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विश्व पर्यावरण दिवस: प्री मानसून रिपोर्ट में दिखी प्रदूषण में कमी - lucknow news

सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की प्री मानसून रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण पिछले वर्षों की अपेक्षा कम हुआ है, लेकिन एयर क्वालिटी इंडेक्स अब भी सामान्य से काफी अधिक है.

प्रदूषण में आई कमी, एक्यूआई अब भी सामान्य से अधिक
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Published : Jun 6, 2019, 9:11 AM IST

लखनऊ: चौंकिए मत! यह सच है कि सड़कों पर वाहनों के बढ़ने के बावजूद राजधानी लखनऊ में प्रदूषण पहले से कम हुआ है. सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की प्री मानसून रिपोर्ट तो यही कह रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण पिछले वर्षों की अपेक्षा कम हुआ है, लेकिन यदि एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो हम अब भी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. अब भी हमें अपना वातावरण और शुद्ध करने पर काम करने की जरूरत है.

प्री मानसून रिपोर्ट में दिखी प्रदूषण में कमी


सीएसआईआर ने जारी की प्री मानसून रिपोर्ट
भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने प्री मानसून रिपोर्ट पर ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के तहत चल रहे कामों की वजह से पिछले वर्षों में प्रदूषण में बढ़त पाई गई थी. मेट्रो के काम की वजह से कई डायवर्जन किए गए थे, जिससे सड़क पर ईंधन की खपत बढ़ी और प्रदूषण भी. हालांकि पिछले वर्षों में वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है और इसी वजह से एक्यूआई अब भी बढ़ा हुआ है.

क्या कहती है प्री मॉनसून रिपोर्ट

  • लखनऊ के 4 रेजिडेंशियल, 4 कॉमर्शियल अर्थ, 1 इंडस्ट्रियल एरिया में प्री मानसून के आंकड़े पिछले वर्षों से थोड़े बेहतर हैं.
  • हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स अब भी सामान्य से काफी अधिक है.
  • पीएम 10 विकासनगर में 256.8 रहा तो वहीं पीएम 2.5 गोमती नगर में 125.3 मिली ग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
  • कॉमर्शियल क्षेत्रों की बात की जाए तो पीएम 10 सबसे अधिक चारबाग में 243.1 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
  • वहीं पीएम 2.5 आलमबाग में 130 समरूप 7 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व तक रहा.
  • इसके अलावा इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान खरीदे गए वाहनों की संख्या में भी 9.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए किसी एक दिन के बजाय रोजमर्रा की जिंदगी में हमें कुछ ऐसे काम करने होंगे, जिनसे धीरे-धीरे कर प्रदूषण के स्तर को कमतर किया जा सके, क्योंकि यही उपाय है जिससे प्रदूषण को कम कर भविष्य के लिए भी हवा को बेहतर बनाया जा सकता है, जिसमें हम सांस लेते हैं.
प्रोफेसर आलोक धवन, निदेशक, सीएसआइआर

लखनऊ: चौंकिए मत! यह सच है कि सड़कों पर वाहनों के बढ़ने के बावजूद राजधानी लखनऊ में प्रदूषण पहले से कम हुआ है. सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की प्री मानसून रिपोर्ट तो यही कह रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण पिछले वर्षों की अपेक्षा कम हुआ है, लेकिन यदि एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो हम अब भी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. अब भी हमें अपना वातावरण और शुद्ध करने पर काम करने की जरूरत है.

प्री मानसून रिपोर्ट में दिखी प्रदूषण में कमी


सीएसआईआर ने जारी की प्री मानसून रिपोर्ट
भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने प्री मानसून रिपोर्ट पर ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के तहत चल रहे कामों की वजह से पिछले वर्षों में प्रदूषण में बढ़त पाई गई थी. मेट्रो के काम की वजह से कई डायवर्जन किए गए थे, जिससे सड़क पर ईंधन की खपत बढ़ी और प्रदूषण भी. हालांकि पिछले वर्षों में वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है और इसी वजह से एक्यूआई अब भी बढ़ा हुआ है.

