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'एक देश-एक चुनाव' को मायावती का नो सिग्नल, कहा- यह सिर्फ छलावा है - मायावती ने एक देश एक चुनाव का किया विरोध

केंद्र सरकार की ओर से देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने हिस्सा नहीं लिया. वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने इसका विरोध करते हुए भाजपा पर हमला बोला है.

बसपा प्रमुख मायावती ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा.
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Published : Jun 19, 2019, 7:57 PM IST

लखनऊ: बसपा अध्यक्ष मायावती ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. बसपा सुप्रीमो का कहना है कि 'एक देश-एक चुनाव' देश का मुद्दा नहीं बल्कि यह बीजेपी का नया ढकोसला है. भाजपा देश के लोकतंत्र को हाईजैक करना चाहती है. साथ ही लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही भाजपा ने यह 'एक देश-एक चुनाव' का राग अलापा है.

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मायावती ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा.
क्या बोलीं बसपा प्रमुख
  • सरकार को संविधान और लोकतंत्र को आघात पहुंचाने वाली सोच, मानसिकता एवं कार्यकलापों से दूर रहना चाहिए.
  • 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या, 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों पर आधारित लोकतांत्रिक देश में 'एक देश-एक चुनाव' के बारे में सोचना ही प्रथम दृष्टया गैर संवैधानिक प्रतीक होता है.
  • देश के संविधान निर्माताओं ने न तो कभी इसकी परिकल्पना की और न ही इसकी कोई गुंजाइश देश के संविधान में है.
  • दुनिया के किसी छोटे से छोटे देश में भी ऐसी कोई व्यवस्था चलन में नहीं है.
  • दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है, साथ ही चुनाव की धन के व्यय-अपव्यय से तुलना अनुचित है.
  • 'एक देश-एक चुनाव' की बात करना गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती हिंसा और जानलेवा राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का छलावा मात्र लगता है.

ईवीएम के विषय पर बैठक होती तो मैं जरूर शामिल होती: मायावती

  • बैलेट पेपर की बजाय ईवीएम के माध्यम से ही चुनाव कराने से केवल सत्ता पार्टी ही जीत रही है, जो कि लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा है.
  • केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में अगर ईवीएम की राष्ट्रीय चिंता के समाधान पर चर्चा होती तो मैं इस बैठक में जरूर शामिल होती.
  • 'एक देश-एक चुनाव' देश का मुद्दा नहीं है और न ही लोगों की इसमें कोई रुचि है.
  • इसके विपरीत बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की जोरदार मांग असली राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है.
  • बीएसपी अंबेडकर के संविधान को न तो बदलने देगी और न ही इसे तोड़ने या मरोड़ने की इजाजत देगी.

बता दें कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में शामिल होने के मुद्दे पर विपक्ष बंटा हुआ नजर आया. फारुख अबदुल्ला, शरद पवार, महबूबा मुफ्ती समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया जबकि कांग्रेस, सपा, बसपा, और टीडीपी ने इस मीटिंग को सिरे से खारिज कर दिया.

लखनऊ: बसपा अध्यक्ष मायावती ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. बसपा सुप्रीमो का कहना है कि 'एक देश-एक चुनाव' देश का मुद्दा नहीं बल्कि यह बीजेपी का नया ढकोसला है. भाजपा देश के लोकतंत्र को हाईजैक करना चाहती है. साथ ही लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही भाजपा ने यह 'एक देश-एक चुनाव' का राग अलापा है.

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मायावती ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा.
क्या बोलीं बसपा प्रमुख
  • सरकार को संविधान और लोकतंत्र को आघात पहुंचाने वाली सोच, मानसिकता एवं कार्यकलापों से दूर रहना चाहिए.
  • 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या, 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों पर आधारित लोकतांत्रिक देश में 'एक देश-एक चुनाव' के बारे में सोचना ही प्रथम दृष्टया गैर संवैधानिक प्रतीक होता है.
  • देश के संविधान निर्माताओं ने न तो कभी इसकी परिकल्पना की और न ही इसकी कोई गुंजाइश देश के संविधान में है.
  • दुनिया के किसी छोटे से छोटे देश में भी ऐसी कोई व्यवस्था चलन में नहीं है.
  • दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है, साथ ही चुनाव की धन के व्यय-अपव्यय से तुलना अनुचित है.
  • 'एक देश-एक चुनाव' की बात करना गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती हिंसा और जानलेवा राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का छलावा मात्र लगता है.

