बस्ती: ये आरोपों की फेहरिस्त नहीं हकीकत की जमीनी सच्चाई है. किस तरह बस्ती जनपद के जिला प्रशासन और पीडब्लूडी विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री तक को बरगलाने से बाज नही आ रहे. यूँ तो बस्ती की कई सड़कों पर सफर ऐसा है कि जिसमें झूलकर आदमी थक जाता है या तो वो तौबा करता है या गड्ढों में गिरकर सीधे अनन्त यात्रा का रास्ता पकड़ता है.
प्रदेश को गड्ढामुक्त कर देने का दावा तो हर मंच से मुख्यमंत्री योगी करते रहते हैं लेकिन ये दावे अनेक बार खोखले ही साबित हुए हैं. एक ताजा मिसाल जनपद में उस वक़्त देखने को मिली जब खुद सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य जनपद के दौरे पर थे. जिसको लेकर पूरा प्रशासन मुस्तैद हो गया था, निगम की आेर से सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की तैयारी की जा रही थी, तो दूसरी ओर मार्गों पर मिट्टी डालकर पैचवर्क किया गया.
मुंडेरवा चीनी मिल में सीएम के कार्यक्रम की वजह से सबसे ज्यादा हरकत बस्ती-कांटे मार्ग पर रही. जिस सड़क पर पिछले कई महीनों से किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की आेर से ध्यान नहीं दिया गया. प्रदेश के मुख्यमंत्री अाने की सूचना के चलते ठेकेदार उसकी सुध लेने पहुंच गए. हालांकि यह सड़क पिछले कई महीने से धंसी हुई है और ठेकेदार व अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे थे.
इस दौरान स्तानीय लोग तो यह कहते रहे कि अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सीएम योगी की आंखों में भी धूल झोंक रहे हैं. उन्होंने बताया कि आनन फानन में ठेकेदार मिट्टी डालकर गड्ढों को भर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना था कि दो दिन नें इन सड़क की हालत फिर पहले जैसे हो जाएगी. इस सड़क पर अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन गद्धमुक्त सड़क का दावा करने वाले अधिकारी झांकने भी नही आते हैं.
जब इस बाबत डीएम राजशेखर से पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब अधिकारी और ठेकेदार मिलकर मुख्यमंत्री तक को बरगला दे रहे हैं तो आखिर प्रदेश को गड्ढामुक्त करने का अभियान कैसे सफ़ल होगा.