क्या कहती है प्री मॉनसून रिपोर्ट

  • लखनऊ के 4 रेजिडेंशियल, 4 कॉमर्शियल अर्थ, 1 इंडस्ट्रियल एरिया में प्री मानसून के आंकड़े पिछले वर्षों से थोड़े बेहतर हैं.
  • हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स अब भी सामान्य से काफी अधिक है.
  • पीएम 10 विकासनगर में 256.8 रहा तो वहीं पीएम 2.5 गोमती नगर में 125.3 मिली ग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
  • कॉमर्शियल क्षेत्रों की बात की जाए तो पीएम 10 सबसे अधिक चारबाग में 243.1 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
  • वहीं पीएम 2.5 आलमबाग में 130 समरूप 7 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व तक रहा.
  • इसके अलावा इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान खरीदे गए वाहनों की संख्या में भी 9.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए किसी एक दिन के बजाय रोजमर्रा की जिंदगी में हमें कुछ ऐसे काम करने होंगे, जिनसे धीरे-धीरे कर प्रदूषण के स्तर को कमतर किया जा सके, क्योंकि यही उपाय है जिससे प्रदूषण को कम कर भविष्य के लिए भी हवा को बेहतर बनाया जा सकता है, जिसमें हम सांस लेते हैं.
प्रोफेसर आलोक धवन, निदेशक, सीएसआइआर

Intro:लखनऊ। सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की प्री मानसून रिपोर्ट रिलीज की गई है।उ इस रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़े सामने आए हैं कि प्रदूषण पिछले वर्षो की अपेक्षा कम हुआ है लेकिन यदि एक्यूआई की बात करें तो यह अभी भी सामान्य से काफी अधिक है और इसलिए अभी भी हमें पर्यावरण के प्रति और अधिक काम करने की आवश्यकता है।


Body:वीओ1 भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन से प्री मानसून रिपोर्ट पर ईटीवी भारत ने बातचीत की। अपनी बातचीत में उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के तहत चल रहे कामों की वजह से पिछले वर्षों में प्रदूषण में बढ़ोतरी पाई गई थी। इसका एक कारण यह भी है कि मेट्रो के काम की वजह से कई डायवर्शन किए गए थे और इस वजह से इंधन की खपत अधिक होती थी। हालांकि यह बात देखी गई है कि पिछले वर्षों की तुलना में वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है और इसी वजह से ए क्यू आई अभी भी बढ़ा हुआ है और इसमें कोई कमी नहीं आई है। प्री मॉनसून रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ शहर के 4 रेजिडेंशियल 4 कमर्शियल अर्थ 1 इंडस्ट्रियल एरिया में प्री मानसून के आंकड़े पिछले वर्षो से थोड़ी बेहतर है। हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स अभी भी सामान्य से काफी अधिक है रेजिडेंशियल क्षेत्र में pm10 की बात की जाए तो विकासनगर में pm10 256.8 मेरा तो वही पीएम 2.5 गोमती नगर में 125.3 मिली ग्राम प्रति मीटर घनत्व पर हां वही कमर्शियल क्षेत्रों की बात की जाए तो pm10 सबसे अधिक चारबाग में 243.1 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व तो वही पीएम 2.5 आलमबाग में 130 समरूप 7 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व तक रहा। इसके अलावा इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान खरीदे गए वाहनों की संख्या में भी 9.24 प्रतिशत का इजाफा पाया है। प्रो धावन बताते हैं कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए किसी एक दिन के बजाय रोजमर्रा की जिंदगी में हमें कुछ ऐसे काम करने होंगे जिनसे धीरे धीरे कर प्रदूषण के स्तर को कमतर किया जा सके क्योंकि यही उपाय है जिससे प्रदूषण को कम कर भविष्य के लिए भी हवा को बेहतर बनाया जा सकता है जिसमें हम सांस लेते हैं।


Conclusion:सीएसआइआर आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन से ईटीवी भारत संवाददाता का वन टू वन। बाइट- डॉ आलोक धावन, निदेशक, आईआईटीआर रामांशी मिश्रा
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