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WEF Davos 2022 : पीएम मोदी ने कहा-भारत में निवेश का यह सबसे सर्वश्रेष्ठ समय

दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक फोरम 2022 में पीएम मोदी ने आज शुरुआती वक्तव्य दिया. उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदानों को रेखांकित किया. पीएम ने कहा, कोरोना महामारी (COVID-19) के प्रसार के शुरुआती दिनों से ही भारत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करा रहा है. यह जो शायद दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य कार्यक्रम है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में पूरी दुनिया की आशा-आकांक्षा को पूरा करने की क्षमता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों में नवोन्मेष और नयी प्रौद्योगिकी को अपनाने की जो क्षमता है और उद्यमिता की जो भावना है वह हर वैश्विक साझेदार को नई ऊर्जा दे सकती है. उन्होंने कहा, 'इसलिए भारत में निवेश का यह सबसे सर्वश्रेष्ठ समय है.'

pm modi davos
पीएम मोदी दावोस
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Published : Jan 17, 2022, 8:42 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 5:50 AM IST

नई दिल्ली/दावोस : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2022 में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए सही दिशा में सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के निर्णयों की प्रशंसा की है और मुझे विश्वास है कि भारत विश्व की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ाई के साथ-साथ भारत आर्थिक मोर्चे पर भी सधी हुई गति से प्रगति कर रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों में नवोन्मेष और नयी प्रौद्योगिकी को अपनाने की जो क्षमता है और उद्यमिता की जो भावना है वह हर वैश्विक साझेदार को नई ऊर्जा दे सकती है. उन्होंने कहा, 'इसलिए भारत में निवेश का यह सबसे सर्वश्रेष्ठ समय है.' मोदी ने कहा कि गहरे आर्थिक सुधार को लेकर भारत की प्रतिबद्धता एक और बड़ा कारण है जो आज भारत को निवेश के लिए सबसे आकर्षक लक्ष्य बना रहा है.

दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के प्रमुख क्लॉस श्वाब और पीएम मोदी के शुरुआती वक्तव्य

पीएम मोदी कहा, केवल 1 वर्ष में, भारत ने लगभग 160 करोड़ COVID वैक्सीन की खुराक लगाई है. भारत जैसे लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को उम्मीद का एक गुलदस्ता दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के गुलदस्ते में लोकतंत्र के प्रति विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त बनाने की तकनीक और भारतीयों की प्रतिभा और स्वभाव जैसी चीजें शामिल हैं.बकौल पीएम मोदी, 'COVID के दौरान, हमने देखा कि कैसे भारत ने 'वन अर्थ, वन हेल्थ' के विजन को पूरा किया और कई देशों को दवाएं और टीके उपलब्ध कराए, जिससे कई लोगों की जान बच गई. आज भारत दुनिया के लिए फार्मेसी बन गया है.' पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है.

बता दें कि जनवरी, 2021 में भी पीएम मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस संवाद में वक्तव्य दिया था. उन्होंने कहा था कि पिछले साल (2020) फरवरी-अप्रैल के बीच दुनिया के कई एक्सपर्ट और दुनिया की नामी संस्थाओं ने कहा था कि भारत में कोरोना संक्रमण की सुनामी आएगी, लेकिन भारत के लोगों ने खुद पर निराशा को हावी नहीं होने दिया.

यह भी पढ़ें- विश्व आर्थिक मंच पर बोले पीएम, दुनिया ने देखा भारत का सामर्थ्य, आर्थिक स्थितियां भी बदलेंगी

पीएम मोदी ने कहा कि अभी तो केवल दो मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन दुनिया में आई हैं. आने वाले समय में कई और टीके भारत से बनकर आने वाली हैं. इनसे दुनिया के देशों को और ज्यादा बड़े स्केल पर तेज गति से मदद करने में सहायता करेगी. उन्होंने कहा कि भारत की सफलता और भारत के सामर्थ्य की इस तस्वीर के साथ दुनिया के अर्थजगत को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आर्थिक मोर्चे पर भी स्थितियां तेजी से बदलेंगी.

विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 'विश्व की वर्तमान स्थिति' (स्टेट ऑफ द वर्ल्ड) पर अपने विशेष संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं. उन्होंने कहा कि कहा कि भारत वर्तमान ही नहीं बल्कि अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है और विकास का यह कालखंड हरित, स्वच्छ, टिकाऊ तथा भरोसेमंद भी होगा. पीएम मोदी ने कहा कोरोना संक्रमण काल में भारत ने पूरी दुनिया को 'उम्मीदों का गुलदस्ता' जैसा एक खूबसूरत उपहार दिया है, जिसमें भारतीयों का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त करने वाली प्रौद्योगिकी, भारतीयों का मिजाज और उनकी प्रतिभा शामिल है.

दावोस में पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तब से भारत में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'शायद दुनिया में इस प्रकार का यह सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा. हमारी कोशिश है कि संकट के कालखंड में गरीब से गरीब की चिंता सबसे पहले हो. इस दौरान हमने सुधार पर भी जोर दिया. सुधार के लिए हमारे कदमों को लेकर दुनिया के अर्थशास्त्री भी भरपूर सराहना कर रहे हैं. भारत बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरी सजगता और सतर्कता से कोरोना की एक और लहर से आज मुकाबला कर रहा है लेकिन इसके बावजूद आर्थिक क्षेत्र में भी आशावादी परिणामों के साथ वह आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है, 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले भारत में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज भारत में दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनिकोर्न हैं और 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स पिछले छह महीने में पंजीकृत हुए हैं. मोदी ने कहा, 'आज भारत के पास विश्व का बड़ा, सुरक्षित और सफल डिजिटल लेन-देन का मंच है और भारत में यूपीआई के माध्यम से 4.4 अरब लेन-देन हुए हैं. आज भारत व्यवसाय की सुगमता को बढ़ावा दे रहा है, सरकार के दखल को कम से कम कर रहा है. भारत ने अपनी व्यावसायिक कर दरों को सरलीकृत करके, कम करके, उसे दुनिया में सबसे प्रतियोगी बनाया है.

यह भी पढ़ें - भारतीय मुसलमान विश्व में किसी भी अन्य स्थान से ज्यादा सुरक्षित : पीयूष गोयल

उन्होंने कहा, 'कोरोना काल में भारत ने सुधार का रास्ता सशक्त किया. डिजिटल और फिजिकल संसाधनों को आधुनिक बनाने की सबसे बड़ी परियोजनाओं को कोरोना काल में ही अभूतपूर्व गति दी गई. देश के छह लाख से ज्यादा गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा रहा है. विशेष रूप से संपर्क से जुड़े संसाधनों पर 1.3 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का फोकस सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान करने पर ही नहीं है, बल्कि निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी जोर है और यही वजह है कि आज 14 क्षेत्रों में 26 अरब डॉलर की प्रोत्साहन आधारित योजनाएं लागू की गई हैं.

उन्होंने कहा, 'आज भारत वर्तमान के साथ ही अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है, निर्णय ले रहा है. इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं. विकास का यह कालखंड हरित भी होगा, स्वच्छ भी होगा, टिकाऊ भी होगा और भरोसेमंद भी होगा.' प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि जीवनशैली भी इसके लिए बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा, 'लापरवाही की संस्कृति और उपभोक्तावाद ने जलवायु परिवर्तन को और गंभीर बना दिया है. आज की जो 'टेक-मेक-यूज-डिस्पोज' अर्थव्यवस्था है, उसको तेज़ी से चक्रीय अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ाना बहुत ज़रूरी है.

मोदी ने कहा, 'आज विश्व व्यवस्था में बदलाव के साथ ही एक वैश्विक परिवार के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं, वो भी बढ़ रही हैं. इनसे मुकाबला करने के लिए हर देश, हर वैश्विक एजेंसी द्वारा सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है.' क्रिप्टोकरंसी को भी एक बड़ी चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह की प्रौद्योगिकी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे. उन्होंने कहा, 'हमें एक समान सोच रखनी होगी. लेकिन आज वैश्विक परिदृष्य को देखते हुए, सवाल यह भी है कि बहुद्देशीय संस्थाओं, नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं क्या? वह सामर्थ्य बचा है क्या?' मोदी ने कहा कि जब ये संस्थाएं बनी थीं तब स्थितियां कुछ और थीं तथा आज परिस्थितियां कुछ और हैं.

उन्होंने कहा, 'इसलिए हर लोकतांत्रिक देश का यह दायित्व है कि इन संस्थाओं में सुधार पर बल दे ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके.' मोदी ने विश्वास जताया कि दावोस में हो रही चर्चाओं में इस दिशा में भी सकारात्मक संवाद होगा. यह वर्चुअल कार्यक्रम 17 से 21 जनवरी, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है. जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुआ वॉन डेर लेयेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, इज़राइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष भी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.