ईवीएम के विषय पर बैठक होती तो मैं जरूर शामिल होती: मायावती

  • बैलेट पेपर की बजाय ईवीएम के माध्यम से ही चुनाव कराने से केवल सत्ता पार्टी ही जीत रही है, जो कि लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा है.
  • केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में अगर ईवीएम की राष्ट्रीय चिंता के समाधान पर चर्चा होती तो मैं इस बैठक में जरूर शामिल होती.
  • 'एक देश-एक चुनाव' देश का मुद्दा नहीं है और न ही लोगों की इसमें कोई रुचि है.
  • इसके विपरीत बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की जोरदार मांग असली राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है.
  • बीएसपी अंबेडकर के संविधान को न तो बदलने देगी और न ही इसे तोड़ने या मरोड़ने की इजाजत देगी.

बता दें कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में शामिल होने के मुद्दे पर विपक्ष बंटा हुआ नजर आया. फारुख अबदुल्ला, शरद पवार, महबूबा मुफ्ती समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया जबकि कांग्रेस, सपा, बसपा, और टीडीपी ने इस मीटिंग को सिरे से खारिज कर दिया.

Intro:लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक देश एक चुनाव पर के केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है। मायावती ने कहा कि 'एक देश एक चुनाव' देश का मुद्दा नहीं है। बल्कि बीजेपी का नया ढकोसला है। ताकि ईवीएम की सुनियोजित धांधलियों आदि के माध्यम से देश के लोकतंत्र को हाईजैक करने की गंभीर चिंता की तरफ से लोगों का ध्यान बांटा जा सके। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर विपक्ष को एक फोरम पर बुलाया गया है। मायावती ने उस बैठक का बहिष्कार किया है।


Body:केंद्र सरकार द्वारा एक देश एक चुनाव विषय पर बुलाई गई बैठक पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा की बीजेपी की सरकार को ऐसी सोच व मानसिकता एवं कार्यकलापों से दूर रहना चाहिए जिससे देश का संविधान और लोकतंत्र को आघात पहुंचता है।

वास्तव में भारत जैसे विशाल 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों पर आधारित लोकतांत्रिक देश में एक देश एक चुनाव के बारे में सोचना ही प्रथम दृष्टया लोकतांत्रिक व गैर संवैधानिक प्रतीक होता है मायावती ने कहा देश के संविधान निर्माताओं ने ना तो इसकी परिकल्पना की और ना ही इसकी कोई गुंजाइश देश के संविधान में रखी है। साथ ही दुनिया के किसी छोटे से छोटे देश में भी ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आती।

मायावती ने कहा कि दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है और ना ही चुनाव को कभी धन के व्यय अपव्यय से तुलना ही उचित है। अपने देश में एक देश एक चुनाव की बात करना वास्तव में देश में छाई व्यापक गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती हिंसा आदि ज्वलंत व जानलेवा राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास व छलावा मात्र लगता है।


Conclusion:इसके अलावा बैलट पेपर के बजाय पीएम के माध्यम से ही चुनाव कराने की सत्ता पार्टी की जीत से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरे का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की जो बैठक आज दिल्ली में बुलाई गई है,उसमें मैं जरूर शामिल होती। अगर यह बैठक वास्तव में ईवीएम की राष्ट्रीय चिंता के समाधान के संबंध में बुलाई गई होती। मायावती ने कहा कि एक देश एक चुनाव देश का मुद्दा नहीं है और ना ही लोगों की इसमें कोई रुचि है। बल्कि इसके विपरीत बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की जोरदार मांग असली राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। इसके लिए हमारी पार्टी अपना संघर्ष लगातार जारी रखेगी। साथ ही बीएसपी अंबेडकर के संविधान की न तो बदलने देगी और ना ही इसे तोड़ने मरने की इजाजत देगी।
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