वाराणसी: छत्रपति शिवाजी की शौर्य गाथा सुनने का दिन आ गया है. आज यानी मंगलवार की शाम काशी में 'औरंगजेब' शिवाजी की वीरगाथा को पूरे पूर्वांचल के लोगों को सुनाएगा. इस दौरान शिवाजी महाराज की संस्कृति और वीरता का प्रदर्शन किया जाएगा. जहां पर 10 घोड़े, 2 हाथी, ऊंट और युद्ध के माध्यम से करीब 300 साल पुरानी कथा जीवंत हो उठेगी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर ग्राउंड में आज से विश्व प्रसिद्ध महानाट्य 'जाणता राजा' शुरू हो रहा है.
काशी के पंडित गंगाराम भट्ट विश्वविद्यालय परिसर में बनाए गए 'रायगढ़ किले' में छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कराएंगे. इस पूरे मंचन को करीब 42,000 से अधिक लोग एक जगह पर बैठकर देखेंगे. हिन्दुत्व के वाहक और राष्ट्रवाद के सबसे बड़े उदाहरण छत्रपति शिवाजी की वीर गाथा के माध्यम से देश के साथ ही पूरे विश्व को एक संदेश देने का काम किया जाने वाला है.
छत्रपति शिवाजी पर आधारित 'जाणता राजा' महानाट्य का मंचन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में मंगलवार की शाम यानी आज शाम से शुरू होने जा रहा है. यहां पर शिवाजी के रायगढ़ किले का निर्माण किया गया है, जहां पर मंचन किया जाएगा. इस किले का निर्माण करने के लिए 100 से अधिक लोगों ने मिलकर काम किया है. यह महानाट्य 6 दिनों तक पूरे 21 घंटे तक चलेगा. आज शाम 5:30 से 8:30 बजे तक 3 घंटे का आयोजन होगा. एक मंचन में 10 हजार छात्र और आम लोग मौजूद रहेंगे. यहां से पूरे विश्व को राष्ट्रवाद का संदेश दिया जाएगा.
माता तुलजा भवानी की आरती से होगी शुरुआतः 'जाणता राजा' महानाट्य की शुरुआत माता तुलजा भवानी की आरती के बाद दुदुंभी, ढोल-नगाड़ों की धुनों के साथ होगी. इसी दौरान शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होगा किया जाएगा. राज्याभिषेक के दौरान प्रजा और अन्य द्वारा नृत्य और गायन भी होगा. राज्याभिषेक के बाद छत्रपति शिवाजी इस जगह को अपनी राजधानी घोषित करेंगे. औरंगजेब की सेना का हमला होगा, मुगल सेना ने रायगढ़ किले को घेरेगी. इस पूरे दौर में भयंकर युद्ध होगा. इसमें शिवाजी की सेना का गुरिल्ला युद्ध, राज्याभिषेक, युद्ध रणनीति देखने को मिलेगी. शिवाजी की सेना औरंगजेब को धूल चटाएगी. उनके इस युद्ध के माध्यम से शौर्यगान किया जाएगा.
वाराणसी के 150 कलाकार ले रहे हिस्साः सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह ने बताया, मंचन में 275 आर्टिस्ट हिस्सा ले रहे हैं. 150 बनारस के रहने वाले हैं, जबकि 125 आर्टिस्ट देशभर के अलग-अलग राज्यों से आए हैं. नाटक में मंचन करने वावे लोगों में कई डॉक्टर, वकील, इंजीनियर और वेल सेटल्ड बिजनेसमैन भी हैं. ये सभी 6 दिन की छुट्टी लेकर वाराणसी आए हैं. वहीं आयोजन सचिव अनिल किंजवेकर का कहना है, 'इस नाटक के मंचन से छत्रपति शिवाजी के चरित्र को आज की पीढ़ी को समझाया जाएगा, जिससे कि उनमें राष्ट्रीय भावना जागे. एक दूरदर्शी राजा का कार्यकाल कैसा रहा ये भी जानकारी मिलेगी. मुस्लिम आक्रांताओं के प्रति शिवाजी की नीतियों, मंदिर और देशभर में हिंदू जन जागृति के कार्यों को प्रस्तुत किया जाएगा.
