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लखनऊ: बद से बदतर हालत में हैं भिटौली खुर्द गांव के शौचालय - लखनऊ

जहां एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत समृद्ध भारत की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ राजधानी के भिटौली खुर्द गांव में शौचालय की हालत बहुत ही जर्जर है. यहां पर अधिकारी एक बार भी सर्वे करने नहीं आते हैं.

शौचालय की स्थिति बहुत जर्जर
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Published : Mar 31, 2019, 11:35 PM IST

लखनऊ: राजधानी के कई क्षेत्रों में शौचालय की काफी समस्या देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री आवास से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर भिटौली खुर्द में कई घरों में शौचालय नहीं दिए गए हैं. वहीं कहीं-कहीं पर शौचालय तो मिल गए हैं लेकिन उनमें दरवाजे नहीं लगे हैं और न ही प्लास्टर किया गया है.

भिटौली खुर्द गांव में शौचालय की हालत जर्जर.

लखनऊ के भिटौली खुर्द गांव में शौचालय की स्थिति बहुत ही जर्जर हो गई है. इन शौचायल को देखकर ऐसा लगता है कि आज या कल वह गिर जाएंगे. ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि सभी को शौचालय पूर्ण रूप से दे दिए गए हैं.

गांव में मौजूद बजरंग ने बताया कि हमें शौचालय नहीं दिया गया है. उसने बताया कि जब प्रधान से इसकी शिकायत की तो प्रधान ने यह कहकर टाल दिया कि आपके पास बनवाने के लिए जगह ही नहीं है तो आप शौचालय लेकर क्या करेंगे. वहीं इस मुद्दे में कुछ महिलाओं से बात की गई तो महिलाओं का कहना है कि हमें भी शौचालय अभी नहीं आवंटित किए गए हैं. हम लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे काफी समस्याएं होती हैं.

वहीं दूसरी तरफ खुर्द में रहने वाली महिला ने बताया कि हमारे खाते में शौचालय के नाम पर सिर्फ आठ हजार रुपये ही आए हैं, जबकि सरकार शौचालय के लिए 12 हजार देती है. इसकी शिकायत जब अधिकारियों से की गई तो उन अधिकारियों ने कहा की इतने ही पैसे आते हैं.

लखनऊ: राजधानी के कई क्षेत्रों में शौचालय की काफी समस्या देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री आवास से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर भिटौली खुर्द में कई घरों में शौचालय नहीं दिए गए हैं. वहीं कहीं-कहीं पर शौचालय तो मिल गए हैं लेकिन उनमें दरवाजे नहीं लगे हैं और न ही प्लास्टर किया गया है.

भिटौली खुर्द गांव में शौचालय की हालत जर्जर.

लखनऊ के भिटौली खुर्द गांव में शौचालय की स्थिति बहुत ही जर्जर हो गई है. इन शौचायल को देखकर ऐसा लगता है कि आज या कल वह गिर जाएंगे. ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि सभी को शौचालय पूर्ण रूप से दे दिए गए हैं.

गांव में मौजूद बजरंग ने बताया कि हमें शौचालय नहीं दिया गया है. उसने बताया कि जब प्रधान से इसकी शिकायत की तो प्रधान ने यह कहकर टाल दिया कि आपके पास बनवाने के लिए जगह ही नहीं है तो आप शौचालय लेकर क्या करेंगे. वहीं इस मुद्दे में कुछ महिलाओं से बात की गई तो महिलाओं का कहना है कि हमें भी शौचालय अभी नहीं आवंटित किए गए हैं. हम लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे काफी समस्याएं होती हैं.

वहीं दूसरी तरफ खुर्द में रहने वाली महिला ने बताया कि हमारे खाते में शौचालय के नाम पर सिर्फ आठ हजार रुपये ही आए हैं, जबकि सरकार शौचालय के लिए 12 हजार देती है. इसकी शिकायत जब अधिकारियों से की गई तो उन अधिकारियों ने कहा की इतने ही पैसे आते हैं.

Intro:राजधानी लखनऊ के कई क्षेत्रों में शौचालय की काफी समस्या देखने को मिल रही है मुख्यमंत्री आवास से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर भिटौली खुर्द में कई घरों में शौचालय नहीं दिए गए हैं और कहीं कहीं पर शौचालय तो मिल गए हैं लेकिन उनमें दरवाजे नहीं लगे हैं और ना ही प्लास्टर किया गया है शौचालय की गुणवत्ता की बात की जाए तो वह बहुत ही जर्जर हालात में है शौचालय की समय सीमा 2 या 3 महीने ही कही जा सकती है क्योंकि उनको देखकर ऐसा लगता है कि आज या कल में वह गिर जाएंगे ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि सभी को शौचालय पूर्ण रूप से दे दिए गए हैं


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जब ईटीवी भारत ने गांव की हकीकत जानी चाहिए तो ग्रामीणों का दर्द साफ तौर पर कैमरे के सामने सहसा दिखाई दिया गांव में मौजूद बजरंग ने बताया कि हमें शौचालय नहीं दिया गया है जब प्रधान से इसकी शिकायत की तो प्रधान ने यह कहकर टाल दिया कि आपके पास बनवाने के लिए जगह ही नहीं है तो आप शौचालय लेकर क्या करेंगे वहीं पर जब कुछ महिलाओं से बात की गई तो उन महिलाओं का कहना है कि हमें भी शौचालय अभी नहीं आवंटित किए गए हैं हम लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है जिससे काफी समस्याएं होती हैं वहीं दूसरी तरफ खदरा में रहने वाली महिला ने बताया कि हमारे खाते में शौचालय के नाम पर सिर्फ ₹8हज़ार रुपये ही आए हैं जबकि सरकार शौचालय के लिए 12हज़ार देती है इसकी शिकायत जब अधिकारियों से की गई तो उन अधिकारियों ने कहा की इतने ही पैसे आते हैं


Conclusion:जहां एक तरफ भाजपा सरकार स्वच्छ भारत समृद्ध भारत की बात कर रहा है वहीं दूसरी तरफ राजधानी में जब इस तरह के हालात हैं तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों का क्या हाल होगा क्योंकि यहां पर अधिकारी एक बार भी सर्वे करने नहीं आते हैं शायद उन अधिकारियों को एयर कंडीशन कमरे से निकलने का मन ही नहीं करता होगा सरकार तो फरमान कर देती है कितने समय सीमा के अंदर कार्य हो जाना चाहिए लेकिन अधिकारी हैं कि उनके कानों तक सरकार की आवाज नहीं पहुंचती है उसका खामियाजा गरीब जनता भरती है



बाइट- ग्रामीण बजरंग

बाइट- ग्रामीण छात्रा
बाइट -ग्रामीण महिला

रिपोर्टर- नवीन बाजपेई लखनऊ(9005373190)

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