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68500 सहायक अध्यापक भर्ती : दूसरे प्रदेशों के अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत - up basic teacher

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में दूसरे प्रदेशों के सफल अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने ऐसे सभी अभ्यर्थियों को उ.प्र. बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 के तहत सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के योग्य करार दिया है.

दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत
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Published : May 10, 2019, 8:34 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में दूसरे प्रदेश के सफल अभ्यर्थियों को राहत दी है. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने हरियाणा और दिल्ली के निवासी मनीष समेत दर्जनों अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए फैसला दिया है. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की 19 अगस्त 2018 को जारी गाइडलाइन के उपखण्ड 2 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. भर्ती आवेदन से पिछले 5 वर्ष से प्रदेश में निवास न करने के आधार पर इन्हें लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद नियुक्त करने से इनकार कर दिया गया था.

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने बहस की. कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह विभिन्न प्रदेशों में लीडिंग दो अखबारों में सूचना प्रकाशित कराएं और बेबसाइट पर अपलोड किया जाए, ताकि दूसरे राज्य के चयनित काउंसिलिंग में शामिल हो सकें. परीक्षा नियामक प्राधिकारी भी अपनी बेबसाइट पर अपलोड करें. कोर्ट ने कहा है कि सफल दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने की अनुमति दी जाए और मेरिट लिस्ट जारी की जाए.

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68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

  • दूसरे प्रदेशों के सफल अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत.
  • अनुच्छेद 16 (3) के अंतर्गत धर्म, वर्ण, जाति, लिंग, जन्म स्थान, और निवास के आधार पर विभेद करने पर लगाई है रोक.
  • राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए पिछले 5 साल से प्रदेश का निवासी होने को कर दिया अनिवार्य.
  • सेवा नियमावली में देश के नागरिकों को बताया गया योग्य.
  • नियमावली में प्रदेश का निवासी होने की नहीं है अनिवार्यता.
  • कोर्ट ने प्रदेश में निवास की 5 साल की अनिवार्यता को अनुच्छेद 16 (2) के विपरीत करार दिया.
  • याची अधिवक्ता का कहना था कि नियुक्ति या रोजगार के लिए निवास तय करने का अधिकार राज्य को नहीं, बल्कि संसद को है.
  • 68500 पदों में से 41556 की भर्ती हुई. 27 हजार पद हैं खाली.
  • बोर्ड द्वारा पदों को भरने की कार्यवाही करने में नहीं है कोई अवरोध.
  • कोर्ट ने राज्य सरकार को खाली बचे पदों को भरने का दिया निर्देश.
  • दूसरे राज्यों के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर किया जाए विचार.
  • प्रदेश में 5 वर्षो तक निवासी न होने के आधार पर नियुक्ति देने से कर दिया गया था इनकार.

आखिर क्या था मामला

  • पांच वर्षों से प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता को दी गई थी चुनौती.
  • हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में सफल अभ्यर्थियों के आवेदन से पूर्व पांच वर्षों से यूपी का निवासी होने की अनिवार्यता पर मांगा था जवाब.
  • प्रदेश सरकार की इस नीति की संवैधानिकता पर उठाया गया था सवाल.
  • याचिका दाखिल कर कहा गया था कि आवेदन से पूर्व के पांच सालों से इसी प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता संविधान सम्मत नहीं है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में दूसरे प्रदेश के सफल अभ्यर्थियों को राहत दी है. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने हरियाणा और दिल्ली के निवासी मनीष समेत दर्जनों अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए फैसला दिया है. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की 19 अगस्त 2018 को जारी गाइडलाइन के उपखण्ड 2 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. भर्ती आवेदन से पिछले 5 वर्ष से प्रदेश में निवास न करने के आधार पर इन्हें लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद नियुक्त करने से इनकार कर दिया गया था.

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने बहस की. कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह विभिन्न प्रदेशों में लीडिंग दो अखबारों में सूचना प्रकाशित कराएं और बेबसाइट पर अपलोड किया जाए, ताकि दूसरे राज्य के चयनित काउंसिलिंग में शामिल हो सकें. परीक्षा नियामक प्राधिकारी भी अपनी बेबसाइट पर अपलोड करें. कोर्ट ने कहा है कि सफल दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने की अनुमति दी जाए और मेरिट लिस्ट जारी की जाए.

