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राजधानी में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही एमएसएमई इकाई

राजधानी में कोरोना के कारण लोगों का व्यापार एक बार फिर बंद हो गया. कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान एमएसएमई इकाइयों को हो रहा है.

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Published : Apr 24, 2021, 4:42 AM IST

लखनऊ: जिले में इस समय एमएसएमई सेक्टर कठिन वक्त से गुजर रहा है. जनवरी से मार्च तक लोगों में थोड़ी सी उम्मीद जगी थी कि आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और खरीदारी बढ़ेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. श्रमिकों ने भी औद्योगिक इकाइयों में आना शुरू कर दिया था. लेकिन अचानक पिछले दो सप्ताह के अंदर सारी व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं. सारी परिस्थितियां फिर से बदल गई हैं. उत्पादन से लेकर सप्लाई प्रभावित होने से व्यापार ठप पड़ा है.

यह भी पढ़ें:

लखनऊ में एक लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां

स्माल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर की इकाइयों का काम प्रभावित होने के पीछे का एक बड़ा कारण पंचायत चुनाव है. पंचायत चुनाव होने की वजह से श्रमिक अपने-अपने गांव में चले गए हैं, जिससे काम ठप पड़ गया है. वैसे तो पूरे प्रदेश भर में करीब 90 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, लेकिन लखनऊ की बात करें, तो अकेले इसी शहर में एमएसएमई सेक्टर की करीब एक लाख इकाइयां काम कर रही हैं. मौजूदा समय में यह इकाइयां पूरी तरह से प्रभावित हैं.

लोगों ने खुद से लॉकडाउन कर खरीदारी पर लगाया ब्रेक

दूसरी बड़ी समस्या यह है कि जब बाजार में खरीदारी नहीं होगी, तो उत्पादन करके क्या होगा. फैक्ट्री में माल रखा रहेगा. दुकानदार माल की खरीदारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि बाजार में ग्राहकों की तादाद में गिरावट आई है. पिछले साल सरकार के लॉकडाउन करने के बाद खरीददारी रुकी थी. इस बार लोग खुद लॉकडाउन लगा रहे हैं. वह बाजार में खरीदारी करने से बच रहे हैं.

हर महीने हो रहा नुकसान

शैलेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि हर महीने करीब 30 फीसदी नुकसान हो रहा है. कार्यशील पूंजी करीब 30 प्रतिशत हर महीने कम होती जा रही है. मार्केट में कहीं बिक्री नहीं है. लोगों ने आगे बढ़कर खुद से लॉकडाउन कर दिया है. बाजार नहीं है. मजदूर नहीं हैं. काम कैसे होगा. काम नहीं होगा, तो चीजें कैसे बिकेंगी. छोटे उद्योग जगत मौजूदा समय में बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गए हैं. छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई दूरदर्शिता भी नहीं दिखाई दे रही है. सरकार को चाहिए कि छोटे उद्योगों को सहायता देने के लिए कम से कम चार महीने तक उनको ब्याज मुक्त कर दें. सरकार को बिजली की सुविधा देनी चाहिए. अभी बिजली का बिल जमा नहीं होने पर तुरंत कनेक्शन काट दिया जाता है, तो ऐसे में उद्योग कैसे बढ़ेगा.

कोरोना की पड़ रही है मार

यूपी के इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल गुप्ता बताते हैं कि सरकार के स्तर पर उद्योग जगत में कोई रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन महामारी की वजह से हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. इस दौरान श्रमिक कम आ रहे हैं. बिक्री कम हो रही है. सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. उद्योग जगत के लोग प्रयास कर रहे हैं. बावजूद इसके पूरा उद्योग प्रभावित हो रहा है. हमारे खर्चे इस दौरान नहीं रुकते हैं. उत्पादन और डिमांड कम होने से नुकसान बहुत अधिक हो जा रहा है. पिछली बार कोरोना की मार से हम अभी उबर नहीं पाए थे कि दूसरी मार झेलनी पड़ रही है. इसका सबसे खराब असर लघु उद्योगों पर पड़ रहा है.

पलायन रोकने के लिए श्रमिकों को लगवाई जाए वैक्सीन

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या उत्पादन इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों में भरोसा पैदा करना है. इस महामारी की वजह से सबके मन में डर बैठा हुआ है. श्रमिक पलायन कर रहे हैं. सरकार को चाहिए कि श्रमिकों को जितना जल्दी हो सके वैक्सीन लगवाई जाए. ताकि उनके अंदर का डर समाप्त हो. इकाई चालू रखने के साथ ही इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि बाजार भी चलता रहे. तभी मकसद पूरा हो सकेगा.

