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हरदोई: कंपोजिट ग्रांट मिलने के बावजूद नहीं बदल रही सरकारी विद्यालयों की तस्वीर - हरदोई में कंपोजिट ग्रांट

जिले में सरकारी विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. बता दें कि कंपोजिट ग्रांट के तहत विद्यालयों की देख-रेख और मरम्मत आदि के लिए पैसा दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद विद्यालयों की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है.

जिले में सरकारी विद्यालयों की हालत खराब.
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Published : Jun 27, 2019, 10:45 AM IST

हरदोई: जिले में परिषदीय विद्यालयों की स्थिति हमेशा से ही दयनीय रही है. हालांकि शासन से शिक्षा विभाग में काम कराने हेतु भरपूर बजट समय-समय पर उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन ये बजट कहां गया इसका कोई पता नहीं. परिणाम स्वरूप इन विद्यालयों की स्थिति जस का तस ही बनी हुई है. आज भी जिले के परिषदीय प्राथमिक और जूनियर विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार कागजों पर काम दिखाकर अपनी पीठ थपथपाने का काम करने से नहीं थक रहे हैं.

जिले में सरकारी विद्यालयों की हालत खराब.

जानें पूरा मामला

  • जिले में परिषदीय विद्यालयों के दुरुस्तीकरण, रंगाई-पुताई और बॉउंड्री वॉल आदि को बनवाए जाने के लिए शासन स्तर से कंपोजिट ग्रांट के तहत सरकार की तरफ से धनराशि उपलब्ध कराई गई थी.
  • 25 हजार से 1 लाख तक की धनराशि प्रत्येक विद्यालय को उपलब्ध कराई गई थी.
  • इसके बावजूद विद्यालयों की स्थिति में कोई भी सुधार नहीं आया है.
  • अधिकारी कंपोजिट ग्रांट के तहत विद्यालयों में सुधार किए जाने का दावा कर रहे हैं.

कंपोजिट ग्रांट जिले के विद्यालयों में शत-प्रतिशत काम कराया जा चुका है. इससे विद्यालयों में सुविधाओं में वृद्धि हुई है. विद्यालय आधुनिक साज-सज्जाओं से परिपूर्ण हो चुके हैं.
-हेमंत राव, बीएसए

हरदोई: जिले में परिषदीय विद्यालयों की स्थिति हमेशा से ही दयनीय रही है. हालांकि शासन से शिक्षा विभाग में काम कराने हेतु भरपूर बजट समय-समय पर उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन ये बजट कहां गया इसका कोई पता नहीं. परिणाम स्वरूप इन विद्यालयों की स्थिति जस का तस ही बनी हुई है. आज भी जिले के परिषदीय प्राथमिक और जूनियर विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार कागजों पर काम दिखाकर अपनी पीठ थपथपाने का काम करने से नहीं थक रहे हैं.

जिले में सरकारी विद्यालयों की हालत खराब.

जानें पूरा मामला

  • जिले में परिषदीय विद्यालयों के दुरुस्तीकरण, रंगाई-पुताई और बॉउंड्री वॉल आदि को बनवाए जाने के लिए शासन स्तर से कंपोजिट ग्रांट के तहत सरकार की तरफ से धनराशि उपलब्ध कराई गई थी.
  • 25 हजार से 1 लाख तक की धनराशि प्रत्येक विद्यालय को उपलब्ध कराई गई थी.
  • इसके बावजूद विद्यालयों की स्थिति में कोई भी सुधार नहीं आया है.
  • अधिकारी कंपोजिट ग्रांट के तहत विद्यालयों में सुधार किए जाने का दावा कर रहे हैं.

