चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आयुष मंत्रालय के सहयोग से बीएचयू के आयुर्वेद विभाग ने मिशन गिलोय की शुरुआत की है. शनिवार को चंदौली में इसकी औपचारिक शुरुआत की गई, जहां विकास भवन में सेमिनार आयोजित कर इसकी महत्ता पर चर्चा की गई. साथ ही जिले भर के ग्राम पंचायतों में किसानों को चिन्हित कर इसके निःशुल्क वितरण की कार्य योजना बनी.
जिला विकास अधिकारी पद्मकान्त शुक्ला ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है. जो कोरोना से लड़ाई में भी कारगर है. साथ ही इसकी खेती भी कैश क्रॉप के समान है. वहीं गिलोय मिशन बीएचयू के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर आयुष पाठक द्वारा किसानों व अन्य को गिलोय के प्लांटेशन प्रति लोगों को जागरूक किया. उन्होंने बताया कि अबतक कोरोना का न तो कोई उपचार खोज पाया है और इसकी कोई दवा बनी है.
ग्राम पंचायतों में लगाएं गिलोय के पौधे
ऐसी स्थिति में इंसान की इम्युनिटी मजबूती ही इससे लड़ाई का एक मात्र जरिया है. रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी अधिक होगी. इस भयानक बीमारी के साथ-साथ अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे किसी भी रोग का नेचुरली इलाज संभव हो जाएगा. आयुर्वेद संस्थान बीएचयू ने सरकार के सहयोग से यह निर्णय लिया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गिलोय का पौधा लगाकर लोगों के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाया जाए, जिससे आधे से ज्यादा रोग अपने आप समाप्त हो जाएंगे.
किसानों की आय बढ़ाने की कार्ययोजना
इसके लिए बीएचयू आयुर्वेद संस्थान द्वारा ग्रामीणों का चयन उन्हें नि:शुल्क गिलोय का पौधा वितरित किये जाने का निर्णय लिया है. यही नहीं भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी कार्ययोजना तैयार कर रही है, जिसमें किसानों को हर्बल व मेडिशनल खेती के लिए जागरूक किया जाएगा. इस खेती के जरिये किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे. हर्बल और मेडिशनल प्लांट के तौर पर प्रमुख से गिलोय, सतावड़, एलोवेरा, अश्वगंधा एरगोट, एकोनाइट, मुलेठी, जलाप, हींग, मदार, सिया, लहसुन, अदरक, हल्दी, चंदन, बेलाडोना, तुलसी, नीम, अफीम समेत अन्य पौधे हैं, जिनकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.