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लखनऊ: केजीएमयू की बर्न यूनिट चलाने के लिए नहीं है मैन पावर

केजीएमयू में मैन पावर न होने की वजह से मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. करोड़ों की लागत से केजीएमयू में बना बर्न यूनिट अभी तक शुरू नहीं हो सका है. जिसके चलते बर्न यूनिट में मरीजों को किसी तरह की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं.

बर्न यूनिट
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Published : May 11, 2019, 9:44 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू में बने बर्न यूनिट का संचालन अब तक नहीं शुरू हो पाया है. दरअसल यूनिट के संचालन के लिए 1 साल पहले 12 सर्जन पद के लिए मंजूरी भी दे दी गई थी, लेकिन अभी भी बर्न के मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. बता दें कि यूनिट का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.

1 साल से तैयार है बर्न यूनिट की बिल्डिंग.
  • 10 साल पहले बना था बर्न यूनिट का प्रस्ताव
  • 10 साल पहले केजीएमयू में प्लास्टिक सर्जरी के बाद बर्न यूनिट बनने का प्रस्ताव तैयार किया गया था.
  • 1 साल से बिल्डिंग भी तैयार है.
  • बर्न यूनिट चलाने के लिए मैन पावर नहीं मिल पा रहा है.
  • प्लास्टिक सर्जरी में 25 बेड की यूनिट को बनाने में करीब 11 करोड़ की लागत आई है.
  • बर्न यूनिट को चलाने के लिए तमाम तारीखें तय की गई हैं, लेकिन अभी तक बर्न यूनिट शुरू नहीं हो पाई है.


बर्न यूनिट का कुछ पार्ट शुरू हो गया है. बर्न पेशेंट भर्ती के मामले में मैन पावर की कमी है. शासन स्तर पर बात चल रही है, इसके बाद भर्ती शुरू हो जाएगी.
डॉ. एसएन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू.

लखनऊ: केजीएमयू में बने बर्न यूनिट का संचालन अब तक नहीं शुरू हो पाया है. दरअसल यूनिट के संचालन के लिए 1 साल पहले 12 सर्जन पद के लिए मंजूरी भी दे दी गई थी, लेकिन अभी भी बर्न के मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. बता दें कि यूनिट का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.

1 साल से तैयार है बर्न यूनिट की बिल्डिंग.
  • 10 साल पहले बना था बर्न यूनिट का प्रस्ताव
  • 10 साल पहले केजीएमयू में प्लास्टिक सर्जरी के बाद बर्न यूनिट बनने का प्रस्ताव तैयार किया गया था.
  • 1 साल से बिल्डिंग भी तैयार है.
  • बर्न यूनिट चलाने के लिए मैन पावर नहीं मिल पा रहा है.
  • प्लास्टिक सर्जरी में 25 बेड की यूनिट को बनाने में करीब 11 करोड़ की लागत आई है.
  • बर्न यूनिट को चलाने के लिए तमाम तारीखें तय की गई हैं, लेकिन अभी तक बर्न यूनिट शुरू नहीं हो पाई है.


बर्न यूनिट का कुछ पार्ट शुरू हो गया है. बर्न पेशेंट भर्ती के मामले में मैन पावर की कमी है. शासन स्तर पर बात चल रही है, इसके बाद भर्ती शुरू हो जाएगी.
डॉ. एसएन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू.

Intro:केजीएमयू में मैन पावर ना होने की वजह से बढ़ रही यूनिट में मरीजों को नहीं मिल पा रही किसी भी तरह की सेवा केजीएमयू में बिल्डिंग खड़ी होकर तैयार है लेकिन मैन पावर ना होने की वजह से बर्न यूनिट खंडहर बनकर खड़ी है


Body:केजीएमयू में कई साल पहले उसे बर्न यूनिट का संचालन शुरू होने के तमाम दावे और वादे किए जा रहे हैं। यूनिट के संचालन के लिए आज से ठीक से 1 साल पहले 12 शिक्षक पद के लिए मंजूरी भी दे दी गई थी। लेकिन अभी भी बर्न के मरीजों को इलाज के लिए काफी भटकना पड़ रहा है। यूनिट का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। यूनिट के संचालन के लिए 12 शिक्षक पद का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। पिछले साल राज्यपाल की ओर से पदों को सजन की अंतिम मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन यूनिट संचालन की राह अभी भी आसान नहीं हो पाई।

10 साल पहले बना था बर्न यूनिट का प्रस्ताव

आज से लगभग 10 साल पहले केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी के बाद में बर्न यूनिट बनने का प्रस्ताव तैयार किया गया था और 1 साल से बिल्डिंग बढ़कर लगभग तैयार भी हो चुकी है। केजीएमयू ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग से बड़े-बड़े प्लास्टिक सर्जन करने के लिए यहां से निकलने वाले प्लास्टिक सर्जन अस्पतालों में चला रहे हैं। लेकिन केजीएमयू को बर्न यूनिट चलाने के लिए मैन पावर नहीं मिल पा रहा है। प्लास्टिक सर्जरी में 25 बेड की यूनिट को बनाने में करीब 11 करोड़ की लागत से बनी है। लेकिन अभी तक केजीएमयू में चंद सर्जन से ही काम चला रहा है। जो की पूरी तरह से नाकाफी है।यूँ तो बर्न यूनिट को चलाने के लिए तमाम तारीखें तय की गई है। लेकिन अभी तक बर्न यूनिट शुरू नहीं हो पाई। अभी तक प्रशिक्षित स्टाफ के अभाव में यूनिट पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। यूनिटों को बनाकर निर्माण विभाग ने केजीएमयू को सौंप दिया है। लेकिन केजीएमयू प्रशासन अभी भी पर्याप्त साधन संसाधन ना हो पाने की वजह से बर्न यूनिट ना चल पाने का रोना रो रहा है।

वाक थ्रू- केजीएमयू की बर्न यूनिट से

बाइट- डॉ. एस एन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू


Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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