हमारे देश में योगिनी एकादशी व्रत बुधवार को किया जाएगा, हालांकि एकादशी आज के दिन ही शुरू हो गयी है. हर साल आषाढ़ कृष्ण की एकादशी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत भगवान श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है, लेकिन अबकी बार योगिनी एकादशी पर हरिहर की पूजा का सुंदर संयोग बनने जा रहा है.
आपको बता दें कि 'श्रीहरि' अर्थात भगवान विष्णु और 'हर' अर्थात् भगवान शिव के भक्तों के लिए यह दिन काफी खास है. इसलिए इस दिन हरिहर की पूजा का खास महत्व है. इन दोनों भगवानों के स्वरूप को हरिहर कहा जाता है.
कब करें योगिनी एकादशी व्रत
योगिनी एकादशी को लेकर एक कंफ्यूजन है, क्योंकि योगिनी एकादशी की तिथि मंगरवार 13 जून की सुबह में शुरू होकर अगले दिन 14 जून दिन बुधवार को सुबह 08:48 बजे तक है. ऐसी स्थिति में इस व्रत को रखने वाले लोगों में दुविधा है कि हरिहर की पूजा के लिए योगिनी एकादशी का व्रत 13 जून को रखा जाय या 14 जून को. लेकिन हमारी धार्मिक मान्यताओं में ऐसा कहा जाता है कि किसी भी तिथि का मान उदयातिथि को ध्यान में रखकर किया जाता है. चूंकि एकादशी का उदयातिथि का मान 14 जून दिन बुधवार को होगा, इसीलिए योगिनी एकादशी 14 जून दिन बुधवार को ही मनायी जाएगी.
योगिनी एकादशी पर अबकी बार भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान भोलेनाथ की भी पूजा का सुंदर संयोग बन रहा है, ऐसे में इस योगिनी एकादशी का खास महत्व माना जा रहा है.
योगिनी एकादशी व्रत के लाभ
हमारी मान्यताओं में योगिनी एकादशी व्रत के कई लाभ बताए जाते हैं, जिसके कारण लोग इस व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं.
- योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले लोगों को 80 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलने की मान्यता है.
- योगिनी एकादशी का व्रत करने से पूरे परिवार के कष्ट दूर होते हैं और जन्म-जन्मांतक के पाप भी मिट जाते हैं.
- योगिनी एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति को सांसारिक सुख समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं.
- एक और मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु बाद विष्णु की खास कृपा मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इस साल हरिहर योग के कारण योगिनी एकादशी के दिन रुद्राभिषेक कराने का खास फल है. जो लोग शिव भक्त हैं वह इस दिन रुद्राभिषेक करवा कर विशेष लाभ पा सकते हैं.