बलरामपुर: जिलेभर के 576 प्राथमिक विद्यालय और 646 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 2,53,000 बच्चों को रोजाना मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत भोजन दिया जाता है. बच्चों के भोजन के लिए बेसिक शिक्षा विभाग खाद्यान्न के साथ-साथ कन्वर्जन कास्ट लगातार भुगतान करता है, लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात सामने आ रही है. बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही समझे या इसे विभागीय मनमानी, पिछले आठ सालों से लगातार परिषदीय व जूनियर हाईस्कूलों को भेजी जा रही मध्यान्ह भोजन की धनराशि का ऑडिट ही नहीं हुआ है.
- सरकारी धन का प्रत्येक वर्ष के मार्च महीने में ऑडिट किया जाता है, लेकिन वर्ष 2010-11 के बाद से बेसिक शिक्षा विभाग ने मिड डे मील के नाम पर खर्च की गई धनराशि का अभी तक ऑडिट नहीं करवाया है.
- आठ साल बाद जब मार्च 2019 को ऑडिट तिथि लेखा परीक्षा अधिकारी ने निर्धारित की तो आवश्यक अभिलेख न होने का बहाना बनाकर अधिकारियों ने इससे पल्ला झाड़ लिया.
- वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी का कहना है कि ऑडिट तिथि निर्धारित की थी, लेकिन स्कूलों में परीक्षा व चुनाव का हवाला देकर फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
- जानकारों की मानें तो मिड-डे-मील से जुड़े कई अभिलेख विभाग को ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं. मिड-डे-मील का हिसाब-किताब कई विद्यालयों के पास है ही नहीं.
- वहीं इस योजना पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपये का लाभ भी बच्चों को न मिलने की बात भी सामने आती रही है. जिसपर प्रशासन ने कार्रवाई भी की है.
मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद भारती का कहना है कि:
- पिछले आठ सालों से मिड डे मील योजना का ऑडिट ना हो पाने का कोई तर्क ही नहीं है.
- प्रत्येक साल हमारे यहां विभागीय ऑडिट होती है. उसमें मिड डे मील योजना से जुड़े कागजातों को भी जांचा परखा जाता है.
- उन्होंने कहा कि ऑडिट करने वाली एजेंसी के द्वारा तिथियों को बार-बार डाल दिया जाता है. इस वजह से ऑडिट नहीं हो पा रहा है.
- हमने मिड-डे-मील समन्वयक को कहा है कि जल्द से जल्द विद्यालयों और विभाग के लोगों को सूचित करके जिम्मेदार एजेंसी से ऑडिट करवाने का काम करें.