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लखनऊ: 200 खाद्य प्रसंस्करण उद्यम प्रस्तावों से बदलेगी किसानों की तकदीर - खाद्य प्रसंस्करण इकाई

किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए यूपी सरकार ने नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति की शुरुआत की थी. इसके तहत सरकार को 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे किसानों के हालात सुधरने के आसार दिखने लगे हैं.

उद्यान भवन.
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Published : Jun 20, 2019, 8:06 PM IST

लखनऊ: प्रदेश सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का असर उत्तर प्रदेश में दिखाई देने लगा है. एक साल के दौरान सरकार को 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं. अधिकारियों का दावा है साल भर के अंदर किसानों को उत्तर प्रदेश में अपनी कृषि उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगेगा.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से बदलेगी किसानों की तकदीर.

खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी हो रहे आकर्षित
उत्तर प्रदेश में कृषि फसलों की विविधता और बड़ी मात्रा में होने वाले उत्पादन ने देश-विदेश के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल के दौरान सरकार को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में आवेदन मिले हैं.

50 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयों को मिली अनुमति
सरकार ने पिछले साल 50 से ज्यादा प्रसंस्करण इकाइयों को हरी झंडी दिखाई है. सरकारी सूत्रों के अनुसार 35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक प्रदेश में सौ से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां काम करने लगेंगी और इससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रस्तावित निवेश

  • कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की 58 इकाइयां
  • फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग में 38 इकाइयां
  • अनाज प्रोसेसिंग में 72 इकाइयां
  • हर्बल प्रोसेसिंग में तीन इकाइयां
  • मीट- पोल्ट्री - फिश प्रोसेसिंग में दो इकाइयां
  • मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट प्रोसेसिंग में 11 इकाइयां
  • आयल सीड प्रोसेसिंग मे 5 इकाइयां

लखनऊ: प्रदेश सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का असर उत्तर प्रदेश में दिखाई देने लगा है. एक साल के दौरान सरकार को 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं. अधिकारियों का दावा है साल भर के अंदर किसानों को उत्तर प्रदेश में अपनी कृषि उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगेगा.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से बदलेगी किसानों की तकदीर.

खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी हो रहे आकर्षित
उत्तर प्रदेश में कृषि फसलों की विविधता और बड़ी मात्रा में होने वाले उत्पादन ने देश-विदेश के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल के दौरान सरकार को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में आवेदन मिले हैं.

50 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयों को मिली अनुमति
सरकार ने पिछले साल 50 से ज्यादा प्रसंस्करण इकाइयों को हरी झंडी दिखाई है. सरकारी सूत्रों के अनुसार 35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक प्रदेश में सौ से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां काम करने लगेंगी और इससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रस्तावित निवेश

  • कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की 58 इकाइयां
  • फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग में 38 इकाइयां
  • अनाज प्रोसेसिंग में 72 इकाइयां
  • हर्बल प्रोसेसिंग में तीन इकाइयां
  • मीट- पोल्ट्री - फिश प्रोसेसिंग में दो इकाइयां
  • मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट प्रोसेसिंग में 11 इकाइयां
  • आयल सीड प्रोसेसिंग मे 5 इकाइयां
Intro:लखनऊ. प्रदेश सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का असर उत्तर प्रदेश में दिखाई देने लगा है 1 साल के दौरान सरकार को 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं. अधिकारियों का दावा है साल भर के अंदर किसानों को उत्तर प्रदेश में अपनी कृषि उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगेगा.


Body:उत्तर प्रदेश में कृषि फसलों की विविधता और बड़ी मात्रा में होने वाले उत्पादन ने देश विदेश के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल के दौरान सरकार को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में आवेदन मिले हैं सरकार ने पिछले साल 50 से ज्यादा प्रसंस्करण इकाइयों को हरी झंडी दिखाई है सरकारी सूत्रों के अनुसार 35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक प्रदेश में एक सौ से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां काम करने लगेंगी तब किसानों को बाजार में अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा

बाइट /एसबी शर्मा संयुक्त निदेशक उद्यान



Conclusion:
खेती से पलायन करने वाले किसानों की सबसे बड़ी समस्या कृषि उपज का कम बाजार मूल्य ही है। कृषि विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जब तक बाजार व्यवस्था ऐसी नहीं होगी जिसमें किसान को ज्यादा उत्पादन करने पर कम मूल्य मिले तब तक खेती कभी किसानों के लिए लाभप्रद नहीं बन पाएगी। कृषि उपज से जुड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां ही ऐसे में किसानों की मददगार हो सकती हैं । अब देखना है कि सरकार की नई नीति का अगले कुछेक सालों में किसानों को कितना फायदा मिल पाता है ।
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रस्तावित निवेश

कंज्यूमर प्रोडक्ट्स 58 इकाइयां
फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग में 38 इकाइयां
अनाज प्रोसेसिंग में 72इकाइयां
हर्बल प्रोसेसिंग में तीन इकाइयां
मीट- पोल्ट्री - फिश प्रोसेसिंग में दो इकाइयां
मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट प्रोसेसिंग में 11
आयल सीड प्रोसेसिंग मे 5 इकाइयां

पीटीसी अखिलेश तिवारी
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