इस कार्यक्रम में उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियों, अंतरराष्ट्रीयय संगठनों और नागरिक समाज ने भी शिरकत की. दुनिया की वर्तमान महत्वपूर्ण चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने के साथ ही और वह इनसे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा करेंगे.

(इनपुट भाषा)

नई दिल्ली/दावोस : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2022 में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए सही दिशा में सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के निर्णयों की प्रशंसा की है और मुझे विश्वास है कि भारत विश्व की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ाई के साथ-साथ भारत आर्थिक मोर्चे पर भी सधी हुई गति से प्रगति कर रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों में नवोन्मेष और नयी प्रौद्योगिकी को अपनाने की जो क्षमता है और उद्यमिता की जो भावना है वह हर वैश्विक साझेदार को नई ऊर्जा दे सकती है. उन्होंने कहा, 'इसलिए भारत में निवेश का यह सबसे सर्वश्रेष्ठ समय है.' मोदी ने कहा कि गहरे आर्थिक सुधार को लेकर भारत की प्रतिबद्धता एक और बड़ा कारण है जो आज भारत को निवेश के लिए सबसे आकर्षक लक्ष्य बना रहा है.

दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के प्रमुख क्लॉस श्वाब और पीएम मोदी के शुरुआती वक्तव्य

पीएम मोदी कहा, केवल 1 वर्ष में, भारत ने लगभग 160 करोड़ COVID वैक्सीन की खुराक लगाई है. भारत जैसे लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को उम्मीद का एक गुलदस्ता दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के गुलदस्ते में लोकतंत्र के प्रति विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त बनाने की तकनीक और भारतीयों की प्रतिभा और स्वभाव जैसी चीजें शामिल हैं.बकौल पीएम मोदी, 'COVID के दौरान, हमने देखा कि कैसे भारत ने 'वन अर्थ, वन हेल्थ' के विजन को पूरा किया और कई देशों को दवाएं और टीके उपलब्ध कराए, जिससे कई लोगों की जान बच गई. आज भारत दुनिया के लिए फार्मेसी बन गया है.' पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है.

बता दें कि जनवरी, 2021 में भी पीएम मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस संवाद में वक्तव्य दिया था. उन्होंने कहा था कि पिछले साल (2020) फरवरी-अप्रैल के बीच दुनिया के कई एक्सपर्ट और दुनिया की नामी संस्थाओं ने कहा था कि भारत में कोरोना संक्रमण की सुनामी आएगी, लेकिन भारत के लोगों ने खुद पर निराशा को हावी नहीं होने दिया.

यह भी पढ़ें- विश्व आर्थिक मंच पर बोले पीएम, दुनिया ने देखा भारत का सामर्थ्य, आर्थिक स्थितियां भी बदलेंगी

पीएम मोदी ने कहा कि अभी तो केवल दो मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन दुनिया में आई हैं. आने वाले समय में कई और टीके भारत से बनकर आने वाली हैं. इनसे दुनिया के देशों को और ज्यादा बड़े स्केल पर तेज गति से मदद करने में सहायता करेगी. उन्होंने कहा कि भारत की सफलता और भारत के सामर्थ्य की इस तस्वीर के साथ दुनिया के अर्थजगत को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आर्थिक मोर्चे पर भी स्थितियां तेजी से बदलेंगी.

विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 'विश्व की वर्तमान स्थिति' (स्टेट ऑफ द वर्ल्ड) पर अपने विशेष संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं. उन्होंने कहा कि कहा कि भारत वर्तमान ही नहीं बल्कि अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है और विकास का यह कालखंड हरित, स्वच्छ, टिकाऊ तथा भरोसेमंद भी होगा. पीएम मोदी ने कहा कोरोना संक्रमण काल में भारत ने पूरी दुनिया को 'उम्मीदों का गुलदस्ता' जैसा एक खूबसूरत उपहार दिया है, जिसमें भारतीयों का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त करने वाली प्रौद्योगिकी, भारतीयों का मिजाज और उनकी प्रतिभा शामिल है.

