बस्ती: योगी सरकार जिस तरह से हर एक व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश में लगी है. वहीं खुद डॉक्टर ही इस कोशिश को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. दरअसल जनपद में ऐसी पीएचसी भी हैं जहां डॉक्टर नदारद रहते है, पूछने पर बहाना मीटिंग का रहता है. वहीं यहां आने वाले मरीज फार्मासिस्ट से इलाज करवाने को मजबूर हैं.
दरअसल जनपद के स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल की तो जमीनी हकीकत चौंकाने वाली थी. जनपद के सदर क्षेत्र के मंझरिया न्यू पीएचसी में ड्यूटी के दौरान डॉक्टर डॉक्टर नदारद मिले. इस पीएचसी पर तैनात 8 स्टाफ में से मात्र दो मौके पर मिले. एक फार्मासिस्ट के भरोसे यहां मरीजों का इलाज कैसे हो रहा होगा इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है.
वहीं जब फार्मासिस्ट से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब मीटिंग में गए हैं. जबकि मुख्यालय पर कोई मीटिंग नही थी. अटेंडेंस रजिस्टर में भी डॉक्टर के हस्ताक्षर नहीं थे और न ही कोई छुट्टी का एप्लीकेशन ही था. जबकि पीएचसी पर काफी मरीज आते हैं.
मरीजों से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्हें यही नहीं पता था कि फार्मासिस्ट कौन है और डॉक्टर कौन है. दरअसल जनपद में कई ऐसी पीएचसी हैं. जहां सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बिल्डिंग खड़ी है. अब सवाल उठता है कि आखिर गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधा कैसे सुचारू रूप से पहुंचेगी.