प्रयागराज : महाकुंभ मेले में गंगा-यमुना नदी में चलने वाली नावों के लिए ट्रैफिक प्लान तैयार कर लिया गया है. मेले के शुरू होने से पहले ही नदी में नावों के आने-जाने के लिए रूट बन जाएगा. इसी रूट से नावों का आना-जाना होगा. नदी के जल में यातायात नियंत्रण करने के लिए प्रशासन की तरफ से नदी यातायात प्रबंधन प्लान बनाया गया है. गंगा-यमुना नदी के अंदर जल यातायात के सुचारू संचालन के लिए यमुना नदी में 4 किमी लंबी रिवर लाइन तैयार की जा रही है. इसके बाद नदी में आने-जाने के लिए अलग-अलग रूट पर बोट चलेगी. ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए जल यातायात प्रबंधन के लिए 2 हजार से अधिक जल पुलिस के जवान तैनात होंगे.
धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ मेले की शुरुआत होने वाली है. करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने नदी में यातायात प्रबंधन योजना तैयार कर ली है. 4 हजार से अधिक नावों का संचालन होगा.
एसएसपी राजेश द्विवेदी का कहना है कि जल यातायात व्यवस्था के तहत यमुना नदी में 4 किलोमीटर लंबी रिवर लाइन का निर्माण किया जाएगा. इसमें 500 मीटर की रिवर लाइन अभी तक बन चुकी है. डीप वॉटर बैरिकेडिंग बॉक्स से यह रिवर लाइन बन रही है. इसमें 8 से 10 मीटर पर प्लेटफॉर्म भी बन रहे हैं. इन्हें जल चौराहों की तरह जल पुलिस इस्तेमाल करेगी.
नावों के आने-जाने का होगा एकल मार्ग : महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है जहां पर आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कई सुरक्षा प्रबंधन उपाय किए जाएंगे. इनमें भारतीय नौसेना के 25 प्रशिक्षित समुद्री गोताखोर भी शामिल हैं. इसके अलावा पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी इस काम में लगी रहेंगी.
जल पुलिस के डीएसपी रजनीश यादव ने बताया कि मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए 50 स्नान घाटों वाले 12 किलोमीटर के क्षेत्र को वाटर बैरिकेडिंग से सुरक्षित किया जाएगा. बैरिकेडिंग में जाल के साथ फ्लोटिंग ब्लॉक भी शामिल हैं. स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए पीएसी की 10 कंपनियों के 800 प्रशिक्षित कर्मचारी, एसडीआरएफ के 150 मेम्बर, एनडीआरएफ की 12 टीमों के साथ ही जल पुलिस के 35 प्रशिक्षित गोताखोरों की एक कोर टीम भी तैनात रहेगी.
ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ गोताखोर रहेंगे तैनात : मेला क्षेत्र के 12 किलोमीटर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर 17 सब स्टेशनों के अलावा एक फ्लोटिंग ट्रैफिक कंट्रोल स्टेशन भी स्थापित किया जाएगा. ट्रेंड गोताखोर डूबने की स्थिति में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी साथ लेकर चलेंगे और अगर ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो मुख्य यातायात नियंत्रण स्टेशन के अलावा कुछ अन्य स्थानों पर पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडरों को मौके पर ही भरने के लिए विशेष ऑक्सीजन कंप्रेशर मशीनें भी मेले में लगाई जाएंगी. महाकुम्भ में कुल 6 हजार से ज्यादा चप्पू वाली नावें चलेंगी जिनका लाइसेंस जारी होगा.
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