मऊ: हादसों का क्या वो तो कभी भी किसी के साथ भी हो जाते हैं. लेकिन जिंदगी में कभी-कभी कुछ ऐसे हादसे भी हो जाते हैं जो जीवनभर का गम दे जाते हैं. कुछ ऐसा ही दर्द झेल रहे हैं, मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक पांडेय.
जिन्होंने लगभग दो साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. जिसके बाद परिजनों ने अभिषेक के इलाज के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मदद की गुहार लगाई. जहां सीएम ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा जताया था. लेकिन मदद के नाम पर परिवार को अबतक एक फूटी कौटी भी नहीं मिली है.
कुछ यूं मिला ये जिंदगी भर का दर्द
बता दें 13 जून 2017 को अभिषेक ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहा था. इस दौरान ट्रेन से गिरकर वो बुरी तरह से घायल हो गए थे. जिसमें अभिषेक के कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया साथ ही दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक के इलाज में लगभग 20 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. अब आगे के इलाज और आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रूपये का खर्च है.
इलाज के लिए कर दिया सबकुछ कुर्बान
अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां हाउसवाइफ हैं. ऐसे में वो आगे का इलाज कराने में असमर्थ हैं. पैसों के इंतजाम के लिए अभिषेक के घरवालों ने अपनी जमीनें भी बेच दीं और भारी कर्ज भी ले चुके हैं. परेशानी के इस दौर में पिछले साल परेशान परिजनों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मदद की गुहार लगाई थी. जिस पर मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया. बावजूद अभिषेक को इलाज के लिए अबतक सीएम योगी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी है.
सामाजिक संस्था से मिली थोड़ी राहत
फिलहाल अभिषेक ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई. जिसपर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है.
हौसले को सलाम
मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक का कहना है कि अगर सरकार इलाज में मदद नहीं कर सकती, तो कम से कम एक नौकरी दे दे. जिससे वो बोलकर या लिखकर काम कर सकें. अभिषेक ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि अपने हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से वो 8 घंटे की बजाय 10 घंटा काम करने को तैयार हैं.