कंपोजिट ग्रांट जिले के विद्यालयों में शत-प्रतिशत काम कराया जा चुका है. इससे विद्यालयों में सुविधाओं में वृद्धि हुई है. विद्यालय आधुनिक साज-सज्जाओं से परिपूर्ण हो चुके हैं.
-हेमंत राव, बीएसए

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250
26 जून 2019

एंकर----हरदोई जिले में परिषदीय विद्यालयों की स्थिति हमेशा से ही दयनीय रही है।हालांकि शासन से शिक्षा विभाग में काम कराने हेतु भरपूर बजट समय समय पर उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन ये बजट बिचौलियों या यूं कहें कि जिम्मेदारों की जेबों में जाकर बस जाता है।परिणाम स्वरूप इन विद्यालयों का स्वरूप जस का तस ही बना रह जाता है।आज भी जिले के परिषदीय प्राथमिक व जूनियर विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार कागजों पर काम दिखा कर अपनी पीठ थपथपाने का काम करने से नहीं थक रहे हैं।हम बात कर रहे हैं जिले के प्राथमिक विद्यालयों को मिलने वाले कंपोजिट ग्रांट की।जिसके तहत विद्यालयों की देख रेख व मरम्मत आदि के लिए पैसा दिया जाता है।आइए देखते हैं कि इस कंपोजिट ग्रांट के घट अब्बी तक जिले में कितना काम हुआ है।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले में परिषदीय विद्यालयों के दुरुस्तीकरण, रंगाई पुताई व बॉण्डरी वॉल आदि को बनवाये जाने के लिए शासन स्तर से कंपोजिट ग्रांट के तहत 25 हज़ार से 1 लाख तक कि धनराशि प्रत्येक विद्यालय को उपलब्ध कराई गई थी।जिसके तहत अब तक विद्यालयों में काम पूर्ण होजाना था।लेकिन जब ईटीवी की टीम ने नगरीय क्षेत्र के कुछ विद्यालयों का भ्रमण किया तो पाया कि इनकी स्थिति जैसी पूर्व में थी वैसी ही आज भी बनी हुई है।आज भी यहां का भवन जर्जर अवस्था मे है।आज भी यहां की बाउंड्री वॉल टूटी पड़ी हुई है।आज भी यहां गंदगी पसरी हुई है।आज भी आवारा पशुओं का डेरा यहां बरकरार है।लेकिन विभागीय जिम्मेदार कागजों पर ही कंपोजिट ग्रांट के तहत किये गए काम को दिखा कर वाह वाही लूट रहे हैं।जैसा कि आप तसवीरों में देख सकते हैं कि ये विद्यालय जिला मुख्यालय से करीब 1 किलोमीटकर की दूरी पर रेलवे गंज इलाके में मौजूद हैं।यहां पर कुल तीन प्राथमिक विद्यालय मौजूद हैं।इन सभी की स्थिति दयनीय है।स्कूलों में टूटी बाउंड्री से लेकर जर्जर भवन के नीचे बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।लेकिन किसी की भी नज़र इन विद्यालयों पर नहीं पड़ रही है।सवाल ये पैदा होता है कि जब नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों का ये हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जाना मुश्किल नहीं है।

विसुअल

वीओ--2--वहीं जब बीएसए हरदोई से जानकारी ली गयी तो उन्होंने कंपोजिट ग्रांट के बारे में विधिवत रूप से बताया।कहा कि इसके तहत जिले के शत प्रतिशत विद्यालयों में काम कराया जा चुका है।कहा कि विद्यालयों को बच्चों की संख्या के आधार पर 25 हज़ार से 1 लाख तक का कंपोजिट ग्रांट विद्यालयों के लिए मिला है।लेकिन ये तस्वीरें कुछ और ही बयान कर रही हैं।हालांकि उन्होंने शेष बचे विद्यालयों में भी जल्द ही काम कराए जाने का दावा जरूर पेश किया।

बाईट--हेमंत राव--बीएसए हरदोई

पीटूसी



Conclusion:एक तरफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शत प्रतिशत कार्य कराए जाने का दावा पेश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ तस्वीरें कुछ और ही बयान कर रही हैं।ऐसे में कंपोजिट ग्रांट के तहत मिलने वाले पैसों को किस प्रकार खर्चा जा रहा है इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है।लेकिन विद्यालयों की तस्वीर जस की तस बनी हुई है।
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