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68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

  • दूसरे प्रदेशों के सफल अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत.
  • अनुच्छेद 16 (3) के अंतर्गत धर्म, वर्ण, जाति, लिंग, जन्म स्थान, और निवास के आधार पर विभेद करने पर लगाई है रोक.
  • राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए पिछले 5 साल से प्रदेश का निवासी होने को कर दिया अनिवार्य.
  • सेवा नियमावली में देश के नागरिकों को बताया गया योग्य.
  • नियमावली में प्रदेश का निवासी होने की नहीं है अनिवार्यता.
  • कोर्ट ने प्रदेश में निवास की 5 साल की अनिवार्यता को अनुच्छेद 16 (2) के विपरीत करार दिया.
  • याची अधिवक्ता का कहना था कि नियुक्ति या रोजगार के लिए निवास तय करने का अधिकार राज्य को नहीं, बल्कि संसद को है.
  • 68500 पदों में से 41556 की भर्ती हुई. 27 हजार पद हैं खाली.
  • बोर्ड द्वारा पदों को भरने की कार्यवाही करने में नहीं है कोई अवरोध.
  • कोर्ट ने राज्य सरकार को खाली बचे पदों को भरने का दिया निर्देश.
  • दूसरे राज्यों के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर किया जाए विचार.
  • प्रदेश में 5 वर्षो तक निवासी न होने के आधार पर नियुक्ति देने से कर दिया गया था इनकार.

आखिर क्या था मामला

  • पांच वर्षों से प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता को दी गई थी चुनौती.
  • हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में सफल अभ्यर्थियों के आवेदन से पूर्व पांच वर्षों से यूपी का निवासी होने की अनिवार्यता पर मांगा था जवाब.
  • प्रदेश सरकार की इस नीति की संवैधानिकता पर उठाया गया था सवाल.
  • याचिका दाखिल कर कहा गया था कि आवेदन से पूर्व के पांच सालों से इसी प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता संविधान सम्मत नहीं है.
प्रयागराज 10 मई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में दूसरे प्रदेश के निवासी सफल अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है।कोर्ट ने ऐसे सभी अभ्यर्थियों को उ प्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक)सेवा नियमावली 1981 के तहत सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के योग्य करार दिया और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की 19 अगस्त 18 को जारी गाइडलाइन के उपखण्ड 2 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।भर्ती आवेदन से पिछले 5 वर्ष से प्रदेश में निवास न करने के आधार पर इन्हें लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद नियुक्त करने से इंकार कर दिया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने हरियाणा,व् दिल्ली के निवासी मनीष सहित दर्जनों अन्य की याचीकाओ को स्वीकार करते हुए दिया है।याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी ने बहस की।कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह विभिन्न प्रदेशो में लीडिंग दो अखबारों में सूचना प्रकाशित कराए और बेबसाइट पर अपलोड किया जाय ताकि दूसरे राज्य के चयनित काउंसिलिंग में शामिल हो सके।परीक्षा नियामक प्राधिकारी भी अपनी बेबसाइट पर अपलोड करे।कोर्ट नेकहा है कि सफल दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने की अनुमति दी जाय और मेरिट लिस्ट जारी की जाय।
याची अधिवक्ता का कहना था कि अनुच्छेद 16(3) के अंतर्गत धर्म,वर्ण,जाति, लिंग,जन्मस्थान,व् निवास के आधार पर विभेद करने पर रोक लगायी गयी है।इसके बावजूद राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए पिछले 5 साल से प्रदेश का निवासी होना अनिवार्य कर दिया।भर्ती विज्ञापन में यह नही था।और सेवा नियमावली में देश के  नागरिको को योग्य बताया गया है।नियमावली में प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता नही है।कोर्ट ने प्रदेश में निवास की 5 साल की अनिवार्यता को अनुच्छेद 16 (2) के विपरीत करार दिया है।याची अधिवक्ता का कहना था कि नियुक्ति या रोजगार के लिए निवास तय करने का अधिकार राज्य को नही है ,यह अधिकार संसद को है।68500 पदों में से 41556 की भर्ती हुई।27हजार पद खाली है।बोर्ड द्वारा पदों को भरने की कार्यवाही करने में कोई अवरोध नही है।कोर्ट ने राज्य सरकार को खाली बचे पदों को भरने का निर्देश दिया है।और कहा है कि दूसरे राज्यो के निवासी सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार किया जाय।जिन्हें प्रदेश में 5 वर्षो तक निवासी न होने के आधार पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था
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