मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल में शनिवार के दिन मां विंध्यवासिनी के मंदिर में फूल माला के बजाय नए घड़े में गंगाजल लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार घड़े में गंगाजल लेकर पूरे विंध्याचल मंदिर की धुलाई भक्तों द्वारा की जाती है.
शनिवार के दिन मां विंध्यवासिनी मंदिर में मनाया जाता है अनोखा उत्सव-
- मिर्जापुर में स्थित मां विंध्यवासिनी दरबार में शनिवार के दिन अनोखा उत्सव मनाया जाता है.
- इस उत्सव को घाटा अभिषेक के साथ-साथ वार्षिक पूजन भी कहा जाता है.
- नवरात्रि मेले के दौरान प्रतिदिन लाखों की संख्या में आने वाले भक्तों की पूजा अर्चना के बाद वैशाख मास के प्रतिपदा तिथि को विंध्यवासिनी धाम की गंगाजल से धुलाई की जाती है.
क्यों की जाती है मंदिर की धुलाई-
- नवरात्र के दौरान तंत्र-मंत्र और पूजा के दौरान हुई दुष्ट आत्माओं को हटाने के लिए वर्षों से परंपरा चली आ रही है.
- इस दौरान विंध्याचल के हजारों लोग घर से घड़ा लेकर गंगा तट पर पहुंचते हैं. वहां से स्नान के बाद घड़े में पानी लेकर मंदिर पर पहुंचते हैं.
- इसके बाद घड़े के पानी के साथ मां विंध्यवासिनी का दर्शन कर उसी पानी से पूरे मंदिर की धुलाई की जाती है.
- इस परंपरा में पंडा समाज के साथ ही दूर-दूर से आए श्रद्धालु भी मां विंध्यवासिनी मंदिर के परिसर की धुलाई करते हैं.
- श्रद्धालु और पंडा समाज जिसे घड़ा अभिषेक भी कहते हैं. घड़ा अभिषेक के बाद मंदिर में मां का विशेष श्रृंगार आराधना पूजा करते हैं.
बिंद पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी का कहना है कि
- मां विंध्यवासिनी मंदिर को गंगाजल से धुलाई की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है.
- यहां के पंडा समाज के साथ आए हुए श्रद्धालु सभी लोग मिलकर गंगा जी मैं स्नान करने के बाद घड़े में पानी भरकर लाते हैं.