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लखनऊ : सभी बकाया अदा करें या हाजिर हों एफसीआई के एमडी, हाईकोर्ट ने चेताया

एफसीआई में काम करने के दौरान मजदूर की मौत हो गई थी, मौत के 18 साल बीतने के बाद भी उसके परिवार को पेंशन और बकाया राशि नहीं मिली है. जिसके बाद  हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एफसीआई से कहा कि चार सप्ताह में सभी बकाया अदा करें या एफसीआई के एमडी कोर्ट के सामने हाजिर हों.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : May 13, 2019, 9:34 AM IST

लखनऊ : भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में मजदूर के तौर पर तैनात एक व्यक्ति की विधवा को 18 साल बीतने के बावजूद पेंशन व अन्य बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया. इस मामले पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एफसीआई को चेतावनी दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि चार सप्ताह में सभी बकायों का भुगतान किया जाए अन्यथा मैनेजिंग डायरेक्टर कोर्ट के समक्ष उपस्थित हों.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एफसीआई को चेतावनी दी है.

आखिर क्या है मामला-

  • यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल सदस्यीय पीठ ने राजरानी की याचिका पर दिया.
  • याचिका में कहा गया है कि याची का पति एफसीआई में मजदूर के पद पर कार्यरत था.
  • नौकरी के दौरान ही वर्ष 2001 में उसकी मृत्यु हो गई.
  • बकायों के भुगतान के लिए जब उसने विभाग में सम्पर्क किया तो कागजों में कमियां बताकर उसे लौटा दिया गया.
  • उक्त सभी कमियों को दूर करने के बावजूद, एफसीआई 18 साल बाद भी मामले को लटकाये हुए है.
  • एफसीआई की ओर से कहा गया कि याची के सभी दस्तावेज 26 जुलाई 2018 को ईपीएफ संगठन के दफ्तर को भेज दिये गए हैं.
  • न्यायालय ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एफसीआई की जिम्मेदारी है कि वह याची को भुगतान सुनिश्चित करे.
  • न्यायालय ने मामले की अतंरिम सुनवाई के लिए 30 मई की तिथि लगाते हुए, भुगतान किये जाने के आदेश दिये.

लखनऊ : भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में मजदूर के तौर पर तैनात एक व्यक्ति की विधवा को 18 साल बीतने के बावजूद पेंशन व अन्य बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया. इस मामले पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एफसीआई को चेतावनी दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि चार सप्ताह में सभी बकायों का भुगतान किया जाए अन्यथा मैनेजिंग डायरेक्टर कोर्ट के समक्ष उपस्थित हों.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए एफसीआई को चेतावनी दी है.

आखिर क्या है मामला-

  • यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल सदस्यीय पीठ ने राजरानी की याचिका पर दिया.
  • याचिका में कहा गया है कि याची का पति एफसीआई में मजदूर के पद पर कार्यरत था.
  • नौकरी के दौरान ही वर्ष 2001 में उसकी मृत्यु हो गई.
  • बकायों के भुगतान के लिए जब उसने विभाग में सम्पर्क किया तो कागजों में कमियां बताकर उसे लौटा दिया गया.
  • उक्त सभी कमियों को दूर करने के बावजूद, एफसीआई 18 साल बाद भी मामले को लटकाये हुए है.
  • एफसीआई की ओर से कहा गया कि याची के सभी दस्तावेज 26 जुलाई 2018 को ईपीएफ संगठन के दफ्तर को भेज दिये गए हैं.
  • न्यायालय ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एफसीआई की जिम्मेदारी है कि वह याची को भुगतान सुनिश्चित करे.
  • न्यायालय ने मामले की अतंरिम सुनवाई के लिए 30 मई की तिथि लगाते हुए, भुगतान किये जाने के आदेश दिये.
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लखनऊ हाईकोर्ट


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