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मदद की आस में सीएम योगी की राह देख रहा दिव्यांग

मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के रहने वाले अभिषेक पांडेय बीते साल ट्रेन से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. जिसके बाद उन्होंने सीएम योगी से मदद की गुहार लगाई है. लेकिन अबतक उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी है.

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Published : Feb 22, 2019, 10:29 AM IST

दिव्यांग ने सीएम योगी से लगाई मदद की गुहार.

मऊ: हादसों का क्या वो तो कभी भी किसी के साथ भी हो जाते हैं. लेकिन जिंदगी में कभी-कभी कुछ ऐसे हादसे भी हो जाते हैं जो जीवनभर का गम दे जाते हैं. कुछ ऐसा ही दर्द झेल रहे हैं, मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक पांडेय.

दिव्यांग ने सीएम योगी से लगाई मदद की गुहार.

जिन्होंने लगभग दो साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. जिसके बाद परिजनों ने अभिषेक के इलाज के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मदद की गुहार लगाई. जहां सीएम ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा जताया था. लेकिन मदद के नाम पर परिवार को अबतक एक फूटी कौटी भी नहीं मिली है.

कुछ यूं मिला ये जिंदगी भर का दर्द

बता दें 13 जून 2017 को अभिषेक ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहा था. इस दौरान ट्रेन से गिरकर वो बुरी तरह से घायल हो गए थे. जिसमें अभिषेक के कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया साथ ही दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक के इलाज में लगभग 20 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. अब आगे के इलाज और आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रूपये का खर्च है.

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इलाज के लिए कर दिया सबकुछ कुर्बान

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां हाउसवाइफ हैं. ऐसे में वो आगे का इलाज कराने में असमर्थ हैं. पैसों के इंतजाम के लिए अभिषेक के घरवालों ने अपनी जमीनें भी बेच दीं और भारी कर्ज भी ले चुके हैं. परेशानी के इस दौर में पिछले साल परेशान परिजनों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मदद की गुहार लगाई थी. जिस पर मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया. बावजूद अभिषेक को इलाज के लिए अबतक सीएम योगी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी है.

सामाजिक संस्था से मिली थोड़ी राहत

फिलहाल अभिषेक ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई. जिसपर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है.

हौसले को सलाम

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक का कहना है कि अगर सरकार इलाज में मदद नहीं कर सकती, तो कम से कम एक नौकरी दे दे. जिससे वो बोलकर या लिखकर काम कर सकें. अभिषेक ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि अपने हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से वो 8 घंटे की बजाय 10 घंटा काम करने को तैयार हैं.

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मऊ: हादसों का क्या वो तो कभी भी किसी के साथ भी हो जाते हैं. लेकिन जिंदगी में कभी-कभी कुछ ऐसे हादसे भी हो जाते हैं जो जीवनभर का गम दे जाते हैं. कुछ ऐसा ही दर्द झेल रहे हैं, मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक पांडेय.

दिव्यांग ने सीएम योगी से लगाई मदद की गुहार.

जिन्होंने लगभग दो साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. जिसके बाद परिजनों ने अभिषेक के इलाज के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मदद की गुहार लगाई. जहां सीएम ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा जताया था. लेकिन मदद के नाम पर परिवार को अबतक एक फूटी कौटी भी नहीं मिली है.

कुछ यूं मिला ये जिंदगी भर का दर्द

बता दें 13 जून 2017 को अभिषेक ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहा था. इस दौरान ट्रेन से गिरकर वो बुरी तरह से घायल हो गए थे. जिसमें अभिषेक के कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया साथ ही दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक के इलाज में लगभग 20 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. अब आगे के इलाज और आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रूपये का खर्च है.

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इलाज के लिए कर दिया सबकुछ कुर्बान

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां हाउसवाइफ हैं. ऐसे में वो आगे का इलाज कराने में असमर्थ हैं. पैसों के इंतजाम के लिए अभिषेक के घरवालों ने अपनी जमीनें भी बेच दीं और भारी कर्ज भी ले चुके हैं. परेशानी के इस दौर में पिछले साल परेशान परिजनों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मदद की गुहार लगाई थी. जिस पर मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया. बावजूद अभिषेक को इलाज के लिए अबतक सीएम योगी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी है.

