ईटीवी भारत ने झांसी के शंकरगढ़ गांव में जब मतदाताओं का रुझान जानना चाहा तो उन्होंने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. ज्यादातर मतदाताओं की शिकायत रोजगार को लेकर है. उनका कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो हमारे गांव नेताओं की भीड़ से गुलजार हो जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही बंजर जमीन की तरह दिखने लगते हैं.


स्थानीयों का कहना है कि यहां हर पार्टी ने वादे तो बड़े-बड़े किए. लेकिन हकीकत यह है कि रोजगार, शिक्षा और पानी से अभी भी हमारा गांव समेत आस-पास के कई गांव अछूते हैं. वहीं गांव में फल बेच रहे एक फेरीवाला ने बताया कि हमारी स्थिति कई साल पहले भी यही थी और आज भी यही है. सरकारें बदली हैं लेकिन हमारे हालात नहीं बदल पाए.


झांसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता बताते हैं कि सोशल मीडिया का जमाना है. प्रत्याशी घर-घर पहुंचें या नहीं, अगर फेसबुक या ट्विटर के माध्यम से भी मतदाताओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो आखिर उन्हें कैसे चुना जा सकता है.

झांसी: लोकतंत्र के महापर्व की व्यवस्था में व्यापक बदलाव के साथ मतदाताओं के मिजाज भी बदले नजर आ रहे हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में परिपक्वता की तस्वीर देखने को मिल रही है. इस दौरान स्थानीय लोग चुनाव से पहले ईटीवी भारत पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आए.

प्रतिक्रिया देते स्थानीय.


ईटीवी भारत ने झांसी के शंकरगढ़ गांव में जब मतदाताओं का रुझान जानना चाहा तो उन्होंने अपनी मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. ज्यादातर मतदाताओं की शिकायत रोजगार को लेकर है. उनका कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो हमारे गांव नेताओं की भीड़ से गुलजार हो जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही बंजर जमीन की तरह दिखने लगते हैं.


स्थानीयों का कहना है कि यहां हर पार्टी ने वादे तो बड़े-बड़े किए. लेकिन हकीकत यह है कि रोजगार, शिक्षा और पानी से अभी भी हमारा गांव समेत आस-पास के कई गांव अछूते हैं. वहीं गांव में फल बेच रहे एक फेरीवाला ने बताया कि हमारी स्थिति कई साल पहले भी यही थी और आज भी यही है. सरकारें बदली हैं लेकिन हमारे हालात नहीं बदल पाए.


झांसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता बताते हैं कि सोशल मीडिया का जमाना है. प्रत्याशी घर-घर पहुंचें या नहीं, अगर फेसबुक या ट्विटर के माध्यम से भी मतदाताओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो आखिर उन्हें कैसे चुना जा सकता है.

Intro:झांसी : लोकतंत्र के महापर्व की व्यवस्था में व्यापक बदलाव के साथ मतदाताओं के मिजाज भी बदल रहे हैं. बुंदेलखंड के वोटरों के रंग-ढंग बदले हैं. अब वो दिन लड़ गए कि प्रत्याशी शहर के मोहल्ले में किसी दबंग के घर या गांव टोली में प्रभावशाली की दालान पर बैठकर वोट सेट करते थे. वोटरों की ऐसी ठेकेदारी के लगभग खात्मे से यहां लोकतंत्र की परिपक्वता की तस्वीर देखने को मिल रही है.


Body:झांसी के शंकरगढ़ गांव में जब मतदाताओं का रुझान जानना चाहा तो उन्होंने अपनी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी. ज्यादातर मतदाताओं की शिकायत रोजगार को लेकर है. उनका कहना है कि जब इलेक्शन आते हैं तो हमारे गांव नेताओं की भीड़ से गुलजार हो जाते हैं और इलेक्शन खत्म होते ही बंजर जमीन की तरह दिखने लगते हैं.


Conclusion:गांव के लोग बताते हैं कि यहां हर पार्टी ने वादे तो बड़े-बड़े किए. लेकिन हकीकत यह है कि रोजगार शिक्षा और पानी से अभी भी हमारा गांव और आसपास के कई गांव अछूते हैं. गांव में फल बेच रहा एक फेरीवाला बताता है कि हमारी स्थिति कई साल पहले भी यही थी और आज भी यही है. सरकारे बदली लेकिन हमारे हालात नहीं बदल पाए. फिल्म गांव के लोग पहले से कहीं ज्यांदा जागरूक हो चुके हैं. अब वे अपने पसंद का जनप्रतिनिधि चुनना चाहते हैं.

अब ऐसी स्थिति नहीं रही कि बदले मिजाज और माहौल को मतदाता स्वीकार करते हैं. झांसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के वोटर बताते हैं कि सोशल मीडिया का जमाना है. प्रत्याशी घर घर पहुंचे या नहीं, अगर फेसबुक या ट्विटर के माध्यम से भी मतदाताओं तक नहीं पहुंच सका तो उसे कैसे चुनाव जा सकता है.

बाइट- विशन कुशवाहा
बाइट- बेरन सिंह राजपूत
बाइट- दिलीप
बाइट- संजीब
बाइट- आदेश राजपूत


Regards
Ram Naresh Yadav
Jhansi
9458784159
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