गोरखपुर: लोकसभा चुनाव 2019 को जीतने में जुटे सभी राजनीतिक दल अपने चुनाव प्रबंधन का प्रमुख हिस्सा आईटी सेल को तो मानते हैं पर बीजेपी को छोड़ जिले में किसी भी दल में यह सेल स्थायी रूप से एक्टिव नहीं है. बीजेपी में जहां सात लोगों की टीम आईटी सेल के रूम में काम कर रही है तो वहीं कांग्रेस, बसपा और सपा के पास जिले में ऐसा कोई विंग नहीं है जो चुनाव सोशल मीडिया पर उनकी पार्टी का प्रचार-प्रसार कर सकें.
जानिए कैसे काम करती है आईटी सेल की टीम
- डिजिटल इंडिया के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म को सूचनाओं के आदान-प्रदान का जहां सबसे बेहतर और सरल माध्यम बताया है.
- खुद को 2009 से इससे जुड़ने के बाद प्रधानमंत्री तक की सफलता में बड़ा योगदान बताया था
- बीजेपी ने इसे मूल मंत्र के रूप में लेते हुए अपने संगठनात्मक अभियान का एक हिस्सा बना दिया है.
- पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व से लेकर जिला इकाई तक आईटी सेल का गठन है. तमाम युवाओं को इससे जोड़ कर पार्टी की गतिविधियों और विरोधियों के दुष्प्रचार पर भी पैनी नजर रखी जाती है.
- बीजेपी की मौजूदा दौर में आईटी सेल बड़ी ताकत मानी जा रही है.
- यही वजह है कि समाजवादी पार्टी भी इसकी जरूरत महसूस करते हुए गोरखपुर में अपने वरिष्ठ कार्यकर्ता को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी है.
- बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सिंह ने आईटी सेल की महत्ता को बताते हुए कहा कि जहां इससे छोटी-छोटी सूचनाओं को तेजी से विस्तार मिलता है वहीं दुष्प्रचार को काटने का भी यह सशक्त माध्यम है.
मेरे नेतृत्व में आईटी सेल का काम बूथ स्तर तक पहुंचाया जाएगा. जिससे किसी भी प्रकार की सूचना का आदान-प्रदान आसानी से हो सके. सपा में पार्टी कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी मिलेगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी में भाड़े के लोगों से काम चलाया जा रहा है. इसका प्रयोग कई मायने में फायदे का सौदा होता है लेकिन, कभी-कभी जुमलेबाजी और झूठी घोषणाओं से यह प्लेटफॉर्म किसी एक दल का ताकत बन जाता है. लेकिन अब सपा का आईटी सेल झूठ से पर्दा हटाने में कामयाब होगा और लोगों तक सही सूचनाएं पहुंचाई जाएंगी.
-कालीशंकर, प्रभारी आईटी सेल, सपा