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लखनऊ: अस्पताल में लगे बोर्ड दे रहे गलत जानकारी, भटक रहे मरीज

राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. चिकित्सालय में मरीजों की सुविधा के लिए लगे बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है.

अस्पताल में लगे बोर्ड दे रहे गलत जानकारी
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Published : Jun 18, 2019, 9:16 PM IST


लखनऊ: राजधानी के राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में लगे बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है. राजाजीपुरम में करीब डेढ़ लाख की आबादी है, इस घनी आबादी में एक ही सरकारी चिकित्सालय है. इस अस्पताल में रोजाना करीब 12 से 1300 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं.

अस्पताल में लगे बोर्ड दे रहे गलत जानकारी

अस्पताल के मुख्य द्वार और परिसर में वर्षों पहले मरीजों की सुविधा के लिए कुछ बोर्ड लगाए गए थे. जो वर्षों बाद भी नहीं बदले जा सकें हैं. जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ता है. वहीं पंजीकरण कक्ष में कोई भी नंबर नहीं पड़ा हुआ है.


क्या है मामला

  • राजधानी के राजाजीपुरम में करीब डेढ़ लाख की आबादी पर एक ही सरकारी चिकित्सालय है.
  • रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में रोजाना करीब 1200 से 1300 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं.
  • 110 बेड के इस अस्पताल में रोजाना सैकडों मरीज भर्ती होते हैं.
  • अस्पताल के मुख्य द्वार और परिसर में वर्षों पहले मरीजों की सुविधा के लिए कुछ बोर्ड लगाए गए थे.
  • अस्पताल में सुविधाएं तो बदल चुकी हैं लेकिन यह बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं.
  • जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है, वहीं पंजीकरण कक्ष में कोई भी नंबर नहीं पड़ा हुआ है
  • सीएमएस डॉ. आर. के चौधरी के कमरे में लगा बोर्ड 2016 से अपडेट नहीं किया गया है.
  • चिकित्सालय में एंबुलेंस पार्किंग की जगह में स्टाफ की कारें खड़ी होती है.


लखनऊ: राजधानी के राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में लगे बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है. राजाजीपुरम में करीब डेढ़ लाख की आबादी है, इस घनी आबादी में एक ही सरकारी चिकित्सालय है. इस अस्पताल में रोजाना करीब 12 से 1300 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं.

अस्पताल में लगे बोर्ड दे रहे गलत जानकारी

अस्पताल के मुख्य द्वार और परिसर में वर्षों पहले मरीजों की सुविधा के लिए कुछ बोर्ड लगाए गए थे. जो वर्षों बाद भी नहीं बदले जा सकें हैं. जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ता है. वहीं पंजीकरण कक्ष में कोई भी नंबर नहीं पड़ा हुआ है.


क्या है मामला

  • राजधानी के राजाजीपुरम में करीब डेढ़ लाख की आबादी पर एक ही सरकारी चिकित्सालय है.
  • रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में रोजाना करीब 1200 से 1300 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं.
  • 110 बेड के इस अस्पताल में रोजाना सैकडों मरीज भर्ती होते हैं.
  • अस्पताल के मुख्य द्वार और परिसर में वर्षों पहले मरीजों की सुविधा के लिए कुछ बोर्ड लगाए गए थे.
  • अस्पताल में सुविधाएं तो बदल चुकी हैं लेकिन यह बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं.
  • जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है, वहीं पंजीकरण कक्ष में कोई भी नंबर नहीं पड़ा हुआ है
  • सीएमएस डॉ. आर. के चौधरी के कमरे में लगा बोर्ड 2016 से अपडेट नहीं किया गया है.
  • चिकित्सालय में एंबुलेंस पार्किंग की जगह में स्टाफ की कारें खड़ी होती है.
Intro:लापरवाही अस्पताल प्रशासन की, भटक रहे मरीज
राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय का मामला
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री बैठक कर अधिकारियों को फटकार लगा रहे हैं लेकिन, अधिकारी अपने पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को झेलना पड़ रहा है। राजधानी के राजाजी पुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में ऐसा ही एक मामला सामने आया। अस्पताल में लगे बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है।


Body:राजधानी के राजाजीपुरम में करीब डेढ़ लाख की आबादी है। इस घनी आबादी में एक ही सरकारी रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय है। इस अस्पताल में रोजाना करीब 12 से 1300 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। 110 बेड के इस अस्पताल में रोजाना मरीज भर्ती होते हैं। अस्पताल के मुख्य द्वार व परिसर में वर्षों पहले मरीज की सुविधा के लिए कुछ बोर्ड लगाए गए थे। इन वार्डों से मरीज को डॉक्टरों, दवा काउंटर व पर्चा काउंटर की जानकारी प्राप्त होती थी। अस्पताल में सुविधाएं तो बदल चुकी हैं लेकिन, अब यह बोल बोर्ड गलत जानकारी दे रहे हैं। जिसके चलते मरीजों को भटकना पड़ रहा है। वहीं पंजीकरण कक्ष में कोई भी नंबर नहीं पड़ा हुआ है।

एंबुलेंस पार्किंग में खड़ी स्टाफ की कारें

अस्पताल परिसर में जहां एंबुलेंस खड़ी होनी चाहिए वहां स्टाफ की कारों ने अपना कब्जा जमा लिया। वही एंबुलेंस अन्य जगह पर खड़ी हो रही है। वहीं सीएमएस डॉ आर के चौधरी के कमरे में लगा बोर्ड 2016 से अपडेट नहीं किया गया है।
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इस मामले पर जब सीएमएस डॉक्टर आर के चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।


Conclusion:राहुल श्रीवास्तव, लखनऊ
8318787082
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