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बस्ती के मखौड़ा धाम से शुरू हुई अयोध्या की विश्व प्रसिद्ध 84 कोसी परिक्रमा

अयोध्या धाम की प्रसिद्ध चौरासी कोसी परिक्रमा का शुभारंभ बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से शुरू हुई. महिला संतों का समूह भी यात्रा में शामिल है. मखौड़ा धाम में एक दिन पहले से ही विभिन्न प्रांतों से साधु, संत और नागा साधु जुटने लगे थे.

मखौड़ा धाम से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है.
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Published : Apr 21, 2019, 12:06 AM IST

बस्ती : चैत्र पूर्णिमा को बस्ती जनपद के मखौड़ा धाम से अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है. इस बार 19 अप्रैल से यात्रा प्रारंभ हुई है. परिक्रमा के एक दिन पूर्व ही संत व श्रद्धालु गृहस्थ मखौड़ा धाम में पहुंच गए थे. रात्रि विश्राम के बाद सुबह मनोरमा नदी में स्नान करने के बाद यात्रा प्रारंभ हो गई. मनोरमा का पानी चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती के मखौड़ाधाम से तब शुरू की जाती है, जब साधु-संत और श्रद्धालु मनोरमा नदी में स्नान करते हैं. इस नदी को हर मनोकामना पूरी करने वाला बताया गया है. यही कारण है कि लोगों ने स्नान किया और परिक्रमा के लिए प्रस्थान किया.

ऐसी मान्यता है कि राजा दशरथ ने यहां पुत्रेष्टि यज्ञ किया था और श्रृंगी ऋषि के आचार्यत्व में हुए यज्ञ में अग्निदेव ने स्वयं प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान की थी, जिसे खाकर ही तीनों रानियों को राम, लछमण, भरत, शत्रुघ्न जैसे पुत्रों की प्राप्ति हुई.

मखौड़ा धाम से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू हुई.

परिक्रमा के एक दिन पूर्व ही संत व शृद्धालु गृहस्थ मखौड़ा धाम में पहुंच गए. रात्रि विश्राम के बाद सुबह मनोरमा नदी में स्नान किया और यात्रा प्रारम्भ हो गई. परिक्रमा मार्ग राम पथ बन चुका है. सन्यासी राम नाम की गूंज करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. तपती दोपहरी और कंकरीले, पथरीले रास्ते अटूट श्रद्धा और सच्ची तपस्या से सराबोर हैं.

भक्ति के जुनून में श्रद्धालुओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं. चैत्र पूर्णिमा के मेले से मखौड़ा धाम की रौनक बढ़ी हुई है. मनोरमा के पावन तट पर स्नान के बाद मंदिर में दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है. 84 कोसी परिक्रमा से जुड़ने के लिए गृहस्थ जीवन के लोग भी यहां जुटे हुए हैं. संतों की सेवा भाव के साथ ही भक्ति की गंगा बह रही है. अभी परिक्रमा यात्रा बस्ती जनपद की सीमा में ही गतिमान है.

चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती के मखौड़ा धाम से तब शुरू की जाती है जब साधु संत और श्रद्धालु मनोरमा नदी में स्नान करते हैं. इस नदी को हर मनोकामना पूरी करने वाला बताया जाता है. चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए मखौड़ा धाम में श्रद्धालुओं के जुटाने का क्रम गुरुवार की रात से शुरू हो गया था. इस यात्रा में संत, गृहस्थ बड़ी संख्या में शामिल हैं. श्रद्धालुओं की सेवा के लिए रास्ते भर स्थानीय लोग भोजन व जलपान का इंतजाम किए हुए हैं. चौरासी कोसी की यह परंपरा इस क्षेत्र में सदियों से चली आ रही है.

बस्ती : चैत्र पूर्णिमा को बस्ती जनपद के मखौड़ा धाम से अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है. इस बार 19 अप्रैल से यात्रा प्रारंभ हुई है. परिक्रमा के एक दिन पूर्व ही संत व श्रद्धालु गृहस्थ मखौड़ा धाम में पहुंच गए थे. रात्रि विश्राम के बाद सुबह मनोरमा नदी में स्नान करने के बाद यात्रा प्रारंभ हो गई. मनोरमा का पानी चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती के मखौड़ाधाम से तब शुरू की जाती है, जब साधु-संत और श्रद्धालु मनोरमा नदी में स्नान करते हैं. इस नदी को हर मनोकामना पूरी करने वाला बताया गया है. यही कारण है कि लोगों ने स्नान किया और परिक्रमा के लिए प्रस्थान किया.

ऐसी मान्यता है कि राजा दशरथ ने यहां पुत्रेष्टि यज्ञ किया था और श्रृंगी ऋषि के आचार्यत्व में हुए यज्ञ में अग्निदेव ने स्वयं प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान की थी, जिसे खाकर ही तीनों रानियों को राम, लछमण, भरत, शत्रुघ्न जैसे पुत्रों की प्राप्ति हुई.

