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कानपुर देहात : बाबा जगन्नाथ का यह मंदिर, देता है मानसून की सटीक जानकारी

जिले के बेहटा गांव में बाबा जगन्नाथ का मंदिर प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है. इस मंदिर में कई खासियतें हैं जो इसे अद्भुत बनाती हैं.

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Published : Apr 25, 2019, 8:48 PM IST

बाबा जगन्नाथ का यह मंदिर, देता है मानसून की सटीक जानकारी.

कानपुर देहात : वैसे तो जगन्नाथपूरी में बाबा जगन्नाथ का विश्व प्रसिध्द मंदिर है. इसके अलावा बाबा जगन्नाथ का हजारों वर्षो पुराना एक और मंदिर है और वह कानुपर देहात जिले में है. यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर की छत में लगा पत्थर मानसून की सटीक जानकारी देता है. पुरातत्व विभाग की मानें तो यह मंदिर चार हजार दो सौ वर्ष पुराना है.

बाबा जगन्नाथ का यह मंदिर, देता है मानसून की सटीक जानकारी.

आज हम आपको कानपुर देहात के घाटमपुर विकासखंड के बेहटा गांव में बने बाबा जगन्नाथ के मंदिर के बारे में बताएंगे. प्राचीनकाल में बने इस मंदिर में बाबा जगन्नाथ एक विशाल सिंहासन पर विराजमान हैं. मंदिर के महंत की मानें तो इस मंदिर में बना सिंहासन उत्तर भारत के मंदिरों में बने सभी सिंहासनों से बड़ा है. इसके अलावा इस मंदिर में कई और खासियतें हैं जो इसे अद्भुत बनाती है.


वर्षों पुराना है मंदिर

मंदिर के महंत के अनुसार यह मंदिर युगों पुराना है. उनका कहना है कि मंदिर में जो जगन्नाथ जी की मूर्ति है वो भगवान विष्णु का स्वरुप है और यह मूर्ति अरखे पर स्थापित है, जिससे यह साबित होता है कि यह मंदिर युगों पुराना है. वहीं पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मंदिर यह मंदिर चार हजार दो सौ वर्ष पुराना है.

कई बार हो चुका है जीर्णोध्दार

महंत के अनुसार मंदिर का जो वर्तमान स्वरुप है वह मूल स्वरुप नहीं है, उनका कहना है कि मंदिर का कई बार जीर्णोध्दार किया जा चुका है.

मंदिर में लगा है मानसून पत्थर

मंदिर के गर्भ गृह की छत में एक पत्थर लगा है, जिसे मानसून पत्थर कहते है. ऐसा माना जाता है कि जैसे ही मानसून बनता है वैसे ही इस पत्थर से बंदू टपकने लगती हैं. इससे लोगों को पता चल जाता है कि मानसून बन गया है और बारिश होने वाली है. ऐसी मान्यताएं हैं कि एक बार मौसम विभाग का अनुमान गलत साबित हो सकता है, लेकिन इस मंदिर का मानसून का अनुमान कभी गलत नहीं होता है.

कई बार किया जा चुका है रिसर्च

ऐसा बताया जाता है कि वैज्ञानिक मानसून बतान पत्थर पर कई बार रिसर्च कर चुके हैं लेकिन वह अभी तक यह पता नहीं कर पाए है कि पानी कहां से आता है.

पुरातत्व विभाग कर रहा देख-रेख

यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देख रेख में है. मंदिर में तैनात पुरातत्व विभाग के कर्मचारी की मानें तो यह मंदिर उत्तर भारत के प्रचीन मंदिरों में से एक है. मंदिर में लगा मानसूनी पत्थर करीब 8 दिन पहले यह बता देता है कि मानसून आने वाला है.

कानपुर देहात : वैसे तो जगन्नाथपूरी में बाबा जगन्नाथ का विश्व प्रसिध्द मंदिर है. इसके अलावा बाबा जगन्नाथ का हजारों वर्षो पुराना एक और मंदिर है और वह कानुपर देहात जिले में है. यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर की छत में लगा पत्थर मानसून की सटीक जानकारी देता है. पुरातत्व विभाग की मानें तो यह मंदिर चार हजार दो सौ वर्ष पुराना है.

बाबा जगन्नाथ का यह मंदिर, देता है मानसून की सटीक जानकारी.

आज हम आपको कानपुर देहात के घाटमपुर विकासखंड के बेहटा गांव में बने बाबा जगन्नाथ के मंदिर के बारे में बताएंगे. प्राचीनकाल में बने इस मंदिर में बाबा जगन्नाथ एक विशाल सिंहासन पर विराजमान हैं. मंदिर के महंत की मानें तो इस मंदिर में बना सिंहासन उत्तर भारत के मंदिरों में बने सभी सिंहासनों से बड़ा है. इसके अलावा इस मंदिर में कई और खासियतें हैं जो इसे अद्भुत बनाती है.


वर्षों पुराना है मंदिर

मंदिर के महंत के अनुसार यह मंदिर युगों पुराना है. उनका कहना है कि मंदिर में जो जगन्नाथ जी की मूर्ति है वो भगवान विष्णु का स्वरुप है और यह मूर्ति अरखे पर स्थापित है, जिससे यह साबित होता है कि यह मंदिर युगों पुराना है. वहीं पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मंदिर यह मंदिर चार हजार दो सौ वर्ष पुराना है.

