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बलिया: गोवंशों का बुरा हाल, पानी तक नहीं हो रहा नसीब - स्वच्छ भारत मिशन

यूपी के बलिया जिले में आश्रय स्थलों में गोवंशों का बुरा हाल है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आश्रय स्थलों में गोवंशों को खाने के लिए हरा चारा नहीं है. साथ ही गोवंशों की लगातार मौत हो रही है.

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Published : May 23, 2020, 8:50 AM IST

बलिया: निराश्रित पशुओं को रखने के लिए यूपी सरकार ने आश्रय स्थल खोलने का फैसला किया था. साथ ही इसके लिए सरकार की तरफ से धन भी आवंटित हुआ था. जिससे असहाय गोवंश भी भूखा न रहें और किसानों की फसल भी बर्बाद न हो. वहीं इस योजना का लाभ कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए अपनाए हुए हैं, जिसका उदाहरण बलिया जनपद के सोहावल गांव में देखने को मिला. यहां भूख और प्यास से गोवंश तड़प रहे हैं. साथ ही गोवंशों के सामने खाने के लिए सूखा भूसा रखा जा रहा है.

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गो आश्रय स्थलों में गोवंशों का बुरा हाल

जिले के गोवंश आश्रय स्थलों में भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ योजना को भी नजरअंदाज किया गया है, क्योंकि यहां गंदगी का अंबार है. यही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि यहां गोवंश भूख और प्यास से तड़प कर मर जाते हैं. मरे हुए गोवंश को रात के समय कहीं दूर दफना दिया जाता है. जिससे किसी को कुछ पता न चले. इससे यह साफ जाहिर होता है कि यहां केवल कुछ लोग गोवंश के नाम पर दस्तावेज में अपनी काली कमाई के लिए गौ आश्रय चलाते हैं.

इसे भी पढ़ें: यूपी में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 5,619 पहुंचा, अब तक 138 की मौत

छह गोवंशों की हुई मौत
पशु चिकित्सा अधिकारी के.के मौर्य ने बताया कि जब से यहां पर गौ आश्रय खुला है. तब से कुल 42 गोवंश रखे गए हैं, जिसमें अब तक 6 की मृत्यु हो गई है, जबकि 5 बिना टैग वाले गोवंश के विषय में पूछा गया, तो उन्होंने साफ तौर पर बताया कि जब ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव सूचना देंगे तब ही कुछ पता चलेगा.

बलिया: निराश्रित पशुओं को रखने के लिए यूपी सरकार ने आश्रय स्थल खोलने का फैसला किया था. साथ ही इसके लिए सरकार की तरफ से धन भी आवंटित हुआ था. जिससे असहाय गोवंश भी भूखा न रहें और किसानों की फसल भी बर्बाद न हो. वहीं इस योजना का लाभ कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए अपनाए हुए हैं, जिसका उदाहरण बलिया जनपद के सोहावल गांव में देखने को मिला. यहां भूख और प्यास से गोवंश तड़प रहे हैं. साथ ही गोवंशों के सामने खाने के लिए सूखा भूसा रखा जा रहा है.

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गो आश्रय स्थलों में गोवंशों का बुरा हाल

जिले के गोवंश आश्रय स्थलों में भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ योजना को भी नजरअंदाज किया गया है, क्योंकि यहां गंदगी का अंबार है. यही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि यहां गोवंश भूख और प्यास से तड़प कर मर जाते हैं. मरे हुए गोवंश को रात के समय कहीं दूर दफना दिया जाता है. जिससे किसी को कुछ पता न चले. इससे यह साफ जाहिर होता है कि यहां केवल कुछ लोग गोवंश के नाम पर दस्तावेज में अपनी काली कमाई के लिए गौ आश्रय चलाते हैं.

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छह गोवंशों की हुई मौत
पशु चिकित्सा अधिकारी के.के मौर्य ने बताया कि जब से यहां पर गौ आश्रय खुला है. तब से कुल 42 गोवंश रखे गए हैं, जिसमें अब तक 6 की मृत्यु हो गई है, जबकि 5 बिना टैग वाले गोवंश के विषय में पूछा गया, तो उन्होंने साफ तौर पर बताया कि जब ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव सूचना देंगे तब ही कुछ पता चलेगा.

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