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गोरखपुर: राप्ती नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर लोगों ने जताई नाराजगी

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Published : Jun 29, 2019, 10:02 AM IST

समाज के कुछ जागरूक लोगों ने शुक्रवार को बढ़ते प्रदूषण पर अपने गुस्से का इजहार किया. लोगों का कहना था कि नदियों का बिगड़ता स्वरूप निश्चित रूप से सरकारी पहल और प्रशासनिक उदासीनता की लापरवाही का बड़ा नमूना है.

राप्ती नदी में प्रदूषण

गोरखपुर: जिले से होकर गुजरने वाली राप्ती नदी प्रदूषण की वजह से पूरी तरह कराह रही है. नदी में पानी भले ही कम है, लेकिन उसके किनारे पर गंदगी की भरमार ज्यादा दिखाई दे रही है. किनारों को शौचालय के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं नदी को मृत पशुओं को प्रवाहित करने के रूप में भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जागरूक लोग बेहद खफा हैं.

नदियों के प्रदूषण को लेकर लोगों ने जताई नाराजगी.
  • नगर निगम और सिंचाई विभाग नदियों के किनारे को साफ करने का दावा करते हैं, पर ऐसा होता दिखाई नहीं दिख रहा है.
  • नदी में पशुओं के शव प्रवाहित किये जा रहे हैं, जो कि जल प्रदूषण के हिसाब से बेहद ही खतरनाक है.
  • कुछ जागरूक लोगों ने मीडिया के सामने प्रदूषण को लेकर गुस्से का इजहार किया.
  • लोगों का कहना था कि सरकार को उन देशों से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने सरकारी पहल भी की और जागरूकता भी बढ़ाई.
  • आज उनकी नदियां साफ-सुथरी हैं, पर भारत में यह संभव नहीं हो पा रहा है.

वहीं लोगों ने नदियों में बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति के लिए जन सहभागिता बढ़ाने की बात कही. साथ ही कहा कि सरकार की आंख नहीं खुल रही तो उनका संगठन लोगों से आंखे खोलने की गुजारिश करेगा. राप्ती नदी गोरखपुर की अति प्राचीन और पहचान देने वाली नदी है, जिसको जीवंतता प्रदान करने के लिए हर संभव कोशिश होगी.

गोरखपुर: जिले से होकर गुजरने वाली राप्ती नदी प्रदूषण की वजह से पूरी तरह कराह रही है. नदी में पानी भले ही कम है, लेकिन उसके किनारे पर गंदगी की भरमार ज्यादा दिखाई दे रही है. किनारों को शौचालय के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं नदी को मृत पशुओं को प्रवाहित करने के रूप में भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जागरूक लोग बेहद खफा हैं.

नदियों के प्रदूषण को लेकर लोगों ने जताई नाराजगी.
  • नगर निगम और सिंचाई विभाग नदियों के किनारे को साफ करने का दावा करते हैं, पर ऐसा होता दिखाई नहीं दिख रहा है.
  • नदी में पशुओं के शव प्रवाहित किये जा रहे हैं, जो कि जल प्रदूषण के हिसाब से बेहद ही खतरनाक है.
  • कुछ जागरूक लोगों ने मीडिया के सामने प्रदूषण को लेकर गुस्से का इजहार किया.
  • लोगों का कहना था कि सरकार को उन देशों से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने सरकारी पहल भी की और जागरूकता भी बढ़ाई.
  • आज उनकी नदियां साफ-सुथरी हैं, पर भारत में यह संभव नहीं हो पा रहा है.

वहीं लोगों ने नदियों में बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति के लिए जन सहभागिता बढ़ाने की बात कही. साथ ही कहा कि सरकार की आंख नहीं खुल रही तो उनका संगठन लोगों से आंखे खोलने की गुजारिश करेगा. राप्ती नदी गोरखपुर की अति प्राचीन और पहचान देने वाली नदी है, जिसको जीवंतता प्रदान करने के लिए हर संभव कोशिश होगी.

Intro:गोरखपुर। नदियों को प्रदूषण और गंदगी मुक्त करने के सरकारी दावों के उलट दिखते नतीजों से, सामाजिक सरोकारों से ताल्लुक रखने वाले लोग बेहद नाराज हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर की बात करें तो यहां से होकर गुजरने वाली राप्ती नदी प्रदूषण की वजह से पूरी तरह कराह रही है। नदी में पानी भले ही कम है लेकिन उसके किनारे तरह-तरह की गंदी से पटे पड़े हैं। यही नहीं किनारों को शौचालय के रूप में तो नदी को मृत पशुओं को प्रवाहित करने के रूप में भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे जागरूक लोग बेहद खफा हैं।

नोट--कम्पलीट पैकेज,, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:बरसात के दिनों में लोगों पर बाढ़ जैसी आफत ले आने वाली राप्ती नदी में मौजूदा समय में इतना पानी है कि वह एक नाले के स्वरूप में नजर आती है। इसके किनारों को देखा जाए तो यह गंदगी से पूरी तरह से पटा पड़ा हुआ है। नगर निगम और सिंचाई विभाग नदियों के किनारे को साफ करने का दावा खूब करता है पर ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। और तो और इसमें पशुओं की लाशें प्रवाहित की जा रही रही हैं जो नदी जल प्रदूषण के हिसाब से बेहद ही खतरनाक है। यही वजह है कि समाज के कुछ जागरूक लोगों ने शुक्रवार को मीडिया के समक्ष आकर बढ़ते प्रदूषण पर अपने गुस्से का इजहार किया। लोगों ने कहा कि नदी का बिगड़ता यह स्वरूप निश्चित रूप से सरकारी पहल और प्रशासनिक उदासीनता की लापरवाही का बड़ा नमूना है। लोगों ने कहा कि सरकार को उन देशों से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने सरकारी पहल भी की और जागरूकता भी बढ़ाया और उनकी नदियां आज साफ-सुथरी हैं। पर भारत में यह संभव नहीं हो पा रहा।

बाइट--काली शंकर, समाजसेवी
बाइट--ए के जायसवाल, समाजसेवी


Conclusion:इन लोगों ने नदियों में बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति के लिए जन सहभागिता बढ़ाने की बात कही है। और कहा कि सरकार की आंख नहीं खुल रही तो उनका संगठब लोगों से आंखे खोलने की गुजारिश करेगा। उन्होंने राप्ती नदी गोरखपुर की अति प्राचीन और पहचान देने वाली नदी है, जिसको जीवंतता प्रदान करने के लिए हर संभव कोशिश होगी।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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