लखनऊ: जिले में इस समय एमएसएमई सेक्टर कठिन वक्त से गुजर रहा है. जनवरी से मार्च तक लोगों में थोड़ी सी उम्मीद जगी थी कि आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और खरीदारी बढ़ेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. श्रमिकों ने भी औद्योगिक इकाइयों में आना शुरू कर दिया था. लेकिन अचानक पिछले दो सप्ताह के अंदर सारी व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं. सारी परिस्थितियां फिर से बदल गई हैं. उत्पादन से लेकर सप्लाई प्रभावित होने से व्यापार ठप पड़ा है.

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लखनऊ में एक लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां

स्माल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर की इकाइयों का काम प्रभावित होने के पीछे का एक बड़ा कारण पंचायत चुनाव है. पंचायत चुनाव होने की वजह से श्रमिक अपने-अपने गांव में चले गए हैं, जिससे काम ठप पड़ गया है. वैसे तो पूरे प्रदेश भर में करीब 90 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, लेकिन लखनऊ की बात करें, तो अकेले इसी शहर में एमएसएमई सेक्टर की करीब एक लाख इकाइयां काम कर रही हैं. मौजूदा समय में यह इकाइयां पूरी तरह से प्रभावित हैं.

लोगों ने खुद से लॉकडाउन कर खरीदारी पर लगाया ब्रेक

दूसरी बड़ी समस्या यह है कि जब बाजार में खरीदारी नहीं होगी, तो उत्पादन करके क्या होगा. फैक्ट्री में माल रखा रहेगा. दुकानदार माल की खरीदारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि बाजार में ग्राहकों की तादाद में गिरावट आई है. पिछले साल सरकार के लॉकडाउन करने के बाद खरीददारी रुकी थी. इस बार लोग खुद लॉकडाउन लगा रहे हैं. वह बाजार में खरीदारी करने से बच रहे हैं.

हर महीने हो रहा नुकसान

शैलेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि हर महीने करीब 30 फीसदी नुकसान हो रहा है. कार्यशील पूंजी करीब 30 प्रतिशत हर महीने कम होती जा रही है. मार्केट में कहीं बिक्री नहीं है. लोगों ने आगे बढ़कर खुद से लॉकडाउन कर दिया है. बाजार नहीं है. मजदूर नहीं हैं. काम कैसे होगा. काम नहीं होगा, तो चीजें कैसे बिकेंगी. छोटे उद्योग जगत मौजूदा समय में बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गए हैं. छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई दूरदर्शिता भी नहीं दिखाई दे रही है. सरकार को चाहिए कि छोटे उद्योगों को सहायता देने के लिए कम से कम चार महीने तक उनको ब्याज मुक्त कर दें. सरकार को बिजली की सुविधा देनी चाहिए. अभी बिजली का बिल जमा नहीं होने पर तुरंत कनेक्शन काट दिया जाता है, तो ऐसे में उद्योग कैसे बढ़ेगा.

कोरोना की पड़ रही है मार

यूपी के इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल गुप्ता बताते हैं कि सरकार के स्तर पर उद्योग जगत में कोई रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन महामारी की वजह से हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. इस दौरान श्रमिक कम आ रहे हैं. बिक्री कम हो रही है. सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. उद्योग जगत के लोग प्रयास कर रहे हैं. बावजूद इसके पूरा उद्योग प्रभावित हो रहा है. हमारे खर्चे इस दौरान नहीं रुकते हैं. उत्पादन और डिमांड कम होने से नुकसान बहुत अधिक हो जा रहा है. पिछली बार कोरोना की मार से हम अभी उबर नहीं पाए थे कि दूसरी मार झेलनी पड़ रही है. इसका सबसे खराब असर लघु उद्योगों पर पड़ रहा है.

पलायन रोकने के लिए श्रमिकों को लगवाई जाए वैक्सीन

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या उत्पादन इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों में भरोसा पैदा करना है. इस महामारी की वजह से सबके मन में डर बैठा हुआ है. श्रमिक पलायन कर रहे हैं. सरकार को चाहिए कि श्रमिकों को जितना जल्दी हो सके वैक्सीन लगवाई जाए. ताकि उनके अंदर का डर समाप्त हो. इकाई चालू रखने के साथ ही इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि बाजार भी चलता रहे. तभी मकसद पूरा हो सकेगा.

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