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जानें कौन है अफगानिस्तान की नई सरकार के प्रमुख मुल्ला हसन अखुंद

तालिबान ने मंगलवार को घोषणा की कि मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान की नई सरकार का नेता होगा. मुल्ला अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और खुद के लिए बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की. आइए मुल्ला हसन अखुंद के बारे में विस्तार से जानते हैं..

मुल्ला हसन अखुंद
मुल्ला हसन अखुंद
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Published : Sep 8, 2021, 12:47 AM IST

हैदराबाद : तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान की कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उपनेता होंगे और अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी नए गृह मंत्री होंगे. आइए हम आपकों मोहम्मद हसन अखुंद के बारे में विस्तार से बताते हैं..

कौन है मुल्ला हसन अखुंद
तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा के अनुसार, मुल्ला अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और खुद के लिए बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की. वह एक सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता है और अपने चरित्र और भक्ति के लिए जाना जाता है.

वर्तमान में वह तालिबान के रहबारी शूरा का प्रमुख है, जिसे पाकिस्तान में क्वेटा में स्थित क्वेटा शूरा या नेतृत्व परिषद के रूप में जाना जाता है. हालांकि वह इसका नेतृत्व करता है, मगर सारी शक्ति तालिबान प्रमुख के पास है. वह तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और समूह के कई संस्थापकों में से एक है. वह पाकिस्तान के विभिन्न मदरसों में पढ़ा है और उसे कभी भी समूह में एक नेता के रूप में नहीं माना गया.

वास्तव में, हसन अखुंद को तालिबान के सबसे अप्रभावी नेताओं में से एक माना जाता है. उसे तालिबान के पिछले शासन में एक संक्षिप्त अवधि के लिए स्टॉप गैप व्यवस्था के अलावा कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया था. वह वही था, जिसने मार्च 2001 में बामियान बुद्धों के विनाश की निगरानी की थी और वह अभी भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध है.

हसन अखुंद ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था.

मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने अखुंद का नाम प्रस्तावित किया

मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और तत्कालीन अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है. इसमें वैश्विक स्तर पर आतंकी नामित किए गए हक्कानी नेटवर्क के एक नेता को गृह मंत्री का प्रभार सौंपा गया है.

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान में तालिबान सरकार : मुल्ला हसन प्रधानमंत्री, मुल्ला बरादर डिप्टी पीएम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद अफगानिस्तान के नए प्रमुख के रूप में मुल्ला हसन का नाम प्रस्तावित किया. तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था.

डॉन अखबार की खबर के मुतााबिक, कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन ने एक लिखित बयान में अफगानिस्तान की जनता को 'विदेशी फौजों की वापसी, कब्जे की समाप्ति और देश की पूर्ण स्वतंत्रता' की बधाई दी.

मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं
हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख और सोवियत विरोधी क्षत्रप जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी को 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बनाया गया है और मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं है. तालिबान ने समावेशी सरकार गठित करने का वादा किया था, लेकिन मंत्रिमंडल में हजारा समुदाय का एक भी सदस्य नहीं है.

हैदराबाद : तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान की कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उपनेता होंगे और अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी नए गृह मंत्री होंगे. आइए हम आपकों मोहम्मद हसन अखुंद के बारे में विस्तार से बताते हैं..

कौन है मुल्ला हसन अखुंद
तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा के अनुसार, मुल्ला अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और खुद के लिए बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की. वह एक सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता है और अपने चरित्र और भक्ति के लिए जाना जाता है.

वर्तमान में वह तालिबान के रहबारी शूरा का प्रमुख है, जिसे पाकिस्तान में क्वेटा में स्थित क्वेटा शूरा या नेतृत्व परिषद के रूप में जाना जाता है. हालांकि वह इसका नेतृत्व करता है, मगर सारी शक्ति तालिबान प्रमुख के पास है. वह तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और समूह के कई संस्थापकों में से एक है. वह पाकिस्तान के विभिन्न मदरसों में पढ़ा है और उसे कभी भी समूह में एक नेता के रूप में नहीं माना गया.

वास्तव में, हसन अखुंद को तालिबान के सबसे अप्रभावी नेताओं में से एक माना जाता है. उसे तालिबान के पिछले शासन में एक संक्षिप्त अवधि के लिए स्टॉप गैप व्यवस्था के अलावा कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया था. वह वही था, जिसने मार्च 2001 में बामियान बुद्धों के विनाश की निगरानी की थी और वह अभी भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध है.

हसन अखुंद ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था.

मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने अखुंद का नाम प्रस्तावित किया

मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और तत्कालीन अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है. इसमें वैश्विक स्तर पर आतंकी नामित किए गए हक्कानी नेटवर्क के एक नेता को गृह मंत्री का प्रभार सौंपा गया है.

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान में तालिबान सरकार : मुल्ला हसन प्रधानमंत्री, मुल्ला बरादर डिप्टी पीएम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद अफगानिस्तान के नए प्रमुख के रूप में मुल्ला हसन का नाम प्रस्तावित किया. तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था.

डॉन अखबार की खबर के मुतााबिक, कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन ने एक लिखित बयान में अफगानिस्तान की जनता को 'विदेशी फौजों की वापसी, कब्जे की समाप्ति और देश की पूर्ण स्वतंत्रता' की बधाई दी.

मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं
हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख और सोवियत विरोधी क्षत्रप जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी को 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बनाया गया है और मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं है. तालिबान ने समावेशी सरकार गठित करने का वादा किया था, लेकिन मंत्रिमंडल में हजारा समुदाय का एक भी सदस्य नहीं है.

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