लखनऊ: चौंकिए मत! यह सच है कि सड़कों पर वाहनों के बढ़ने के बावजूद राजधानी लखनऊ में प्रदूषण पहले से कम हुआ है. सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च की प्री मानसून रिपोर्ट तो यही कह रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण पिछले वर्षों की अपेक्षा कम हुआ है, लेकिन यदि एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो हम अब भी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. अब भी हमें अपना वातावरण और शुद्ध करने पर काम करने की जरूरत है.
सीएसआईआर ने जारी की प्री मानसून रिपोर्ट
भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने प्री मानसून रिपोर्ट पर ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के तहत चल रहे कामों की वजह से पिछले वर्षों में प्रदूषण में बढ़त पाई गई थी. मेट्रो के काम की वजह से कई डायवर्जन किए गए थे, जिससे सड़क पर ईंधन की खपत बढ़ी और प्रदूषण भी. हालांकि पिछले वर्षों में वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है और इसी वजह से एक्यूआई अब भी बढ़ा हुआ है.
क्या कहती है प्री मॉनसून रिपोर्ट
- लखनऊ के 4 रेजिडेंशियल, 4 कॉमर्शियल अर्थ, 1 इंडस्ट्रियल एरिया में प्री मानसून के आंकड़े पिछले वर्षों से थोड़े बेहतर हैं.
- हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स अब भी सामान्य से काफी अधिक है.
- पीएम 10 विकासनगर में 256.8 रहा तो वहीं पीएम 2.5 गोमती नगर में 125.3 मिली ग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
- कॉमर्शियल क्षेत्रों की बात की जाए तो पीएम 10 सबसे अधिक चारबाग में 243.1 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व रहा.
- वहीं पीएम 2.5 आलमबाग में 130 समरूप 7 मिलीग्राम प्रति मीटर घनत्व तक रहा.
- इसके अलावा इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान खरीदे गए वाहनों की संख्या में भी 9.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए किसी एक दिन के बजाय रोजमर्रा की जिंदगी में हमें कुछ ऐसे काम करने होंगे, जिनसे धीरे-धीरे कर प्रदूषण के स्तर को कमतर किया जा सके, क्योंकि यही उपाय है जिससे प्रदूषण को कम कर भविष्य के लिए भी हवा को बेहतर बनाया जा सकता है, जिसमें हम सांस लेते हैं.
प्रोफेसर आलोक धवन, निदेशक, सीएसआइआर