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मिर्जापुर: चुनार में बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की दिवाली में बढ़ जाती है मांग

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चुनार में बनी खुबसूरत गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में है. दीपावली नजदीक आते ही इनकी मांग बढ़ जाती है. मूर्तियों की मांग को पूरा करने के लिए व्यापारी पूरे वर्ष काम करते हैं. तब कहीं जाकर वह बाजार में मिल पाती हैं.

चुनार में बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां
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Published : Oct 28, 2019, 7:48 AM IST

मिर्जापुर: चुनार की खुबसूरत और सस्ती गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग दीपावली के नजदीक आते ही बढ़ जाती है. देश के विभिन्न प्रांतों से होने वाले मांग की पूर्ति के लिए स्थानीय व्यापारी पूरे वर्ष काम करते हैं. तब कहीं जाकर वह बाजार में मूर्तियों की आपूर्ति कर पाते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में आनाकानी और जीएसटी का बोझ उद्योग को बढ़ाने में बाधक बना हुआ है.

चुनार में बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों की दिवाली में बढ़ जाती है मांग.

दीपावली आते ही बढ़ जाती है मांग
दीपावली आने के साथ ही चुनार की मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई प्रदेशों में यहां की मूर्तियों की मांग है. साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक चुनार की मूर्तियों की आपूर्ति की जाती है.

सालों से काम कर रहे व्यापारी
सैकड़ों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी पुस्तैनी व्यापारी काम करते आ रहे हैं. इन्हें दीपावली पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. छोटी पूंजी से व्यापार करने वाले दुकानदार अपने उद्योग को बढ़ाना चाहते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में की जाने वाली हीला-हवाली उनके अरमानों पर पानी फेर देती है. मूर्तियों पर 12% का टैक्स लगाए जाने से भी व्यापार पर भी असर पड़ा है.

यह भी पढ़े: शहीदों के नाम पर जलाए गए 11 हजार दीपों से जगमग हुआ गोरक्षपीठ का भीम सरोवर

ग्राहकों के पैमाने पर खरी मूर्तियां-
चुनार की मूर्तियां ग्राहकों के पैमाने पर खरी उतरती हैं. लिहाजा इनकी मांग दूर-दूर तक है. तभी तो पूरे वर्ष इनका निर्माण किया जाता है. 2 महीने में ही इनके गोदाम खाली हो जाते हैं. आसपास के जनपदों से आने वाले व्यापारी चुनार की बनी मूर्तियों के मुरीद हैं. उन्हें चार पैसे का मुनाफा हो जाता है और इसके साथ ही माल भी सस्ता और अच्छा मिल जाता है.

मिर्जापुर: चुनार की खुबसूरत और सस्ती गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग दीपावली के नजदीक आते ही बढ़ जाती है. देश के विभिन्न प्रांतों से होने वाले मांग की पूर्ति के लिए स्थानीय व्यापारी पूरे वर्ष काम करते हैं. तब कहीं जाकर वह बाजार में मूर्तियों की आपूर्ति कर पाते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में आनाकानी और जीएसटी का बोझ उद्योग को बढ़ाने में बाधक बना हुआ है.

चुनार में बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों की दिवाली में बढ़ जाती है मांग.

दीपावली आते ही बढ़ जाती है मांग
दीपावली आने के साथ ही चुनार की मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई प्रदेशों में यहां की मूर्तियों की मांग है. साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक चुनार की मूर्तियों की आपूर्ति की जाती है.

सालों से काम कर रहे व्यापारी
सैकड़ों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी पुस्तैनी व्यापारी काम करते आ रहे हैं. इन्हें दीपावली पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. छोटी पूंजी से व्यापार करने वाले दुकानदार अपने उद्योग को बढ़ाना चाहते हैं. वहीं बैंकों की ओर से लोन देने में की जाने वाली हीला-हवाली उनके अरमानों पर पानी फेर देती है. मूर्तियों पर 12% का टैक्स लगाए जाने से भी व्यापार पर भी असर पड़ा है.

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ग्राहकों के पैमाने पर खरी मूर्तियां-
चुनार की मूर्तियां ग्राहकों के पैमाने पर खरी उतरती हैं. लिहाजा इनकी मांग दूर-दूर तक है. तभी तो पूरे वर्ष इनका निर्माण किया जाता है. 2 महीने में ही इनके गोदाम खाली हो जाते हैं. आसपास के जनपदों से आने वाले व्यापारी चुनार की बनी मूर्तियों के मुरीद हैं. उन्हें चार पैसे का मुनाफा हो जाता है और इसके साथ ही माल भी सस्ता और अच्छा मिल जाता है.

Intro:ख़बर रैप से

मिर्ज़ापुर चुनार की खुबसूरत और सस्ते मुर्तियों की मांग दीपावली नजदीक आते ही बढ़ जाती है । देश के विभिन्न प्रांतों से होने वाले मांग की पूर्ति के लिए स्थानीय व्यापारी पूरे वर्ष काम करते हैं तब कहीं जाकर वह बाजार में आपूर्ति कर पाते हैं। बैंकों द्वारा लोन देने में आनाकानी और जीएसटी का बोझ उद्योग को बढ़ाने में बाधक बना हुआ है।Body:सैकड़ों वर्षों से मिर्ज़ापुर चुनार के खिलौने और गणेश लक्ष्मी की मूर्ति की मांग दीपावली आने के साथ ही बढ़ जाती हैं । उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई प्रदेशों में इसकी मांग है साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक चुनार के मूर्तियों की आपूर्ति की जाती है।सैकड़ो सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी पुस्तैनी व्यापारी काम करते आ रहे हैं ‌। इन्हें दीपावली पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है । छोटी पूंजी से व्यापार करने वाले दुकानदार अपनी उद्योग को बढ़ाना चाहते हैं पर बैंकों के द्वारा लोन देने मेंं की जाने वाली हीला हवाली उनके अरमानों पर पानी फेर देती है । मूर्तियों पर 12% का टैक्स लगाए जाने से भी व्यापार पर असर पड़ा है।
चुनार की मूर्तियां ग्राहकों के इस पैमाने पर खरी उतरती हैं । लिहाजा इनकी मांग दूर-दूर तक है । तभी तो पूरे वर्ष इनका निर्माण किया जाता है तो 2 महीने में ही इनके गोदाम खाली हो जाते हैं । फिर पूरे वर्ष काम होता है तब कहीं जाकर दुकानदार आपूर्ति कर पाते हैं । आसपास के जनपदों से आने वाले व्यापारी चुनार की बनी मूर्तियों के मुरीद हैं । उन्हें चार पैसा का मुनाफा हो जाता है तो माल भी सस्ता और अच्छा मिल जाता है ।

Bite-राम चन्द्र-दुकानदार
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जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
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