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जानें, क्यों खास है नैमिषारण्य का हनुमान गढ़ी, यहां पांडवों ने की थी हनुमानजी की पूजा - सीतापुर समाचार

88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य स्थित हनुमान गढ़ी का पौराणिक महत्व है. यहां हनुमानजी की दक्षिणमुखी खड़ी प्रतिमा स्थापित है. माना जाता है कि यहां दर्शन-पूजन से राहु-केतु और शनि जैसे ग्रहों के प्रकोप से शांति भी मिलती है.

नैमिषारण्य का हनुमान गढ़ी
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Published : Jun 17, 2019, 11:18 AM IST

सीतापुर: नैमिषारण्य का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है. यहां की महिमा आदिकाल से रही है और इसका उल्लेख हिन्दू धर्म के तमाम धर्मग्रंथों में भी आया है. इसी नैमिषारण्य में एक प्रमुख स्थान है हनुमान गढ़ी.

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी पूजा.

क्या है हनुमान गढ़ी का महत्व-

  • यह हनुमान गढ़ी देश के प्रसिद्ध तीन हनुमान गढ़ी में से एक है.
  • अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी में हनुमानजी की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है.
  • प्रयागराज में संगम तट पर हनुमानजी लेटे हुए मुद्रा में है.
  • नैमिषारण्य की हनुमान गढ़ी में उनकी खड़ी हुई विशाल दक्षिणमुखी प्रतिमा स्थापित है.
  • यहां हनुमानजी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण विद्यमान हैं.
  • वहीं पैरों के नीचे अहिरावण पड़ा है.

यहां के बारे में मान्यता है कि जब अहिरावण राम और लक्ष्मण की बलि देने के लिए उन्हें चुराकर पाताल लोक में ले गया था, तब हनुमानजी ने उसका वध करके राम-लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. पाताल लोक से आते समय हनुमानजी ने कुछ देर के लिए यही पर विश्राम किया था.

इस हनुमान गढ़ी को पंच पांडव हनुमान किला के नाम से भी पुकारा जाता है. बताया जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां रुककर हनुमानजी की पूजा-आराधना की थी. इसके चलते इसका नाम पंच पांडव किला पड़ा. हनुमान गढ़ी के महंत बजरंग दास का कहना है कि यहां के दर्शन मात्र से लोगों को शनि, राहु और केतु ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है.

सीतापुर: नैमिषारण्य का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है. यहां की महिमा आदिकाल से रही है और इसका उल्लेख हिन्दू धर्म के तमाम धर्मग्रंथों में भी आया है. इसी नैमिषारण्य में एक प्रमुख स्थान है हनुमान गढ़ी.

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी पूजा.

क्या है हनुमान गढ़ी का महत्व-

  • यह हनुमान गढ़ी देश के प्रसिद्ध तीन हनुमान गढ़ी में से एक है.
  • अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी में हनुमानजी की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है.
  • प्रयागराज में संगम तट पर हनुमानजी लेटे हुए मुद्रा में है.
  • नैमिषारण्य की हनुमान गढ़ी में उनकी खड़ी हुई विशाल दक्षिणमुखी प्रतिमा स्थापित है.
  • यहां हनुमानजी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण विद्यमान हैं.
  • वहीं पैरों के नीचे अहिरावण पड़ा है.

यहां के बारे में मान्यता है कि जब अहिरावण राम और लक्ष्मण की बलि देने के लिए उन्हें चुराकर पाताल लोक में ले गया था, तब हनुमानजी ने उसका वध करके राम-लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. पाताल लोक से आते समय हनुमानजी ने कुछ देर के लिए यही पर विश्राम किया था.

इस हनुमान गढ़ी को पंच पांडव हनुमान किला के नाम से भी पुकारा जाता है. बताया जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां रुककर हनुमानजी की पूजा-आराधना की थी. इसके चलते इसका नाम पंच पांडव किला पड़ा. हनुमान गढ़ी के महंत बजरंग दास का कहना है कि यहां के दर्शन मात्र से लोगों को शनि, राहु और केतु ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है.

Intro:सीतापुर:आज ज्येष्ठ माह का मंगलवार यानी बड़ा मंगल है.इस मौके पर कमोबेश सभी हनुमान मन्दिरो में धूम मची है,भक्तो का तांता लगा हुआ है और जगह जगह शर्बत-प्रसाद आदि के भंडारे आयोजित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको लेकर चल रहे हैं 88 हज़ार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य स्थित हनुमान गढ़ी की,जहां पर हनुमानजी की दक्षिणमुखी खड़ी प्रतिमा स्थापित है,इस हनुमानगढ़ी का न सिर्फ बहुत प्राचीन पौराणिक महत्व है बल्कि इसका दर्शन-पूजन से राहु-केतु और शनि जैसे ग्रहों के प्रकोप से शांति भी मिलती है.


नैमिषारण्य का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है, आदिकाल से यहां की महिमा रही है और इसका उल्लेख हिन्दू धर्म के तमाम धर्मग्रंथों में भी आया है. इसी नैमिषारण्य में एक प्रमुख स्थान है हनुमान गढ़ी,इस हनुमान गढ़ी की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करने से पहले हम आपको बता दें कि यह हनुमान गढ़ी देश प्रसिद्ध तीन हनुमान गढ़ी में से एक है.अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी में हनुमानजी की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है जबकि प्रयागराज में संगम तट पर हनुमानजी लेटी हुई मुद्रा में है.नैमिषारण्य की इस हनुमान गढ़ी मे उनकी खड़ी हुई विशाल दक्षिणमुखी प्रतिमा स्थापित है.

यहां पर हनुमानगढ़ी में हनुमानजी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण विद्यमान हैं और पैरो के नीचे अहिरावण पड़ा है. यहां के बारे में मान्यता है कि जब अहिरावण राम और लक्ष्मण की बलि देने के लिए उन्हें चुराकर पाताल लोक में ले गया था तब हनुमानजी ने उसका वध करके राम-लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. पाताल लोक से आते समय हनुमानजी ने कुछ देर के लिए यही पर विश्राम किया था.

इस हनुमान गढ़ी को पंच पांडव हनुमान किला के नाम से भी।पुकारा जाता है. बताया जाता है कि पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान यहां रुककर हनुमानजी की पूजा-आराधना की थी जिसके चलते इसका नाम पांच पांडव किला पड़ा. हनुमान गढ़ी के महंत बजरंग दास का कहना है कि यहां के दर्शन मात्र से लोगो के शनि,राहु और केतु ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है.

बाइट-बजरंग दास (महंत हनुमान गढ़ी)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887


Body:अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने की थी पूजा


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