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सुलतानपुर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर थमी कुपोषण के खिलाफ जंग - malnutrition

जिले के गभडिया मोहल्ले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र काफी समय से बंद पड़ा है और कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है जब केंद्र खुलता ही नहीं है तो हमें इससे क्या लाभ मिलेगा.

सुल्तानपुर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर थमी कुपोषण के खिलाफ जंग
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Published : Jun 20, 2019, 9:45 AM IST

सुलतानपुर: जिले के गभडिया मोहल्ले में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया गया है और बाकायदा केंद्र के बाहर मेन्यू भी लगाया गया है, किस दिन कौन सा भोजन बनता है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र से कर्मचारी नदारद हैं और केंद्र बंद रहता है. ऐसे में कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है और जिले के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं.

जिले के गभडिया मोहल्ले आंगनबाड़ी पर लटका है ताला.

जानिए क्या है मामला-

  • आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं या नहीं इसकी जिले के अधिकारियों को भनक तक नहीं है.
  • आला अधिकारी चेंबर में बैठकर कुपोषण मिशन को सफल बनाने का मैनुअल बना रहे हैं.
  • जिला मुख्यालय के गभडिया मोहल्ले में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित है.
  • केंद्र के बाहर खाने का मेन्यू भी लगाया गया है, किस दिन कौन सा खाना बनना है.
  • वहीं आगंनवाड़ी केंद्र बंद पड़ा है और कर्मचारी केंद्र से नदारद हैं और कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
  • पोषक तत्व जो पैकेज के जरिए केंद्रों से दिए जाते हैं, वह खाली अभिलेखों में ही वितरित हो रहे हैं.
  • वहीं इस ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय लोगों ने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्र कभी नहीं खुलता है और जब खुलता ही नहीं है, तो लोगों का इस का क्या लाभ मिलेगा.

आंगनवाड़ी केंद्र सुपरवाइजर और कार्यक्रम अधिकारी के अधीनस्थ होते हैं. हमने महसूस किया है कि यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने की जरूरत है. जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. प्रधानों से इस बारे में बात करने की तैयारी की जा रही है, जिससे गर्भवती महिलाओं का यहां टीकाकरण किया जा सके. कुपोषित महिलाओं को खुराक मिल सके.
-मधुसूदन नागराज, मुख्य विकास अधिकारी

सुलतानपुर: जिले के गभडिया मोहल्ले में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया गया है और बाकायदा केंद्र के बाहर मेन्यू भी लगाया गया है, किस दिन कौन सा भोजन बनता है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र से कर्मचारी नदारद हैं और केंद्र बंद रहता है. ऐसे में कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है और जिले के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं.

जिले के गभडिया मोहल्ले आंगनबाड़ी पर लटका है ताला.

जानिए क्या है मामला-

  • आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं या नहीं इसकी जिले के अधिकारियों को भनक तक नहीं है.
  • आला अधिकारी चेंबर में बैठकर कुपोषण मिशन को सफल बनाने का मैनुअल बना रहे हैं.
  • जिला मुख्यालय के गभडिया मोहल्ले में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित है.
  • केंद्र के बाहर खाने का मेन्यू भी लगाया गया है, किस दिन कौन सा खाना बनना है.
  • वहीं आगंनवाड़ी केंद्र बंद पड़ा है और कर्मचारी केंद्र से नदारद हैं और कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
  • पोषक तत्व जो पैकेज के जरिए केंद्रों से दिए जाते हैं, वह खाली अभिलेखों में ही वितरित हो रहे हैं.
  • वहीं इस ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय लोगों ने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्र कभी नहीं खुलता है और जब खुलता ही नहीं है, तो लोगों का इस का क्या लाभ मिलेगा.

आंगनवाड़ी केंद्र सुपरवाइजर और कार्यक्रम अधिकारी के अधीनस्थ होते हैं. हमने महसूस किया है कि यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने की जरूरत है. जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. प्रधानों से इस बारे में बात करने की तैयारी की जा रही है, जिससे गर्भवती महिलाओं का यहां टीकाकरण किया जा सके. कुपोषित महिलाओं को खुराक मिल सके.
-मधुसूदन नागराज, मुख्य विकास अधिकारी

Intro:exclusive packeg story
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सुलतानपुर में अफसर चैंबर में बन रहे मैनुअल, धरातल पर थमी कुपोषण के खिलाफ जंग।


अफसरों का भी अलग अंदाज है। आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं या नहीं । कार्यकत्री और सहायिका सैंटरो पर पहुंचे रहे हैं या नहीं , इसकी भनक तक नहीं है । कुपोषण के खिलाफ जंग सेंटरों के नहीं खुलने से थम गई है और आला अधिकारी चेंबर में बैठकर कुपोषण मिशन को सफल बनाने का मैनुअल बना रहे हैं । बात है सुल्तानपुर जिले की जहां आंगनवाड़ी केंद्रों को और अपडेट करने के लिए। मुख्य विकास अधिकारी खाका खींच रहे हैं और मौके पर केंद्र संचालित ही नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मासूम कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं और कागज में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद दर्शाई जा रही है।


Body:वॉइस ओवर : सुल्तानपुर जिला मुख्यालय पर गभडिया मोहल्ला है । यह नगरपालिका का वार्ड भी है । जहां आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया गया है। बाकायदा केंद्र के बाहर मीनू लगाया गया है । किस दिन कौन सा भोजन बनना है। जागरूकता स्लोगन लिखे हुए हैं। सुपरवाइजर, कार्यकत्री, कार्यक्रम अधिकारी के मोबाइल नंबर दिए गए हैं। व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं। लेकिन कर्मचारी नदारद हैं । केंद्र बंद रहता है। ऐसे में कुपोषित बच्चों के परिजनों को पुष्टाहार का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जो पोषक तत्व पैकेज के जरिए केंद्रों से दिए जाते हैं। वह खाली अभिलेखों में वितरित हो रहे हैं। पोषण पैकेटों का पात्रों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।



बाइट : स्थानीय निवासी सूरज लाल कहते हैं कि आंगनवाड़ी केंद्र कभी नहीं खुलता है। मेवलाल की मानें तो जब खुलता ही नहीं है, तो लोगों का इस का क्या लाभ मिलेगा । वही जगदीश प्रसाद कहते हैं कि गर्मी में प्राथमिक विद्यालय बंद हो चुके हैं । इसी तर्ज पर यहां भी कोई नहीं आता है। जब कोई आएगा तो मिलेगा।


Conclusion:बाइट : मुख्य विकास अधिकारी मधुसूदन नागराज कहते हैं कि आंगनवाड़ी केंद्र सुपरवाइजर और कार्यक्रम अधिकारी के अधीनस्थ होते हैं। हमने महसूस किया है कि यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने की जरूरत है। जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानों से इस बारे में बात करने की तैयारी की जा रही है ।जिससे गर्भवती महिलाओं का यहां टीकाकरण किया जा सके। कुपोषित महिलाओं को खुराक मिल सके। इसके लिए मैनुअल तैयार किया जा रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की अति आवश्यकता है।



आशुतोष मिश्रा , सुल्तानपुर , 94 15049 256
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