लखनऊ: राजधानी के मोहनलालगंज में महेश खेड़ा गांव के लोग आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के लोग लगातार दूषित पानी पीने से बीमार हो रहे हैं और साथ ही कई जानलेवा बीमारियों को भी दावत मिल रही है. इस ओर न ही किसी राजनीतिक दल का ध्यान है और न ही प्रशासन संजीदगी दिखाता है. नतीजतन पिछले पांच -छह दशकों से अपनी लड़ाई लड़ रहे गांव के लोग अब भी साफ पानी पीने का इंतजार कर रहे हैं.
महेश खेड़ा- दूषित पानी का गांव
मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाला महेश खेड़ा गांव राजधानी लखनऊ से 55 किलोमीटर दूर स्थित है. हैरानी की बात तो यह है कि इस गांव में पीने का पानी है ही नहीं. कोसों दूर से लोगों को पानी लाना पड़ता है लेकिन वह भी साफ पानी नहीं होता है. यह समस्या दशकों पुरानी है लेकिन कोई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है. ग्रामीण हर साल तहसील और जिला कलेक्ट्रेट में पानी के लिए अर्जी देते हैं. जब ग्रामीण अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर जाते हैं तो अधिकारी बस आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज देते हैं.
सरकारी हैंडपंप से जो पानी आता है, वह पीने योग्य नहीं होता और मजबूरन लोग उसी दूषित पानी पीकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं. पथरी, लीवर की समस्या, पीलिया और त्वचा संबंधी रोग ग्रामीणों को घेर रहे हैं. साथ ही कम उम्र में ही यहां के लोगों को हड्डी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं.
कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है. हर साल दर्जनों लोग बीमार पड़ जाते हैं और साथ ही कुछ लोगों को जोड़ों के दर्द जैसी लंबी और असहनीय बीमारियां हो जाती हैं, लेकिन कोई इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है.
- रमेश चंद्र, ग्रामीण
हमें सुबह से पानी लाने के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. गांव के सभी हैंडपंप से गंदा पानी निकलता है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिन बर्तनों में हम यह पानी भरते हैं, गंदगी के चलते उनका रंग पीला पड़ गया है.
-शकुंतला, स्थानीय महिला
पिछले साल भी इस गांव की पानी की समस्या के बारे में जानकारी मिली थी. उस वक्त जेई के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया था और गांव में दो हैंडपंप लगवाए थे. अब फिर से एक टीम गांव का दौरा करेगी और बहुत जल्द ग्रामीणों की समस्या का निस्तारण किया जाएगा.
- भोलानाथ कनौजिया, खंड विकास अधिकारी, मोहनलालगंज