गोरखपुरः कोरोना के मरीजों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है. गोरखपुर में अस्पतालों में भर्ती हो रहे कोरोना मरीजों से 6 गुना ज्यादा मरीज तेजी के साथ घरों में ही स्वस्थ और रिकवर कर रहे हैं. यह अलग बात है कि इस बार कोरोना को भयानक बताया जा रहा है, लेकिन घर पर आइसोलेट होकर दवाओं और जरूरी उपायों के साथ लोग फिट हो रहे हैं. यही कोरोना मरीजों के लिए सबसे अच्छा संकेत है. सीएमओ की माने तो अस्पताल में भर्ती होने के लिए वहीं मरीज जाएं जो पुरानी किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. जिनका ऑक्सीजन लेवल लगातार स्टैंडर्ड लेवल से कम बना हुआ है. जिनके अंदर कोई लक्षण नहीं है और वह कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं तो वह खुद को घर में आइसोलेट करते हुए दवाओं के साथ जरूरी उपाय को अपनाएं. इससे तो और भी बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा. अस्पतालों में भर्ती होने के मामले बीमारी के प्रति घबराहट का नतीजा ज्यादा दिखाई दे रहा है.
रैपिड रिस्पॉन्स और कोविड कमांड टीम रखती है होम आइसोलेटेड मरीज पर ध्यान
स्वास्थ विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो यह आंकड़े ही इस बात की गवाही दे रहे हैं कि जिले में कोविड के इलाज के लिए बनाए गए अस्पतालों में बेड़ों की संख्या लगभग 17 सौ है. इसलिए अस्पताल से 6 गुना पेशेंट घर में अपना इलाज करा रहे हैं. 26 अप्रैल 2021 तक एक्टिव केसों की बात करें तो गोरखपुर में यह आंकड़ा 9650 का है. इसकी पुष्टि खुद सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने किया है. जिले में अब तक कुल 37,368 लोग संक्रमित हो चुके हैं. 421 की मौत हो चुकी है और 27,299 लोग स्वस्थ होकर घर पर हैं.
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गोरखपुर में 34 कोविड अस्पताल में 17 सौ बेड में वेंटिलेटर बेड भी शामिल हैं, जिसमें निजी और सरकारी अस्पताल शामिल है. सरकारी अस्पतालों में प्रमुख रूप से बीआरडी मेडिकल कॉलेज, रेलवे और टीवी हॉस्पिटल शामिल हैं. 26 अप्रैल तक एक्टिव 9,650 केस है, जिसमें 7,780 पेशेंट घर पर ही अपना इलाज करा रहे हैं. होम आइसोलेटेड मरीजों के लिए रैपिड रिस्पांस टीम बनाई गई है, जो जिले के 20 ब्लॉकों और 23 शहरी क्षेत्रों में एक्टिव रूप से काम कर रही है. यह टीम आइसोलेटेड मरीजों की फोन से भी हाल-चाल लेती है. क्रिटिकल कंडीशन के लिए गाइड भी करती है. इसके अलावा कोविड-19 कमांड सेंटर से भी होम आइसोलेटेड हुए मरीजों को फोन जाता है. उनके संपर्क में आए हुए लोगों की डिटेल लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जाती है.
होम आइसोलेशन में रहकर खुद को फिट करें मरीज
सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय का कहना है कि यह सही है कि अस्पतालों में बेड की तुलना में एक्टिव केस ज्यादा हैं. ज्यादातर संक्रमित घर पर ही ठीक हो रहे हैं. होम आइसोलेटेड मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग की बनाई गई टीम काम कर रही है. मरीजों को दवा से लेकर अन्य मामलों में भी यह टीम गाइड कर रही है. तभी अच्छी सफलता भी देखने को मिल रही है, नहीं तो जितना एक्टिव केस हैं. उसका बीस प्रतिशत भी बेड अस्पताल में नहीं है. उन्होंने कहा कि लोग घबराहट में न आए और होम आइसोलेशन में जरूरी उपाय अपनाएं तो परिणाम बेहतर ही आएगा.