सामाजिक संस्था से मिली थोड़ी राहत

फिलहाल अभिषेक ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई. जिसपर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है.

हौसले को सलाम

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक का कहना है कि अगर सरकार इलाज में मदद नहीं कर सकती, तो कम से कम एक नौकरी दे दे. जिससे वो बोलकर या लिखकर काम कर सकें. अभिषेक ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि अपने हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से वो 8 घंटे की बजाय 10 घंटा काम करने को तैयार हैं.

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Intro:मऊ। हादसों का क्या...वो तो कभी भी किसी के साथ भी हो जाते हैं. लेकिन जिंदगी में कभी-कभी कुछ ऐसे हादसे हो जाते हैं जो जीवनभर का गम दे जाते हैं. कुछ ऐसा ही दर्द झेल रहा है यूपी के जनपद मऊ का रहने वाले अभिषेक पांडेय. जिसने लगभग दो साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. अभिषेक व उनके पिता मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक कोई मदद न मिली.


Body:बता दें कि 13 जून 2017 की बात है जब अभिषेक ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहा था. लेकिन चलती ट्रेन से वह गिर पड़ा जिसमें उसके कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया. वहीं दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक के इलाज में लगभग 20 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. अब आगे के इलाज व आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रूपये का खर्च है.

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां भी हाउसवाइफ हैं. आगे का इलाज कराने में असमर्थ पिता खुद हार्ट के मरीज भी हैं. पैसों के इंतजाम के लिए पिता ने जमीनें बेच दीं और कर्ज भी लेना पड़ा है. पिछले वर्ष मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने मदद की गुहार भी लगाई थी जिस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया लेकिन आश्वासन बस आश्वासन ही रह गया. बावजूद इसके हादसे से मिले दर्द से लड़ते हुए भी अभिषेक ने जीने का हौसला बांधा हुआ है.

मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक ने खुद भी सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन व सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई थी. जिसपर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था ने कुछ मदद की. संस्था की मदद से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है जिससे खाने पीने में कुछ सुविधा हो जाती है. लेकिन अब तक आर्थिक स्तर पर कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.


Conclusion:अभिषेक के पिता लक्ष्मण पांडेय ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए जमीन बेचकर और कर्ज लेकर लाखों रूपए खर्च कर चुके हैं. अब आगे के इलाज के लिए असमर्थ हैं. पिछले वर्ष दीपावली से पहले मुख्यमंत्री से मिलकर मदद कि गुहार भी लगा चुके हैं. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली. यदि सरकार इलाज में आर्थिक मदद कर दे तो अभिषेक अपने हौसले से एक बार फिर खड़ा हो सकता है. अपनी व्यथा सुनाते हुए अभिषेक की मां भावुक हो गई. उन्होंने बताया कि वो दिनभर बेटे की देखरेख में लगी रहती हैं. इलाज के खर्च के लिए जमीन बेच दिया, गहना बेच दिया और कर्ज भी ले लिया. सरकार से हमारी मांग है कि आर्टिफिशियल पैर लगाने में आर्थिक मदद करें.

पुलवामा हमले में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को हर कोई श्रद्धांजलि दे रहा है. अभिषेक ने भी घर पर उन जवानों को अपने हौसले से श्रद्धांजलि दी है. हौसले से अपनी शारीरिक असमर्थता को परास्त करते हुए अभिषेक ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने पर खुद उन्होंने हाथों से एप्लीकेशन लिया लेकिन एप्लीकेशन की रिसीविंग उनको नहीं दी गई. मुख्यमंत्री का आश्वासन और सहानुभूति तो मिली लेकिन मदद नहीं मिली. वह चाहते तो किसी अस्पताल में मेरा इलाज करा सकते थे.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक का कहना है कि यदि सरकार इलाज में मदद नहीं कर सकती तो कम से कम एक नौकरी दे दे जिसमें बोलकर या लिखकर काम करना हो. मैं अपने हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से 8 घंटे की बजाय 10 घंटा काम करूंगा. अपनी तरह अन्य दिव्यांगों को संदेश देते हुए कहा कि रोने या हिम्मत हारकर बैठ जाने से हमारी तकलीफें दूर नहीं हो सकती. इसलिए जज्बे के साथ लड़कर आगे बढ़ना चाहिए.

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