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...इस गांव में जल जीवन नहीं, बीमारियों का घर है

'जल ही जीवन है' यह कहावत पानी के महत्व को दर्शाती है, लेकिन राजधानी के मोहनलालगंज के एक गांव में पानी बीमारियों की वजह बन रहा है. दरअसल सालों से इस गांव के लोग साफ पानी पीने को तरस रहे हैं.

मोहनलाल गंज तहसील के महेश खेड़ा गांव में दूषित पानी पी रहे लोग.
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Published : Jun 5, 2019, 11:19 AM IST

Updated : Jun 5, 2019, 11:55 AM IST

लखनऊ: राजधानी के मोहनलालगंज में महेश खेड़ा गांव के लोग आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के लोग लगातार दूषित पानी पीने से बीमार हो रहे हैं और साथ ही कई जानलेवा बीमारियों को भी दावत मिल रही है. इस ओर न ही किसी राजनीतिक दल का ध्यान है और न ही प्रशासन संजीदगी दिखाता है. नतीजतन पिछले पांच -छह दशकों से अपनी लड़ाई लड़ रहे गांव के लोग अब भी साफ पानी पीने का इंतजार कर रहे हैं.

मोहनलाल गंज तहसील के महेश खेड़ा गांव में दूषित पानी पी रहे लोग.

महेश खेड़ा- दूषित पानी का गांव

मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाला महेश खेड़ा गांव राजधानी लखनऊ से 55 किलोमीटर दूर स्थित है. हैरानी की बात तो यह है कि इस गांव में पीने का पानी है ही नहीं. कोसों दूर से लोगों को पानी लाना पड़ता है लेकिन वह भी साफ पानी नहीं होता है. यह समस्या दशकों पुरानी है लेकिन कोई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है. ग्रामीण हर साल तहसील और जिला कलेक्ट्रेट में पानी के लिए अर्जी देते हैं. जब ग्रामीण अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर जाते हैं तो अधिकारी बस आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज देते हैं.

सरकारी हैंडपंप से जो पानी आता है, वह पीने योग्य नहीं होता और मजबूरन लोग उसी दूषित पानी पीकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं. पथरी, लीवर की समस्या, पीलिया और त्वचा संबंधी रोग ग्रामीणों को घेर रहे हैं. साथ ही कम उम्र में ही यहां के लोगों को हड्डी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं.

कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है. हर साल दर्जनों लोग बीमार पड़ जाते हैं और साथ ही कुछ लोगों को जोड़ों के दर्द जैसी लंबी और असहनीय बीमारियां हो जाती हैं, लेकिन कोई इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है.
- रमेश चंद्र, ग्रामीण

हमें सुबह से पानी लाने के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. गांव के सभी हैंडपंप से गंदा पानी निकलता है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिन बर्तनों में हम यह पानी भरते हैं, गंदगी के चलते उनका रंग पीला पड़ गया है.
-शकुंतला, स्थानीय महिला

पिछले साल भी इस गांव की पानी की समस्या के बारे में जानकारी मिली थी. उस वक्त जेई के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया था और गांव में दो हैंडपंप लगवाए थे. अब फिर से एक टीम गांव का दौरा करेगी और बहुत जल्द ग्रामीणों की समस्या का निस्तारण किया जाएगा.
- भोलानाथ कनौजिया, खंड विकास अधिकारी, मोहनलालगंज

लखनऊ: राजधानी के मोहनलालगंज में महेश खेड़ा गांव के लोग आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के लोग लगातार दूषित पानी पीने से बीमार हो रहे हैं और साथ ही कई जानलेवा बीमारियों को भी दावत मिल रही है. इस ओर न ही किसी राजनीतिक दल का ध्यान है और न ही प्रशासन संजीदगी दिखाता है. नतीजतन पिछले पांच -छह दशकों से अपनी लड़ाई लड़ रहे गांव के लोग अब भी साफ पानी पीने का इंतजार कर रहे हैं.

मोहनलाल गंज तहसील के महेश खेड़ा गांव में दूषित पानी पी रहे लोग.