छह दिन में 42 हजार लोग देखेंगे महानाट्य का मंचनः आयोजकों का कहना है, 'काशी हिन्दुत्व का बहुत बड़ा केंद्र है. अगर छत्रपति शिवाजी को नाट्यमंच के द्वारा भारत का हर व्यक्ति समझ ले तो वो देश विरोधी काम कभी कर ही नहीं सकता है. छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक-एक क्षण राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक परंपरा और मूल्यों के लिए ही था. छत्रपति शिवाजी को हर भारतीय को पढ़ना, समझना और देखना चाहिए. इस महानाट्य मंचन को 21 नवंबर से शुरू किया जाएगा.' उन्होंने बताया, 'यह महानाट्यमंचन 26 नवंबर तक चलेगा. प्रतिदिन 5:30 बजे से लेकर 8:30 बजे तक तीन घंटे का नाट्यमंचन होगा. 7000 लोग एकसाथ इस नाट्यमंचन को एकसाथ देखेंगे. 6 दिन में 42,000 लोग मंचन देखेंगे.'
काशी के ब्राह्मणों ने किया था शिवाजी का राज्याभिषेकः अनिल किंजवेकर बताते हैं, 'पूर्वी उत्तर प्रदेश का लगभग सारा जिला इस महानाट्यमंचन को देखने के लिए आ रहा है. सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया से लेकर हर जिले में व्यापक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार चल रहा है. यह बिल्कुल अलग ढंग का चलचित्र होगा. जब छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था तो उस राज्याभिषेक में काशी के ब्राह्मणों ने ही राज्याभिषेक किया था. काशी से क्षत्रपति शिवाजी का बहुत पुराना रिश्ता है. काशी से ये महानाट्यमंचन के द्वारा देश ही नहीं पूरी दुनिया में ये संदेश जाएगा तो कि काशी धर्म नगरी, धर्म संस्कृति की एक नगरी है. यहां से भारत को हिंदुत्व, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का बड़ा संदेश जाता है.'
किले के समान 60 फीट ऊंचा मंच, जीवंत होगा दृश्यः उन्होंने बताया, 'सबसे खास बात ये है कि जैसे-जैसे लाइट बदलेगी मंच की डिजाइन बदलती जाएगी. इसके लिए दो टावर तैयार किए गए हैं, जो शो के हिसाब से घूमते रहेंगे. इसके साथ ही ऊंट, हाथी, घोड़ा भी रहेंगे. कलाकारों को मिलाकर के इस मंचन में 300 लोग काम कर रहे हैं.' नाटक के लिए किले के समान करीब 60 फीट ऊंचा मंच बनाया जा रहा है. इसमें राजदरबार, महल, सैनिक, सीढ़ियां आदि होंगी. इसके साथ ही मंचन में सामने से गुजरने वाले हाथी, घोड़े, ऊंट, बैलगाड़ियां और पालकी का प्रत्यक्ष प्रयोग किया जाएगा. 100 तकनीशियन की मदद से इस नाट्य मंच को तैयार किया जा रहा है.
अलग-अलग द्वार के लिए अलग-अलग शुल्कः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथियेटर मैदान में होने वाले नाटक के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है. नाटक मंचन के दौरान छत्रपति शिवाजी के दुर्ग की तरह बैठने की व्यवस्था की गई है. पल्हानगढ़ में बैठकर नाटक देखने का शुल्क 200 रुपये है, तोरणगढ़ द्वारा का शुल्क 500 रुपये है, विशालगढ़ द्वार का शुल्क 1000 रुपये है और रायगढ़ द्वार का शुल्क 10,000 रुपये है. इस तरह से अलग-अलग द्वार के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया गया है. नाटक के आयोजकों का कहना है कि इस नाटक से होने वाली आय से बीएचयू कैंसर अस्पताल में 40 हजार वर्गफीट में तीमारदारों के लिए पांच मंजिला आवासीय भवन का निर्माण कराया जाएगा.
बिना टिकट किसी को नहीं मिलेगा प्रवेशः आयोजकों का कहना है, इस मंचन में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को भी 1 टिकट लेना होगा. 200 रुपए का एक टिकट उनके लिए अनिवार्य है. सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक के भी टिकट की व्यवस्था की गई है. हर अधिकारी और नेता को टिकट लेना होगा. बिना टिकट प्रवेश नहीं मिलेगा. प्ले देखने वाले दर्शकों के लिए सीटिंग अरेंजमेंट अलग है. 90% से ज्यादा सीटें पहले ही बुक हो चुकी हैं. 'जाणता राजा' के अब तक 1147 शो हो चुके हैं. 80 लाख लोगों ने अब तक प्ले का लुत्फ उठाया है.