प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में दूसरे प्रदेश के सफल अभ्यर्थियों को राहत दी है. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने हरियाणा और दिल्ली के निवासी मनीष समेत दर्जनों अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए फैसला दिया है. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की 19 अगस्त 2018 को जारी गाइडलाइन के उपखण्ड 2 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. भर्ती आवेदन से पिछले 5 वर्ष से प्रदेश में निवास न करने के आधार पर इन्हें लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद नियुक्त करने से इनकार कर दिया गया था.
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने बहस की. कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह विभिन्न प्रदेशों में लीडिंग दो अखबारों में सूचना प्रकाशित कराएं और बेबसाइट पर अपलोड किया जाए, ताकि दूसरे राज्य के चयनित काउंसिलिंग में शामिल हो सकें. परीक्षा नियामक प्राधिकारी भी अपनी बेबसाइट पर अपलोड करें. कोर्ट ने कहा है कि सफल दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने की अनुमति दी जाए और मेरिट लिस्ट जारी की जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
- दूसरे प्रदेशों के सफल अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत.
- अनुच्छेद 16 (3) के अंतर्गत धर्म, वर्ण, जाति, लिंग, जन्म स्थान, और निवास के आधार पर विभेद करने पर लगाई है रोक.
- राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए पिछले 5 साल से प्रदेश का निवासी होने को कर दिया अनिवार्य.
- सेवा नियमावली में देश के नागरिकों को बताया गया योग्य.
- नियमावली में प्रदेश का निवासी होने की नहीं है अनिवार्यता.
- कोर्ट ने प्रदेश में निवास की 5 साल की अनिवार्यता को अनुच्छेद 16 (2) के विपरीत करार दिया.
- याची अधिवक्ता का कहना था कि नियुक्ति या रोजगार के लिए निवास तय करने का अधिकार राज्य को नहीं, बल्कि संसद को है.
- 68500 पदों में से 41556 की भर्ती हुई. 27 हजार पद हैं खाली.
- बोर्ड द्वारा पदों को भरने की कार्यवाही करने में नहीं है कोई अवरोध.
- कोर्ट ने राज्य सरकार को खाली बचे पदों को भरने का दिया निर्देश.
- दूसरे राज्यों के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर किया जाए विचार.
- प्रदेश में 5 वर्षो तक निवासी न होने के आधार पर नियुक्ति देने से कर दिया गया था इनकार.
आखिर क्या था मामला
- पांच वर्षों से प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता को दी गई थी चुनौती.
- हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में सफल अभ्यर्थियों के आवेदन से पूर्व पांच वर्षों से यूपी का निवासी होने की अनिवार्यता पर मांगा था जवाब.
- प्रदेश सरकार की इस नीति की संवैधानिकता पर उठाया गया था सवाल.
- याचिका दाखिल कर कहा गया था कि आवेदन से पूर्व के पांच सालों से इसी प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता संविधान सम्मत नहीं है.