महेश खेड़ा- दूषित पानी का गांव

मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाला महेश खेड़ा गांव राजधानी लखनऊ से 55 किलोमीटर दूर स्थित है. हैरानी की बात तो यह है कि इस गांव में पीने का पानी है ही नहीं. कोसों दूर से लोगों को पानी लाना पड़ता है लेकिन वह भी साफ पानी नहीं होता है. यह समस्या दशकों पुरानी है लेकिन कोई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है. ग्रामीण हर साल तहसील और जिला कलेक्ट्रेट में पानी के लिए अर्जी देते हैं. जब ग्रामीण अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर जाते हैं तो अधिकारी बस आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज देते हैं.

सरकारी हैंडपंप से जो पानी आता है, वह पीने योग्य नहीं होता और मजबूरन लोग उसी दूषित पानी पीकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं. पथरी, लीवर की समस्या, पीलिया और त्वचा संबंधी रोग ग्रामीणों को घेर रहे हैं. साथ ही कम उम्र में ही यहां के लोगों को हड्डी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं.

कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है. हर साल दर्जनों लोग बीमार पड़ जाते हैं और साथ ही कुछ लोगों को जोड़ों के दर्द जैसी लंबी और असहनीय बीमारियां हो जाती हैं, लेकिन कोई इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है.
- रमेश चंद्र, ग्रामीण

हमें सुबह से पानी लाने के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. गांव के सभी हैंडपंप से गंदा पानी निकलता है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिन बर्तनों में हम यह पानी भरते हैं, गंदगी के चलते उनका रंग पीला पड़ गया है.
-शकुंतला, स्थानीय महिला

पिछले साल भी इस गांव की पानी की समस्या के बारे में जानकारी मिली थी. उस वक्त जेई के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया था और गांव में दो हैंडपंप लगवाए थे. अब फिर से एक टीम गांव का दौरा करेगी और बहुत जल्द ग्रामीणों की समस्या का निस्तारण किया जाएगा.
- भोलानाथ कनौजिया, खंड विकास अधिकारी, मोहनलालगंज

Intro:कहते हैं "जल ही जीवन है" लेकिन जब जल ही दूषित हो तो जीवनदाई कैसे हो सकता है? महेश खेड़ा गांव के लोग आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर है, दूषित पानी के इस्तेमाल से ग्रामीणों को कई तरह के रोगों का भी सामना करना पड़ रहा है।


Body:राजधानी लखनऊ से 55 किलोमीटर दूर मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाला महेश खेड़ा गांव जहां आज भी लोग दूषित पानी इस्तेमाल करने के लिए मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई सालों से लगातार यह समस्या चली आ रही है। लेकिन कोई भी अधिकारी या राजनेता उनकी समस्या का हल अब तक नहीं निकाल सका है।

ईटीवी भारत में जब ग्रामीणों से बात की तो पता चला कि यह समस्या आज की नहीं है बल्कि पिछले 50 सालों की है जिसकी वजह से ग्रामीणों को दूषित पानी का इस्तेमाल कर जीवन यापन करना पड़ रहा है दूषित पानी के इस्तेमाल से बच्चा हो या बूढ़ा सभी को कई अलग अलग तरीके की बीमारियां भी हो रही है।

ऐसे में जब ग्रामीण अपनी फरियाद को अधिकारियों के पास लेकर जाते हैं तो अधिकारी बस आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज देते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी हैंडपंप से जो पानी आता है वह पीने योग्य नहीं होता जिसकी वजह से उन्हें काफी दूर ट्यूबवेल पर जाना पड़ता है।

बाइट- रमेश चंद्र (ग्रामीण)
बाइट-शकुंतला (ग्रामीण)
बाइट-आशू (ग्रामीण)

वहीं इस पूरे मामले पर जब हमने मोहनलालगंज के विकास खंड अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि मीडिया के माध्यम से या मामला उनके संज्ञान में आया है जिसका निस्तारण बहुत जल्द ही किया जाएगा।

बाइट- भोलानाथ कनौजिया ( खंड विकास अधिकारी मोहनलालगंज)



Conclusion:फिलहाल अधिकारी तो अपने दावे करते ही रहते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी ग्रामीण दूषित पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ग्रामीणों की यह समस्या कब तक हल हो पाती है।

योगेश मिश्रा लखनऊ
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Last Updated : Jun 5, 2019, 11:55 AM IST
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