कई बार हो चुका है जीर्णोध्दार

महंत के अनुसार मंदिर का जो वर्तमान स्वरुप है वह मूल स्वरुप नहीं है, उनका कहना है कि मंदिर का कई बार जीर्णोध्दार किया जा चुका है.

मंदिर में लगा है मानसून पत्थर

मंदिर के गर्भ गृह की छत में एक पत्थर लगा है, जिसे मानसून पत्थर कहते है. ऐसा माना जाता है कि जैसे ही मानसून बनता है वैसे ही इस पत्थर से बंदू टपकने लगती हैं. इससे लोगों को पता चल जाता है कि मानसून बन गया है और बारिश होने वाली है. ऐसी मान्यताएं हैं कि एक बार मौसम विभाग का अनुमान गलत साबित हो सकता है, लेकिन इस मंदिर का मानसून का अनुमान कभी गलत नहीं होता है.

कई बार किया जा चुका है रिसर्च

ऐसा बताया जाता है कि वैज्ञानिक मानसून बतान पत्थर पर कई बार रिसर्च कर चुके हैं लेकिन वह अभी तक यह पता नहीं कर पाए है कि पानी कहां से आता है.

पुरातत्व विभाग कर रहा देख-रेख

यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देख रेख में है. मंदिर में तैनात पुरातत्व विभाग के कर्मचारी की मानें तो यह मंदिर उत्तर भारत के प्रचीन मंदिरों में से एक है. मंदिर में लगा मानसूनी पत्थर करीब 8 दिन पहले यह बता देता है कि मानसून आने वाला है.

Intro:नोट - ऑफिस के आदेशानुसार खबर को भेजा जा रहा है ।

Date- 25-4-2019

Center - Kanpur dehat

Reporter - Himanshu sharma

नोट- E tv bharat एब व L U - smart से KND MANDIR नाम की 4 फाइले भेजी जा चुकी है ।

एंकर- जगन्नाथपूरी धाम के साथ साथ उत्तर भारत के कानपुर में भी मौजूद है एक और बाबा जगन्नाथ का विशाल प्राचीन अद्भुद मंदिर जब इसकी भनक हमारी etv भारत की टीम को लगी तो हम निकल पड़े हजारो साल पुराने प्रचीन मन्दिर का रहस्य जानने एक ऐसा मंदिर जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बन्द हो जाये ये घटना है तो हैरान कर देने वाली लेकिन ये सच है । उत्तर प्रदेश के औधोगिग नगरी कहे जाने कानपुर जनपद के घाटमपुर विकासखंड भीतरगांव से ठीक 4 किलो मीटर की दूरी पर बेहटा गांव में सदियों से बिराजमान है बाबा जगन्नाथ ......तो देखिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट ETV भारत मे मंदिर का रहस्य......


Body:वी0ओ0- देखने ने में वेशक भले ही बाबा जगन्नाथ का ये मंदिर अद्भुद है लेकिन प्राचीनकाल में बना ये मंदिर जिसमे भगवान विष्णु का स्वरूप पाया जाता है जैसे ही हमारी टीम ने इस मंदिर में प्रवेश किया तो हमे दर्शन हुए सात्क्षत बाबा जगन्नाथ के जोकि एक विशाल सिंघासन पर बिराजमान थे और हमने इस प्रचीन काल के मंदिर के महंत से मिलकर जाना इस मंदिर का रहस्य उनका कहना था कि बाबा जगन्नाथ का ये मंदिर युगों युगों साल पुराना है और इसकी अहम खाशियत ये है कि इस मंदिर में गर्भ गृह में लगा हुआ मांशुनी पथ्थर जो कि जैसे ही मांशुन बनता है वैसे ही पसीज कर बूंदे टपकने लगती है भलेही आज 21 वी सदी में इंटरनेट व रेडियो वैज्ञानिक फेल हो जाये मौसम की प्रतिक्रिया को लेकर लेकिन बाबा जगन्नाथ का ये मंदिर में कभी फेल नही होता मांशुनी पथ्थर जो कि पहले ही बता देता है मौसम विभाग के हाल...और बाबा जगन्नाथ के मंदिर में जो बाबा का सिंघासन है वो सिर्फ उत्तर भारत मे सिर्फ एकलौता ही पाया जाता है और देखा जाए तो सिर्फ ऐसे दो ही मन्दिर है एक उत्तर भारत और दूसरा दक्षिण भारत.....

वाईट- के पी शुक्ला ( मंदिर के पुजारी)


Conclusion:वी0ओ0- वही कानपुर के इस प्रचीन मंदिर को उत्तर प्रदेश सरकार के पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में लेलिया है और कई वैज्ञानिकों की रिसर्ज टीम ने गर्भ पथ्थर का रिसर्ज भी किया लेकिन आज तक पता भी नही लगा पाए कि पानी कहा से आता है... पुरातत्व विभाग की माने तो एक बार मौसम विभाग फेल हो जाता है लेकिन 8 दिन पहले ही बाबा जगन्नाथ में मानसूनी पथ्थर बता देता है बारिश के हाल पुरातत्व विभाग की माने तो 4 हजार 2 सौ वर्ष पुराना है ये जगन्नाथ मंदिर .....

वाईट- पुरातत्व विभाग
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