दावोस में पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तब से भारत में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'शायद दुनिया में इस प्रकार का यह सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा. हमारी कोशिश है कि संकट के कालखंड में गरीब से गरीब की चिंता सबसे पहले हो. इस दौरान हमने सुधार पर भी जोर दिया. सुधार के लिए हमारे कदमों को लेकर दुनिया के अर्थशास्त्री भी भरपूर सराहना कर रहे हैं. भारत बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरी सजगता और सतर्कता से कोरोना की एक और लहर से आज मुकाबला कर रहा है लेकिन इसके बावजूद आर्थिक क्षेत्र में भी आशावादी परिणामों के साथ वह आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है, 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले भारत में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज भारत में दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनिकोर्न हैं और 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स पिछले छह महीने में पंजीकृत हुए हैं. मोदी ने कहा, 'आज भारत के पास विश्व का बड़ा, सुरक्षित और सफल डिजिटल लेन-देन का मंच है और भारत में यूपीआई के माध्यम से 4.4 अरब लेन-देन हुए हैं. आज भारत व्यवसाय की सुगमता को बढ़ावा दे रहा है, सरकार के दखल को कम से कम कर रहा है. भारत ने अपनी व्यावसायिक कर दरों को सरलीकृत करके, कम करके, उसे दुनिया में सबसे प्रतियोगी बनाया है.

यह भी पढ़ें - भारतीय मुसलमान विश्व में किसी भी अन्य स्थान से ज्यादा सुरक्षित : पीयूष गोयल

उन्होंने कहा, 'कोरोना काल में भारत ने सुधार का रास्ता सशक्त किया. डिजिटल और फिजिकल संसाधनों को आधुनिक बनाने की सबसे बड़ी परियोजनाओं को कोरोना काल में ही अभूतपूर्व गति दी गई. देश के छह लाख से ज्यादा गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा रहा है. विशेष रूप से संपर्क से जुड़े संसाधनों पर 1.3 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का फोकस सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान करने पर ही नहीं है, बल्कि निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी जोर है और यही वजह है कि आज 14 क्षेत्रों में 26 अरब डॉलर की प्रोत्साहन आधारित योजनाएं लागू की गई हैं.

उन्होंने कहा, 'आज भारत वर्तमान के साथ ही अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है, निर्णय ले रहा है. इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं. विकास का यह कालखंड हरित भी होगा, स्वच्छ भी होगा, टिकाऊ भी होगा और भरोसेमंद भी होगा.' प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि जीवनशैली भी इसके लिए बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा, 'लापरवाही की संस्कृति और उपभोक्तावाद ने जलवायु परिवर्तन को और गंभीर बना दिया है. आज की जो 'टेक-मेक-यूज-डिस्पोज' अर्थव्यवस्था है, उसको तेज़ी से चक्रीय अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ाना बहुत ज़रूरी है.

मोदी ने कहा, 'आज विश्व व्यवस्था में बदलाव के साथ ही एक वैश्विक परिवार के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं, वो भी बढ़ रही हैं. इनसे मुकाबला करने के लिए हर देश, हर वैश्विक एजेंसी द्वारा सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है.' क्रिप्टोकरंसी को भी एक बड़ी चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह की प्रौद्योगिकी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे. उन्होंने कहा, 'हमें एक समान सोच रखनी होगी. लेकिन आज वैश्विक परिदृष्य को देखते हुए, सवाल यह भी है कि बहुद्देशीय संस्थाओं, नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं क्या? वह सामर्थ्य बचा है क्या?' मोदी ने कहा कि जब ये संस्थाएं बनी थीं तब स्थितियां कुछ और थीं तथा आज परिस्थितियां कुछ और हैं.

उन्होंने कहा, 'इसलिए हर लोकतांत्रिक देश का यह दायित्व है कि इन संस्थाओं में सुधार पर बल दे ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके.' मोदी ने विश्वास जताया कि दावोस में हो रही चर्चाओं में इस दिशा में भी सकारात्मक संवाद होगा. यह वर्चुअल कार्यक्रम 17 से 21 जनवरी, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है. जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुआ वॉन डेर लेयेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, इज़राइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष भी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.

इस कार्यक्रम में उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियों, अंतरराष्ट्रीयय संगठनों और नागरिक समाज ने भी शिरकत की. दुनिया की वर्तमान महत्वपूर्ण चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने के साथ ही और वह इनसे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा करेंगे.

(इनपुट भाषा)

Last Updated : Jan 18, 2022, 5:50 AM IST
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