मिर्जापुर: चुनार की खुबसूरत और सस्ती गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग दीपावली के नजदीक आते ही बढ़ जाती है. देश के विभिन्न प्रांतों से होने वाले मांग की पूर्ति के लिए स्थानीय व्यापारी पूरे वर्ष काम करते हैं. तब कहीं जाकर वह बाजार में मूर्तियों की आपूर्ति कर पाते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में आनाकानी और जीएसटी का बोझ उद्योग को बढ़ाने में बाधक बना हुआ है.
दीपावली आते ही बढ़ जाती है मांग
दीपावली आने के साथ ही चुनार की मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई प्रदेशों में यहां की मूर्तियों की मांग है. साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक चुनार की मूर्तियों की आपूर्ति की जाती है.
सालों से काम कर रहे व्यापारी
सैकड़ों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी पुस्तैनी व्यापारी काम करते आ रहे हैं. इन्हें दीपावली पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. छोटी पूंजी से व्यापार करने वाले दुकानदार अपने उद्योग को बढ़ाना चाहते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में की जाने वाली हीला-हवाली उनके अरमानों पर पानी फेर देती है. मूर्तियों पर 12% का टैक्स लगाए जाने से भी व्यापार पर भी असर पड़ा है.
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ग्राहकों के पैमाने पर खरी मूर्तियां-
चुनार की मूर्तियां ग्राहकों के पैमाने पर खरी उतरती हैं. लिहाजा इनकी मांग दूर-दूर तक है. तभी तो पूरे वर्ष इनका निर्माण किया जाता है. 2 महीने में ही इनके गोदाम खाली हो जाते हैं. आसपास के जनपदों से आने वाले व्यापारी चुनार की बनी मूर्तियों के मुरीद हैं. उन्हें चार पैसे का मुनाफा हो जाता है और इसके साथ ही माल भी सस्ता और अच्छा मिल जाता है.