मखौड़ा धाम से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू हुई.

परिक्रमा के एक दिन पूर्व ही संत व शृद्धालु गृहस्थ मखौड़ा धाम में पहुंच गए. रात्रि विश्राम के बाद सुबह मनोरमा नदी में स्नान किया और यात्रा प्रारम्भ हो गई. परिक्रमा मार्ग राम पथ बन चुका है. सन्यासी राम नाम की गूंज करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. तपती दोपहरी और कंकरीले, पथरीले रास्ते अटूट श्रद्धा और सच्ची तपस्या से सराबोर हैं.

भक्ति के जुनून में श्रद्धालुओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं. चैत्र पूर्णिमा के मेले से मखौड़ा धाम की रौनक बढ़ी हुई है. मनोरमा के पावन तट पर स्नान के बाद मंदिर में दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है. 84 कोसी परिक्रमा से जुड़ने के लिए गृहस्थ जीवन के लोग भी यहां जुटे हुए हैं. संतों की सेवा भाव के साथ ही भक्ति की गंगा बह रही है. अभी परिक्रमा यात्रा बस्ती जनपद की सीमा में ही गतिमान है.

चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती के मखौड़ा धाम से तब शुरू की जाती है जब साधु संत और श्रद्धालु मनोरमा नदी में स्नान करते हैं. इस नदी को हर मनोकामना पूरी करने वाला बताया जाता है. चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए मखौड़ा धाम में श्रद्धालुओं के जुटाने का क्रम गुरुवार की रात से शुरू हो गया था. इस यात्रा में संत, गृहस्थ बड़ी संख्या में शामिल हैं. श्रद्धालुओं की सेवा के लिए रास्ते भर स्थानीय लोग भोजन व जलपान का इंतजाम किए हुए हैं. चौरासी कोसी की यह परंपरा इस क्षेत्र में सदियों से चली आ रही है.

Intro:रिपोर्ट - सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध 84 कोषी परिक्रमा

चैत्र पुर्णिमा को बस्ती जनपद के मखौड़ा धाम से अयोध्या की विश्व प्रसिद्ध 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है। मनुष्य को मोक्ष देने वाली 84 कोसी परिक्रमा जिले के मख क्षेत्र मकोड़ा से शुरू हुई। अयोध्या धर्मार्थ सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत गया दास की अगुवाई में शुरू हुई इस पद यात्रा में जय श्रीराम, हर हर महादेव के जयघोष के साथ श्रीदालुओं ने आगे बढ़ाई। पुरुषोत्तम श्रीराम के अयोध्या राज का विस्तार चौरासी कोस में था। मान्यता है कि इस राज्य की पूर्ति के साथ उसे सद्वति मिलती है। आज सुबह पांच बजे मखौड़ा से शुरू हुई इस परिक्रमा में देश के हिन्दू धर्मानुयायीयों ने हिस्सा लिया। यात्रा का प्रारंभ और समापन मख धाम में ही होता है। ऐसी मान्यता है कि राजा दशरथ ने यहां पुत्रेष्टि यज्ञ किया था श्रृंगी ऋषि के आचार्यत्व में हुए यज्ञ में अग्निदेव स्वयं प्रकट होकर उन्हें खीर प्रदान किया, जिसे खाकर तीनों रानियों ने राम, लछमण, भरत, शत्रुघ्न जैसे पुत्रों की प्राप्ति हुई। तभी से इस मार्ग अम्बेडकर नगर, फैज़ाबाद, गोंडा, बाराबंकी जिलों से होकर गुजरता है। परिक्रमा में इस बार श्रद्धालुओं ने नया रिकॉर्ड बनाया है। कभी अधिकतम एक हजार तक साधु- संतों की भीड़ इस बार दो हजार के ऊपर पहुंच गई। इसमें काफी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। इधर परिक्रमा के प्रथम पड़ाव स्थल रामरेखा मंदिर पर दोपहर से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया।


Body:परिक्रमा के एक दिन पूर्व ही संत व शृद्धालु गृहस्थ मखौड़ा धाम में पहुंच गए, रात्रि विश्राम के बाद आज सुबह मनोरमा नदी में स्नान किया और यात्रा प्रारम्भ हो गई। चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती के मखौड़ाधाम से तब शुरू की जाती है जब साधु संत और श्रद्धालु मनोरमा नदी में स्नान करते हैं । इस नदी को हर मनोकामना पूरी करने वाला बताया जाता है। चौरासीकोसी परिक्रमा के लिए मखौड़ाधाम में श्रद्धालुओं के जुटाने का क्रम गुरुवार की रात से शुरू हो गया था। यात्रा में संत, गृहस्थ बड़ी संख्या में शामिल हैं। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए रास्ते भर स्थानीय लोग भोजन व जलपान का इंतजाम किए हुए हैं। चौरासी कोसी की यह परंपरा इस क्षेत्र में सदियों से चली आ रही है।

बाइट- शृद्धालु संत
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